NGT का निर्देश- एक दिन में केवल 50 हजार लोग ही कर सकेंगे वैष्णो देवी के दर्शन, जानिए दरबार से जुड़ी खास बातें
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नई दिल्ली। आज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अहम फैसला लिया है, उसने मां वैष्णो देवी के दर्शन को लेकर एक अहम आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक अब एक बार में 50 हजार से ज्यादा लोगों को ऊपर नहीं जाने दिया जाएगा, एनजीटी ने कहा है कि अगर दर्शन करने के लिए 50 हजार से ज्यादा लोग होते हैं तो उन्हें अर्द्धकुंवारी या फिर कटरा पर ही रोक दिया जाएगा, ये फैसला उसने सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर लिया है। आपको बता दें कि मां वैष्णों देवी के दरबार में 50 हजार लोगों की ही क्षमता है, इसके साथ ही एनजीटी ने यात्रा मार्ग पर किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी है, एनजीटी ने अपने आदेश में कटरा में गंदगी फैलाने वालों पर भी जुर्माना लगाने की बात कही है।
5,200 फ़ीट की ऊंचाई
कहते हैं आस्था के इस मानक पर मत्था टेकने से हर इंसान की समस्या का समाधान हो जाता है। आपको जानकर हैरत होगी कि वैष्णो देवी भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक मानक धार्मिक तीर्थ-स्थल है, मां एक पर्वत की गुफा में आसीन हैं, ये गुफा त्रिकुट पर्वत पर स्थित है। मां का मंदिर 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है, इस मंदिर की देख-रेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल द्वारा की जाती है। इस तीर्थ-यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए अब उधमपुर से कटरा तक ट्रेन चलाई गई है
गुफा का नाम 'अर्धक्वांरी'
मां के मानक रूप की कई कथाएं हैं, कहा जाता है कि मां का एक भक्त था श्रीधर, जो कि निर्धन था। मां के आशीष से उसने अपने गांव में एक भंडारा रखा जहां भैरवनाथ भी आया और उसने श्रीधर से कहा कि उसे मांस-मदिरा दो, जिस पर श्रीधर राजी नहीं हुआ। उस भंडारे में मां दुर्गा भी कन्या रूप में आयी थीं। उन्होंने भी भैरवनाथ को काफी समझाया, जिस पर भैरवनाथ को गुस्सा आ गया वो कन्या के पीछे भागा, कन्या बनीं मां वैष्णों पर्वत के गुफा में जाकर बैठ गईं जिसके कारण उस गुफा का नाम 'अर्धक्वांरी' पड़ा।
मां की चरण पादुका
मां ने 'अर्धक्वांरी' गुफा में नौ महीने तपस्या की थी और भगवान हनुमान को कहा कि जब तक वो तपस्या करे तब तक वो भैरवनाथ से खेलें। गुफा के पास मां की चरण पादुका भी है।
जलधारा को 'बाणगंगा'
कहते हैं हनुमान जी को प्यास लगी थी तब मां ने बाण के जरिये त्रिकुट पर्वत से जलधारा निकाली और अपने बाल धोये, जिसके बाद वो जलधारा पीने योग्य हो गई इस कारण मंदिर के पास की जलधारा को 'बाणगंगा' कहते हैं
मां काली -मां सरस्वती-मां लक्ष्मी
जिस जगह पर मां वैष्णो देवी ने हठी भैरवनाथ का वध किया, वह स्थान आज पूरी दुनिया में 'भवन' के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थान पर मां काली (दाएँ), मां सरस्वती (बाएँ) और मां लक्ष्मी पिंडी (मध्य) के रूप में गुफा में विराजित है। इन तीनों के सम्मिलित रूप को ही मां वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है।
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