निपाह वायरस से मरे लोगों का अंतिम संस्कार करने से डर रहे हैं परिजन, डॉक्टरों ने ली ये भी जिम्मेदारी
कोझीकोड। ऐसा कई बार सुना गया है कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं, लेकिन केरल के कोझीकोड में ये बात सच होती नजर आ रही है। केरल में खतरनाक निपाह वायरस ने जमकर कहर ढाया। इस वायरस की चपेट में आने से प्रदेशभर में करीब 17 लोगों की मौत हो गई। चौंकाने वाली बात ये है कि इस खतरनाक वायरस की चपेट में आकर जान गंवाने वालों के परिवार वाले भी इनसे दूरी बना रहे हैं। स्थिति ये है कि परिवार के लोग वायरस में जान गंवाने वालों का अंतिम संस्कार करने से भी कतरा रहे हैं। ऐसी सूरत में डॉक्टर ही आगे आए हैं, जिन्होंने इंसानियत की मिसाल कायम करते हुए इस गंभीर वायरस की वजह से जान गंवाने वाले लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।
निपाह का कहर, अपने छोड़ रहे साथ
खतरनाक निपाह वायरस की वजह से जब अपने भी साथ छोड़ रहे हैं, ऐसे हालात में कोझिकोड निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरएस गोपकुमार ने बड़ी जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने निपाह वायरस की चपेट में आकर जान गंवाने वाले 12 शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली। डॉ. आरएस गोपकुमार ने इन लोगों के अंतिम संस्कार की पूरी निगरानी की।
डॉ. गोपकुमार ने संभाली बड़ी जिम्मेदारी
डॉ. गोपकुमार ने बताया कि उन्होंने एक 17 साल के किशोर का अंतिम संस्कार किया। उसकी मौत निपाह वायरस की वजह से हो गई। वहीं उसकी मां को भी वायरस संक्रमण का संदेह है और उसे अलग वार्ड में रखा गया है। उस मां ने अपने बेटे को भी आखिरी बार नहीं देखा और डॉ. गोपकुमार को अंतिम संस्कार का आदेश दे दिया।
12 लोगों के अंतिम संस्कार की ली जिम्मेदारी
डॉ. गोपकुमार ने बताया कि जब मैं 17 वर्षीय किशोर की अंतिम संस्कार के लिए जा रहा था तो बेहद दुखी था। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका कोई भी अपना अंतिम यात्रा में उनके साथ नहीं थे। मैंने इस बारे में दोबारा नहीं सोचा और उस किशोर का अंतिम संस्कार किया। ये मेरा कर्तव्य था और मैंने उसे पूरी गंभीरता से निभाया।