निर्भया के दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार, 'मेरी दया याचिका वापस कर दें'
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नई दिल्ली। सात साल पहले देश की राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में दोषियों में से एक विनय शर्मा की दया याचिका को शुक्रवार को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज दिया था। वहीं, अब खबर आ रही है कि निर्भया के दोषियों में से एक विनय शर्मा ने राष्ट्रपति को अर्जी देकर दया याचिका वापस लेने की गुहार लगाई है। विनय शर्मा के वकील का दावा है कि गृह मंत्रालय द्वारा भेजी गई दया याचिका पर विनय शर्मा के हस्ताक्षर नहीं थे।
दया याचिका वापस करने की गुहार लगाई
विनय शर्मा की तरफ से राष्ट्रपति को जो नई याचिका भेजी गई है, उसमें कहा गया है कि जो दया याचिका गृह मंत्रालय ने भेजी है उसमें ना तो उसके हस्ताक्षर हैं और ना ही उसके द्वारा अधिकृत है। इसलिए उसने राष्ट्रपति से दया याचिका वापस करने की गुहार लगाई है। इसके पहले, दिल्ली सरकार से खारिज होने के बाद याचिका गृह मंत्रालय को भेजी गई थी। गृह मंत्रालय की तरफ से राष्ट्रपति को याचिका भेजी गई थी और इसे खारिज करने की सिफारिश की गई थी। वहीं, निर्भया के माता-पिता ने भी दोषी विनय शर्मा की दया याचिका को खारिज करने की राष्ट्रपति से अपील की है।
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दया याचिका पर मेरे हस्ताक्षर नहीं- विनय शर्मा
दिल्ली सरकार ने पहले ही याचिका खारिज कर दी है। वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल भी राष्ट्रपति से दया याचिका को खारिज करने की अपील कर चुके हैं। राष्ट्रपति को फांसी की सजा को माफ करने का अधिकार है। निर्भया केस में विनय शर्मा के अलावा तीन अन्य दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। वहीं, हैदराबाद के आरोपियों के एनकाउंटर के बाद निर्भया की मां का कहना है कि पिछले सात सालों से वह 2012 में ही खड़ी हैं और अभी तक उनकी बेटी के साथ राक्षसों सा सुलूक करने वाले दरिंदे जिंदा हैं।
चारों दोषियों को सुनाई गई है मौत की सजा
31 अगस्त 2013 को निर्भया के केस में आरोपी कोर्ट में दोषी साबित हुए थे। उस समय नाबालिग आरोपी को तीन साल के लिए सुधार गृह भेज दिया गया था। फास्ट ट्रैक कोर्ट को अपना फैसला सुनाने में नौ महीने का वक्त लग गया था। चारों आरोपियों को दोषी मानकर उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। वहीं, एक आरोपी ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला मानते हुए आरोपियों की मौत की सजा को बरकरार रखा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मई 2017 में चारों आरोपियों की मौत की सजा को बरकरार रखा था। जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पीटीशन को भी खारिज कर दिया था।