फांसी से बचने के लिए निर्भया के गुनहगार ने चली नई चाल, मनीष सिसोदिया के दस्तखत को ढाल बना EC में दी अर्जी
नई दिल्ली। निर्भया केस में नया डेथ वारंट जारी होने उसके गुनहगार हर तरकीब अपना रहे हैं ताकि मौत की सजा को कुछ दिन और टाला जा सके। अब दोषी विनय शर्मा ने एक और दांव चला है। उसके वकील एपी सिंह ने चुनाव आयोग में अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में कहा गया है कि जब दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया ने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के पास विनय की दया याचिका करने की सिफारिश की तो वो ना तो मंत्री थे और ना ही विधायक। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय दिल्ली में आचार संहिता लागू थी। 8 फरवरी को दिल्ली में इलेक्शन थे।

आचार संहिता में पद का उपयोग नहीं कर सकते थे मनीष सिसोदिया
एपी सिंह ने इलेक्शन कमीशन में दाखिल की गई याचिका में कहा है, 'दया याचिका खारिज करने की जो सिफारिश दिल्ली सरकार ने की थी, उस समय वह (मनीष सिसोदिया) विधायक नहीं थे, क्योंकि आदर्श आचार संहिता लागू थी। 8 फरवरी को दिल्ली में इलेक्शन थे। ना ही वह दिल्ली सरकार के गृह मंत्री के पोर्टफोलियो पर थे। ना ही वह उस पद का उपयोग कर सकते थे।'

व्हाट्सऐप के स्क्रीनशॉट से लगाई गई दस्तखत
एपी सिंह ने दावा किया, 'दया याचिका को खारिज करने की सिफारिश करने की चिट्ठी पर दस्तखत व्हाट्सऐप के स्क्रीनशॉट से लगाई गई। ऐसा जल्दबाजी में किया गया।' बता दें कि दिल्ली सरकार में गृहमंत्री मनीष सिसोदिया थे और उन्हीं के दस्तखत से विनय की दया याचिका खारिज करने संबंधी सिफारिश, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेजी गई थी। एपी सिंह ने दया याचिका को खारिज करने की सिफारिश करने का विरोध किया है। गौरतलब है कि 1 फरवरी को विनय की दया याचिका खारिज की गई थी।

3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी
चारों दोषियों को तीन मार्च सुबह छह बजे फांसी दी जाएगी। पटियाला हाइस कोर्ट ने 17 फरवरी को नया डेथ वारंट जारी किए जाने की मांग वाली याचिका पर यह फैसला दिया। यह मामला दिसंबर 2012 में राष्ट्रीय राजधानी में 23 वर्षीय एक महिला के साथ दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा हुआ है।

2 बार जारी हो चुका है डेथ वारंट
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट चारों दोषियों के खिलाफ 2 बार डेथ वारंट जारी कर चुकी है। इसी साल 7 जनवरी को कोर्ट ने पहली बार डेथ वारंट जारी किया था जिसमें 22 जनवरी को चारों दोषियों को सुबह 7 बजे फांसी देने का कहा गया था। इसके बाद 17 जनवरी को कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए फांसी की तारीख आगे बढ़ाते हुए 1 फरवरी की थी और फांसी का वक्त सुबह 6 बजे का तय किया था। लेकिन दोषियों की ओर से कोर्ट और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जाने की वजह से इस दिन फांसी नहीं हो सकी थी।

निर्भया केस पर एक नजर
बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की एक पैरामेडिकल स्टूडेंट अपने दोस्त के साथ दक्षिण दिल्ली के मुनिरका इलाके में बस स्टैंड पर खड़ी थी। दोनों फिल्म देखकर घर लौटने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान वो वहां से गुजर रहे एक प्राइवेट बस में सवार हो गए। इस चलती बस में एक नाबालिग समेत छह लोगों ने युवती के साथ बर्बर तरीके से मारपीट और गैंगरेप किया था। इसके बाद उन्होंने पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया था। बुरी तरह जख्मी युवती को बेहतर इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर सिंगापुर ले जाया गया था। यहां 29 दिसंबर, 2012 को अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। घटना के बाद पीड़िता को काल्पनिक नाम ‘निर्भया' दिया गया था।
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