भारत के लिए फ्रांस से रवाना हुए पांच राफेल जेट, 29 जुलाई को होगी मेगा लैंडिंग
पेरिस।
भारतीय
वायुसेना
(आईएएफ)
की
फाइटर
स्क्वाड्रन
के
साथ
जुड़ने
के
लिए
फ्रांस
की
के
मेरीनैक
से
पांच
राफेल
जेट
भारत
के
लिए
रवाना
हो
चुके
हैं।
पेरिस
स्थित
भारतीय
दूतावास
की
तरफ
से
इस
बात
की
जानकारी
दी
गई
है।
ये
जेट
मीडिल
ईस्ट
में
एक
स्टॉप
लेकर
फिर
भारत
आएंगे।
29
जुलाई
को
राफेल
अंबाला
स्थित
एयरफोर्स
स्टेशन
में
आईएएफ
का
हिस्सा
बन
जाएगा।
राफेल
का
निर्माण
डसॉल्ट
एविएशन
कंपनी
करती
है।
पिछले
वर्ष
इसकी
दो
फोटोग्राफ्स
सामने
आई
थीं।
यह भी पढ़ें-काराकोरम में भारत ने चीन के खिलाफ तैनात किए T90 टैंक
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क्या है राफेल की टेल पर RB का मतलब
पहले राफेल जेट का टेल नंबर RB-001 है और इसी तरह से सभी राफेल के नंबर दिए गए हैं। RB राफेल पर आईएएफ चीफ, चीफ एयरमार्शल आरकेएस भदौरिया को सम्मानित करते हुए लिखा गया है। आईएएफ चीफ ने करीब 60,000 करोड़ की इस डील में अहम रोल अदा किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पिछले वर्ष अक्टूबर में पेरिस गए थे। यहां पर उन्होंने दशहरे और आईएएफ डे के मौके पर शस्त्र पूजा के साथ स्वीकार किया था। राफेल जेट पहले मई में भारत आने वाले थे लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से इनकी डिलीवरी की तारीख को आगे सरका दिया गया था। बाकी के राफेल जेट्स सितंबर 2022 तक देश में आ जाएंगे।
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24 पायलट्स को मिलेगी तीन बैच में ट्रेनिंग
भारत के लिए तैयार राफेल को इसकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए खास उपकरणों से लैस किया गया है। इस फाइटर जेट्स में भारतीय पायलट के एक ग्रुप को पहले ही ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अब तीन बैच में 24 पायलट्स को फिर से ट्रेनिंग दी जाएगी। राफेल की पहली कॉम्बेट यूनिट वही गोल्डन एरो स्क्वाड्रन होगी जिसे सन् 1999 में कारगिल की जंग के समय आईएएफ के पूर्व चीफ एयर मार्शल बीएस धनोआ ने कमांड किया था। वहीं इस एयरक्राफ्ट की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगी । यहां पर राफेल की स्क्वाड्रन को चीन से सटे बॉर्डर को ध्यान में रखते हुए रखा जाएगा। आईएएफ की 17 स्क्वाड्रन ने कारगिल की जंग के समय मिग-21 को ऑपरेट किया था और इसके पास उस समय की नंबर प्लेट भी है।
एक मिनट में 60,000 फीट की ऊंचाई
- एक बार में करीब 26 टन (26 हजार किलोग्राम) वजन के साथ उड़ान भरने में सक्षम है।
- यह जेट 3,700 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी हमला कर सकता है।
- इसके अलावा यह 36,000 से 60,000 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और यहां तक महज एक मिनट में पहुंच सकता है।
- एक बार टैंक फुल होने के बाद यह लगातार 10 घंटे तक हवा में रह सकता है।
- राफेल को हवा से जमीन और हवा से हवा में दोनों में हमला करने में प्रयोग किया जा सकता है।
- राफेल पर लगी गन एक मिनट में 125 फायर कर सकती है।
- यह हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है।
लीबिया में सबसे पहले पहुंचा राफेल
राफेल को साल 2011 में लीबिया में हुए सिविल वॉर में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया था। फ्रांस की सेना ने ऑपरेशन हारमाट्टान लॉन्च किया। इस पूरे ऑपरेशन में राफेल फाइटर जेट सहारा के रेगिस्तान के ऊपर उड़ान भरते। इसके बाद अमेरिकी सेनाएं और फिर ब्रिटिश सेना लीबिया में दाखिल हो गईं। इसके बाद कनाडा की सेना भी लीबिया में कूद पड़ी। लीबिया के सिविल वॉर में नो फ्लाइ जोन डिक्लेयर किया गया ताकि तानाशाह मुआम्मार गद्दाफी की सेना किसी तरह का कोई कदम न उठा सके। 19 मार्च 2011 को पेरिस में इस पूरे मिलिट्री एक्शन की तैयारी हुई थी। इस मीटिंग के बाद राफेल, लीबिया में दाखिल हुए। राफेल पहले फाइटर जेट्स थे जिन्होंने लीबिया की सेनाओं को निशाना बनाया और चार टैंक्स तबाह कर डाले थे।