लोकसभा चुनाव से पहले आया पंजाब का बड़ा सर्वे, जानें क्या है जनता का मूड
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनावों में अब कुछ हफ्तों का समय बचा है। देश के प्रमुख राजनीतिक दल पार्टियों के प्रचार अभियान में जुट गए हैं। पंजाब राज्य में मतदाताओं के मूड को भांपने के लिए समाचार चैनल न्यूज नेशन ने एक सर्वे कराया है। सर्वे के माध्यम से जब पूछा गया कि 'प्रधानमंत्री के लिए पहली पसंद कौन है? तो सर्वे में 38 फीसदी लोगों ने नरेंद्र मोदी को अपनी पहली पसंद बताया। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 30 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। ये आंकड़े कुछ हद तक जम्मू-कश्मीर में न्यूज़ नेशन द्वारा किए गए ओपिनियन पोल के समान हैं। जहां पर 37 प्रतिशत लोगों ने पीएम नरेंद्र मोदी और 30 प्रतिशत लोगों ने राहुल गांधी को वोट दिए हैं।
केंद्र सरकार के काम से खुश नहीं है पंजाब की जनता
सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि '2019 लोकसभा चुनाव के लिए मुख्य मुद्दा क्या होगा? तो राज्य के लोगों की नजर में बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। 27 प्रतिशत लोगों ने रोजगार के मुद्दे को सबसे अहम माना। अन्य मुद्दों में मुद्रास्फीति (16 प्रतिशत), भ्रष्टाचार (9 प्रतिशत), जीएसटी-नोटबंदी (16 प्रतिशत) और नशीली दवाओं के दुरुपयोग (7 प्रतिशत) है। सर्वे में दूसरा महत्वपूर्ण सवाल यह था कि क्या राज्य में कांग्रेस सरकार के काम से लोग संतुष्ट हैं? इसके उत्तर में 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नहीं हैं और 38 प्रतिशत ने कहा कि वे संतुष्ट हैं। इसी तरह, 53 प्रतिशत लोग केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार से खुश नहीं हैं और केवल 33 प्रतिशत को लगता है कि केंद्र सरकार अच्छा काम कर रही है।
पंजाब में बीजेपी का पलड़ा भारी
सर्वे में यह पूछे जाने पर कि 'आपको किस पार्टी / गठबंधन से लगता है कि आपके मुद्दों को हल कर देगी। इस सवाल पर लोगों ने कांग्रेस और भाजपा-अकाली गठबंधन दोनों को ही 34 प्रतिशत वोट दिए। जबकि, आम आदमी पार्टी (आप) को 13 फीसदी वोट मिले। पोल के मुताबिक, बीजेपी-एसएडी गठबंधन 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद राज्य में मजबूती से वापसी कर रहा है। ओपिनियन पोल में लगाए गए अनुमान के मुताबित, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और शिअद-भाजपा गठबंधन को 32 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है और अरविंद केजरीवाल की AAP को 19 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 117 सदस्यीय मजबूत विधानसभा में 77 सीटें जीती थीं। SAD-BJP गठबंधन आम आदमी पार्टी (AAP) के बाद तीसरे स्थान पर रहा था। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP ने 20 सीटें जीती थीं जबकि अकाली दल 15 सीटें जीतने में सफल रही थी। उसके सहयोगी दल बीजेपी 3 सीटों पर सिमट गई।
पंजाब में कांग्रेस को बड़ी बढ़त
2014 के लोकसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भाजपा गठबंधन ने पंजाब में 6 सीटें (SAD: 4 और BJP: 2) जीतने में सफल रही थीं। AAP ने इन चुनावों में चार सीटों पर जीत हासिल कर शानदार शुरुआत की थी। कांग्रेस केवल तीन सीटें जीतने में सफल रही थी। अगर बात 2019 के लोकसभा चुनावों की करें तो SAD-BJP गठबंधन को 5 सीटें जीतने की संभावना है और कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों में 6 सीटें जीत सकती है। AAP भी एक सीट जीतती दिख रही है। सर्वे में जब लोगों से यह पूछा गया कि, क्या मोदी सरकार चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब दे रही है? इस सवाल पर 32 फीसदी लोगों ने 'हां' कहा, जबकि 49 फीसदी लोगों ने 'नहीं' कहा। 48 फीसदी लोगों ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का मुख्य फोकस राजनीति है और 33 फीसदी लोगों ने कहा कि सरकार विकास पर केंद्रित है।
सर्वे: राजस्थान में राहुल गांधी को पछाड़ मोदी बने प्रधानमंत्री पद की पहली पसंद
केंद्र सरकार के काम से खुश नहीं है पंजाब की जनता
सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि '2019 लोकसभा चुनाव के लिए मुख्य मुद्दा क्या होगा? तो राज्य के लोगों की नजर में बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। 27 प्रतिशत लोगों ने रोजगार के मुद्दे को सबसे अहम माना। अन्य मुद्दों में मुद्रास्फीति (16 प्रतिशत), भ्रष्टाचार (9 प्रतिशत), जीएसटी-नोटबंदी (16 प्रतिशत) और नशीली दवाओं के दुरुपयोग (7 प्रतिशत) है। सर्वे में दूसरा महत्वपूर्ण सवाल यह था कि क्या राज्य में कांग्रेस सरकार के काम से लोग संतुष्ट हैं? इसके उत्तर में 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नहीं हैं और 38 प्रतिशत ने कहा कि वे संतुष्ट हैं। इसी तरह, 53 प्रतिशत लोग केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार से खुश नहीं हैं और केवल 33 प्रतिशत को लगता है कि केंद्र सरकार अच्छा काम कर रही है।
पंजाब में बीजेपी का पलड़ा भारी
सर्वे में यह पूछे जाने पर कि 'आपको किस पार्टी / गठबंधन से लगता है कि आपके मुद्दों को हल कर देगी। इस सवाल पर लोगों ने कांग्रेस और भाजपा-अकाली गठबंधन दोनों को ही 34 प्रतिशत वोट दिए। जबकि, आम आदमी पार्टी (आप) को 13 फीसदी वोट मिले। पोल के मुताबिक, बीजेपी-एसएडी गठबंधन 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद राज्य में मजबूती से वापसी कर रहा है। ओपिनियन पोल में लगाए गए अनुमान के मुताबित, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और शिअद-भाजपा गठबंधन को 32 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है और अरविंद केजरीवाल की AAP को 19 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 117 सदस्यीय मजबूत विधानसभा में 77 सीटें जीती थीं। SAD-BJP गठबंधन आम आदमी पार्टी (AAP) के बाद तीसरे स्थान पर रहा था। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP ने 20 सीटें जीती थीं जबकि अकाली दल 15 सीटें जीतने में सफल रही थी। उसके सहयोगी दल बीजेपी 3 सीटों पर सिमट गई।
पंजाब में कांग्रेस को बड़ी बढ़त
2014 के लोकसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भाजपा गठबंधन ने पंजाब में 6 सीटें (SAD: 4 और BJP: 2) जीतने में सफल रही थीं। AAP ने इन चुनावों में चार सीटों पर जीत हासिल कर शानदार शुरुआत की थी। कांग्रेस केवल तीन सीटें जीतने में सफल रही थी। अगर बात 2019 के लोकसभा चुनावों की करें तो SAD-BJP गठबंधन को 5 सीटें जीतने की संभावना है और कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों में 6 सीटें जीत सकती है। AAP भी एक सीट जीतती दिख रही है। सर्वे में जब लोगों से यह पूछा गया कि, क्या मोदी सरकार चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब दे रही है? इस सवाल पर 32 फीसदी लोगों ने 'हां' कहा, जबकि 49 फीसदी लोगों ने 'नहीं' कहा। 48 फीसदी लोगों ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का मुख्य फोकस राजनीति है और 33 फीसदी लोगों ने कहा कि सरकार विकास पर केंद्रित है।
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केंद्र सरकार के काम से खुश नहीं है पंजाब की जनता
सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि '2019 लोकसभा चुनाव के लिए मुख्य मुद्दा क्या होगा? तो राज्य के लोगों की नजर में बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। 27 प्रतिशत लोगों ने रोजगार के मुद्दे को सबसे अहम माना। अन्य मुद्दों में मुद्रास्फीति (16 प्रतिशत), भ्रष्टाचार (9 प्रतिशत), जीएसटी-नोटबंदी (16 प्रतिशत) और नशीली दवाओं के दुरुपयोग (7 प्रतिशत) है। सर्वे में दूसरा महत्वपूर्ण सवाल यह था कि क्या राज्य में कांग्रेस सरकार के काम से लोग संतुष्ट हैं? इसके उत्तर में 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नहीं हैं और 38 प्रतिशत ने कहा कि वे संतुष्ट हैं। इसी तरह, 53 प्रतिशत लोग केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार से खुश नहीं हैं और केवल 33 प्रतिशत को लगता है कि केंद्र सरकार अच्छा काम कर रही है।
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