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नौ लक्षण जो बताते हैं कि आप बूढ़े हो रहे हैं

इसका नतीजा ये होता है कि वे रोगजनक और घातक कोशिकाओं के प्रति सक्रिय नहीं रह जाती हैं.

सेरानो का कहना है कि भले ही यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता है लेकिन एक स्वस्थ जीवनशैली से इसके प्रभाव को कम ज़रूर किया जा सकता है.

"आज के समय में बुज़ुर्ग ज़्यादा स्वस्थ और धनी हैं. जो सबसे बेहतर चीज़ हम कर सकते हैं वो ये कि हम अपनी ज़िंदगी को खुलकर जिएं."

By BBC News हिन्दी
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एक बुजुर्ग
Getty
एक बुजुर्ग

"मुझे जैविक तौर पर तो ऐसी किसी भी चीज़ के बारे में नहीं पता जो ढलती उम्र के साथ बेहतर हुई हो."

स्पेन के नेशनल सेंटर फ़ॉर ऑन्कोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन्स के डॉक्टर मैन्युअल सेरानो का यह वाक्य काफी निराश करने वाला है.

वो साइन्स ऑफ़ एजिंग नाम की किताब लिखने वालों में से एक हैं. इस किताब में शोधकर्ताओं ने शरीर के भीतर होने वाली उन मुख्य प्रक्रियाओं का उल्लेख किया है जो उम्र बढ़ने के साथ होती हैं.

सेरानो ने बीबीसी को बताया, "ये वो प्रक्रियाएं हैं जो निश्चित रूप से होती ही हैं."

"यह हर इंसान में कम या ज़्यादा नज़र आ सकती हैं और इसका सारा श्रेय हमारी लाइफ़स्टाइल और आनुवांशिकी को जाता है. लेकिन यह सतत रूप से होती रहती हैं."

स्तनधारी जीवों में बढ़ती उम्र के साथ ये नौ लक्षण नज़र आने लगते हैं, यही लक्षण इंसानों को भी एहसास दिलाते हैं कि वे बूढ़े होने लगे हैं.

डीएनए
Getty
डीएनए

1. डीएनए की क्षति

हमारा डीएनए एक तरह का जेनेटिक कोड होता है जो कोशिकाओं के बीच संचरित होता है.

उम्र बढ़ने से इन जेनेटिक कोड के संचरण में गड़बड़ी होनी शुरू हो जाती है.

धीरे-धीरे यह कोशिकाओं में जमा होना शुरू हो जाती हैं.

इस प्रक्रिया को आनुवांशिक अस्थिरता के रूप में जाना जाता है और यह विशेष रूप से तब प्रासंगिक होता है जब डीएनए स्टेम कोशिकाओं को प्रभावित करता है.

आनुवांशिक अस्थिरता स्टेम कोशिकाओं की भूमिका को ख़तरे में डाल सकती है.

अगर ये अथिरता बढ़ जाती है तो यह कैंसर में भी तब्दील हो सकती है.

जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव
Getty
जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव

2. क्रोमोसोम्स का कमज़ोर होना

हर डीएनए सूत्र के अंतिम छोर पर कैप जैसी संरचना होती है जो हमारे क्रोमोसोम्स को सुरक्षित रखते हैं- ये बिल्कुल वैसी ही संरचना होती है, जैसे हमारे जूतों के फीतों की, जिसमें फीते के अंतिम छोर पर एक प्लास्टिक का टिप लगा होता है.

इन्हें टेलोमर्स कहते हैं. हम जैसे-जैसे उम्रदराज़ होते जाते हैं, ये कैप रूपी संरचना हटने लगती है और क्रोमोसोम की सुरक्षा ढीली पड़ने लगती है.

इस वजह से परेशानी पैदा हो सकती है.

शोधकर्ता मानते हैं कि टेलोमर्स की संरचना में जब गड़बड़ी आती है तो कई बीमारियां होने का ख़तरा बढ़ जाता है. इसकी वजह से फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं और एनीमिया होने का ख़तरा बढ़ जाता है. ये दोनों ही रोग प्रतिरक्षा से जुड़ी गंभीर समस्याएं हैं.

एक वृद्ध जोड़ा कुत्ते को टहलाते हुए
Getty Images
एक वृद्ध जोड़ा कुत्ते को टहलाते हुए

3. कोशिकाओं का व्यवहार प्रभावित होता है

हमारे शरीर में एक विशेष प्रकार की प्रक्रिया होती है जिसे डीएनए एक्सप्रेशन कहते हैं, जिसमें किसी एक कोशिका में मौजूद हज़ारों जीन्स ये तय करते हैं कि उस कोशिका को क्या करना है .

मसलन, क्या उस कोशिका को त्वचा वाली कोशिका के तौर पर काम करना है या मस्तिष्क कोशिका के रूप में.

लेकिन समय और जीवनशैली इन निर्देशों को बदल सकते हैं. ऐसे में कोशिकाएं भी अपने तय व्यवहार से अलग तरीक़े से व्यवहार कर सकती हैं.

डांस करता एक वृद्ध जोड़ा
Getty Images
डांस करता एक वृद्ध जोड़ा

4. कोशिकाओं के नवीनीकरण की क्षमता ख़त्म हो जाती है

हमारी कोशिकाओं में क्षतिग्रस्त घटकों के संचय को रोकने के लिए शरीर में नवीनीकरण की क्षमता होती है.

लेकिन बढ़ती उम्र के साथ ही ये क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है.

ऐसे में कोशिकाएं बेकार या ज़हरीले प्रोटीन जमा करने लगती हैं- जो कई बार अल्ज़ाइमर का कारण बन जाता है. कई बार इसकी वजह से पार्किन्संस और मोतियाबिंद का ख़तरा भी बढ़ जाता है.

मानव कोशिकाएं
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मानव कोशिकाएं

5. कोशिकाएं मेटाबॉलिज़्म कंट्रोल खो देती हैं

बढ़ती उम्र के साथ कोशिकाएं वसा और शक्कर के तत्व को सोखने की क्षमता खोती जाती हैं.

इसके चलते बहुत बार मधुमेह की शिकायत हो जाती है. बढ़ती उम्र में जिन लोगों को मधुमेह की शिकायत होती है उन लोगों में विशेष रूप से यही कारण होता है- उम्रदराज़ शरीर उन सभी पोषक तत्वों को ग्रहण नहीं कर पाता है जो वो खाता है.

कोशिकाएं
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कोशिकाएं

6. माइटोकॉन्ड्रिया काम करना बंद कर देता है

माइटोकॉन्ड्रिया शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है लेकिन समय के साथ ये अपनी क्षमता खोने लगते हैं.

इनके कमज़ोर पड़ने से डीएनए पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. जून में विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि वैज्ञानिकों ने माइटोकॉन्ड्रिया को री-स्टोर करके चूहों में झुर्रियों को दूर कर दिया.

एक वृद्ध व्यक्ति
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एक वृद्ध व्यक्ति

7. कोशिकाएं ज़ॉम्बी की तरह काम करती हैं

जब कोई कोशिका बहुत अधिक चोटिल हो जाती है तो वह विघटित होना तो बंद हो जाती है लेकिन मरती नहीं है.

ये ज़ॉम्बी सेल अपने आस-पास की कोशिकाओं को भी संक्रमित करने लगती है और इसके चलते पूरे शरीर में सूजन हो जाती है.

ये कोशिकाएं उम्र और समय के साथ जमा होने लगती हैं.

सैर करता एक जोड़ा
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सैर करता एक जोड़ा

8. स्टेम सेल अपनी क्षमता खोने लगती हैं

उम्र बढ़ने के साथ कोशिकाओं की पुनरुत्पादक क्षमता में कमी आ जाती है.

स्टेम कोशिकाएं थकने लगती हैं. हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि स्टेम कोशिकाओं के कायाकल्प से बढ़ती उम्र के शारीरिक लक्षणों को सामने आने से रोका जा सकता है.

एक महिला
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एक महिला

9. कोशिकाएं एक-दूसरे से संपर्क करना बंद कर देती हैं

कोशिकाएं हमेशा एक-दूसरे से संपर्क में रहती हैं लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है उनका ये आपसी संपर्क घटने लग जाता है.

उनके बीच संपर्क नहीं होने का असर ये होता है कि शरीर में सूजन आ जाती है.

इसका नतीजा ये होता है कि वे रोगजनक और घातक कोशिकाओं के प्रति सक्रिय नहीं रह जाती हैं.

सेरानो का कहना है कि भले ही यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता है लेकिन एक स्वस्थ जीवनशैली से इसके प्रभाव को कम ज़रूर किया जा सकता है.

"आज के समय में बुज़ुर्ग ज़्यादा स्वस्थ और धनी हैं. जो सबसे बेहतर चीज़ हम कर सकते हैं वो ये कि हम अपनी ज़िंदगी को खुलकर जिएं."

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English summary
Nine symptoms that tell you that you are getting old
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