पुडुचेरी जैसा होगा नया जम्मू-कश्मीर, केंद्र शासित प्रदेश बनने से ऐसे चलेगा प्रशासन
नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर के विशेषाधिकार खत्म करने और जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 के तहत अब यह एक राज्य न रहकर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है- जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख। आइए समझते हैं कि इसका मतलब है क्या है, वहां की विधानसभा और सरकार पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
पुडुचेरी की तरह काम करेगा जम्मू-कश्मीर
संविधान का जो अनुच्छेद 239ए केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में लागू है, वही अनुच्छेद अब नए जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में भी लागू होगा। नए केंद्र शासित प्रदेश का क्षेत्र वहां तक होगा जहां मौजूदा समय में जम्मू एवं कश्मीर का क्षेत्र आता है (लद्दाख इलाके को छोड़कर)। यहां की कानून एवं व्यवस्था केंद्र सरकार के हाथों में रहेगी। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वहां केंद्र को वित्तीय आपातकाल लगाने का भी अधिकार रहेगा। जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा राज्यपाल की जगह अब वहां जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल की तैनाती होगी। इस फैसले के तहत संविधान के पहले भाग से राज्य सूची में शामिल जम्मू एवं कश्मीर को 15वें स्थान से हटा दिया गया है। उसकी जगह अब संविधान के पहले भाग में केंद्र शासित प्रदेशों के 8 वें स्थान पर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की नई एंट्री की गई है।
जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा
नई जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में कुल 107 विधायक होंगे। इन 107 विधायकों में से 24 सीटें पाकिस्तान की कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) के विधायकों के लिए खाली रखी जाएंगी। मौजूदा विधानसभा में 111 सदस्यों का प्रावधान है, जिसमें 87 चुने जाते हैं, 2 मनोनीत होते हैं और 24 पाकिस्तानी कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) के लिए खाली छोड़ा जाता है। नए जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल को 2 महिला सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार होगा, जब अगर उन्हें लगेगा कि विधानसभा में महिला सदस्यों के प्रतिनिधित्व का अभाव है। यही नहीं विधानसभा से जो भी विधेयक पास होगा, उसे मंजूरी देने, उसे अपने पास विचार के लिए रखने और राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजने का भी उपराज्यपाल के पास अधिकार होगा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में मुख्यमंत्री विधानसभा की सदस्यों की कुल संख्या के 10 फीसदी से ज्यादा मंत्रियों की नियुक्ति नहीं कर सकेंगे।
विधानसभा के कानून पर संसद का प्रभुत्व
मौजूदा जम्मू एवं कश्मीर की तरह ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के पास भी राज्यसभा की 4 सीटें रहेंगी। जबकि, लोकसभा की 5 सीटें केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और 1 सीट केंद्र शासित लद्दाख के पास रहेगी। अगर संसद द्वारा पारित किसी कानून और जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा कानून में कोई विरोधाभाष होगा तो संसद का कानून ही प्रभावी होगा।
जम्मू एवं कश्मीर में परिसीमन का भी प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा के परिसीमन का भी प्रस्ताव रखा है। यहां के लिए सरकार ने सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने का प्रस्ताव रखा है। परिसीमन का आधार 2011 की जनगणना होगी। हालांकि, जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मौजूदा जम्मू एवं कश्मीर हाई कोर्ट ही काम करता रहेगा।
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