बिजली वितरण कंपनियों (Discom's) में सुधार के लिए सरकार ने बनाई नई टैरिफ पॉलिसी
नई दिल्ली। कोरोनवायरस लॉकडाउन प्रेरित लॉकडाउन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा के अगले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 94, 000 करोड़ रुपए की देनदारियों से जूझ रही बिजली वितरण कंपनियों को उबारने के लिए इमरजेंसी लिक्विड के रूप में 90, 000 करोड़ रुपए का ऋण प्रदान किया था, लेकिन अब सरकार ने डिस्काम के सुधार की दिशा एक नए टैरिफ नीति का खाका तैयार किया है। इसके अलावा सरकार ने केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण को निजी हाथों में सौंपने का भी विचार किया है।
सरकार द्वारा बिजली वितरण कंपनियों के सुधार तहत तैयार टैरिफ नीति में उपभोक्ता अधिकारों के तहत कहा गया है कि डिस्काम की अक्षमता का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ना चाहिए। मानक सेवा के लिए डिस्काम के लिए संबंधित दंड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा डिस्काम को पर्याप्त बिजली को सुनिश्चित करने को कहा गया है और बिजली कटौती करने पर भी दंड की अनुशंसा की गई है।
A Tariff Policy laying out the reforms in
▪️ Consumer Rights
▪️ Promote Industry
▪️ Sustainability of Sectorto be released. #AatmaNirbharEconomy pic.twitter.com/ygKyhVKrwi
— PIB India #StayHome #StaySafe (@PIB_India) May 16, 2020
बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) के लिए 90, 000 करोड़ की इमरजेंसी लिक्विडिटी की घोषणा
टैरिफ नीति में सुधार के अगले चरण यानी डिस्काम्स को प्रोत्साहन देने के लिए क्रॉस सब्सिडी में प्रगतिशील कमी लाने, ओपेन एक्सेस के लिए समयबद्ध अनुदान देने और पॉवर जनरेशन और ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट डेवलपर्स के चयन को प्रतिस्पर्धी बनाने को कहा गया है।
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वहीं, सुधार के अगले चरण में सेक्टर की स्थिरता पर जोर दिया गया है। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियों के पास कोई नियामक संपति नहीं होगी, बिजली बनाने करने वाली कंपनियों का भुगतान समय से करने और सब्सिडी के लिए डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर सेवा और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के इस्तेमाल जोर दिया गया है।
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