NGT ने दी डीएमआरसी को चेतावनी, जल दोहन नहीं रुका तो बंद हो जाएगी मेट्रो
नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिना अनुमति बेहिसाब भूमिगत जल दोहन करने पर गुरुवार को दिल्ली मेट्रो को न सिर्फ फटकार लगाई बल्कि मेट्रो को रोक देने की चेतावनी दी। मंत्रालय, सेंट्रल ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी, दिल्ली जल बोर्ड और याचिकाकर्ता कुश कालरा को निर्देश दिया कि वे संयुक्त रूप से इसकी जांच करें कि कितने स्टेशनों पर जमीन से बिना इजाजत पानी खींचा जा रहा है और कितनों पर इसके लिए मंजूरी है।
एनजीटी ने पूछा कि डीएमआरसी किसकी अनुमति से अपने अलग-अलग स्टेशनों पर 276 बोरवेल का इस्तेमाल कर रही है। अगर डीएमआरसी ने ये जवाब नहीं दिया तो एनजीटी कोर्ट दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा को रोकने का आदेश दे सकती है।
दिल्ली में ग्राउंड वॉटर की समस्या और मेट्रो धोने पर हो रहा पानी खर्च
मामले में अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। पिछली सुनवाइयों के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से एडवोकेट साक्षी पोपली ने बेंच को बताया था कि उसने कभी भी डीएमआरसी को जमीन से पानी खींचने की इजाजत नहीं दी, लेकिन मेट्रो कंपनी ने शहरभर में करीब 276 बोरवेल लगा रखे हैं, जिसकी मंजूरी उसके पास नहीं है।
कुश कालरा का आरोप है कि डीएमआरसी अपनी ट्रेनों को धोने के लिए वेस्ट वॉटर का इस्तेमाल करने की बजाए जमीन से पानी खींच रही है। इससे जलस्तर में गिरावट आ रही है। याचिका की सुनवाई जस्टिस स्वतंत्र कुमार कर रहे हैं। कोर्ट ने डीएमआरसी और दिल्ली जल बोर्ड को आदेश दिया है कि वह बैठक कर तय करें कि डीएमआरसी के कितने स्टेशन भूजल का दोहन कर रहे हैं। जबकि दूसरी ओर हाल ही में दिल्ली जल बोर्ड ने कोर्ट में हलफनामा दिया था कि डीएमआरसी ने बारेवेल लगाने के लिए उसकी अनुमति नहीं ली है।