तस्वीर- चर्चा में आयी धोनी की नई हेयर स्टाइल
नई दिल्ली | रांची में रविवार को महेंद्र सिंह धोनी का एक और नया रूप देखने को मिला। यह उस धोनी से बिल्कुल अलग था, जिसने पहली बार भारतीय टीम का मुंह देखा था। जाहिर है, चर्चा तो होनी ही थी। किसी ने धोनी के इस नए रूप को बाजार से जोड़ा तो किसी ने कहा कि यह उनके व्यक्तित्व का नया पहलू है। दरअसल, धोनी को समझने की जरूरत है। कुछ दिन पहले महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कहा था, "धोनी को समझ पाना किसी के वश में नहीं क्योंकि वह जैसे दिखते हैं, वैसे हैं नहीं। वह दिखावा नहीं करते लेकिन जो दिखाते हैं, उसके माध्यम से काफी कुछ कह जाते हैं।"
धोनी का मारियो बालेटोली (यूरोप का एक फुटबाल खिलाड़ी) स्टाइल बाल चर्चा में है। कहा जा रहा है कि इंग्लिश प्रीमियर लीग का ब्रांड अम्बेसडर बनने के बाद धौनी ने बाजार की खातिर यह नया रूप धरा है। ठीक वैसे ही अपनी एक कैंडी कंपनी के प्रचार के लिए इस साल रूसी टेनिस स्टार मारिया शारापोवा खुद को अमेरिकी ओपन में मारिया शुगरपोवा नाम से पेश करना चाहती थीं, लेकिन चोट के कारण वह इस टूर्नामेंट में नहीं खेल सकीं। कोई सेलेब्रिटी जब नया रूप धरता है तो उसके कई मतलब निकाले जाते हैं। धोनी के लिए रूप धरना नई बात नहीं। करियर के एक दशक से भी कम समय में धोनी ने आधा दर्जन से अधिक रूप धरे। एक समय उनके बाल लंबे हुआ करते थे और एक समय बिल्कुल ही गायब हो गए (विश्व कप-2011 के ठीक बाद)।
धोनी स्टाइल आयकन हैं। वह उस समाज से ताल्लुक रखते हैं, जहां स्टाइल में रहने को बहुत महत्व दिया जाता है। झारखंड की राजधानी होने के कारण रांची का अपना स्टाइल स्टेटमेंट है और धोनी उसके सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं। वह उसके अंतर्राष्ट्रीय रूप हैं, लेकिन रांची का देसी रूप और भी रंगीन है। यह रूप धोनी नहीं धर सकते, क्योंकि वह अब उसे आत्मसात नहीं कर सकते। धोनी जो करते हैं, दिल से और बेबाकी से करते हैं। किसी की पहवाह नहीं करते। शादी भी ऐसे ही की। मीडिया और दुनिया को हवा नहीं लगने दिया। और तो और पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ की भी पहवाह नहीं की, जिन्होंने कभी उन्हें अपने बाल नहीं कटवाने की सलाह दी थी।
धोनी
बाजार
में
क्रिकेट
के
सबसे
बड़े
प्रतिनिधि
और
विश्व
में
सचिन
तेंदुलकर
के
बाद
भारतीय
क्रिकेट
का
सबसे
बड़ा
नाम
बन
चुके
हैं।
दो
दर्जन
से
अधिक
ब्रांड
उनके
पास
हैं।
वह
पैसे
से
खेलते
हैं,
लेकिन
इसका
असर
उनके
खेल
पर
कभी
नहीं
दिखा।
वह
करोड़
रुपये
की
एसयूवी
पर
चलते
हैं
और
सुरक्षा
घेरा
की
परवाह
किए
बगैर
मोटरसाइकिल
पर
घूमते
हैं।
वह
भारतीय
क्रिकेट
टीम
का
कप्तान
होने
के
बावजूद
मोटर
रेसिंग
टीम
के
मालिक
हैं।
यह
सब
दिखाता
है
कि
धोनी
के
व्यक्तित्व
के
एक
नहीं
बल्कि
कई
आयाम
हैं
और
इसी
कारण
वह
किसी
एक
दायरे
में
बंधकर
नहीं
रहना
चाहते।
वह
क्रिकेट
के
ऐसे
पुरोधा
हैं,
जो
लोकप्रिय
बने
रहने
का
हर
एक
नुस्खा
जानते
हैं।
इन
सबके
बावजूद
धोनी
ने
अपनी
कुर्सी
बचाने
के
लिए
कभी
लोकप्रियता
के
टोटके
नहीं
आजमाए
या
फिर
बिना
मतलब
के
विवादों
में
नहीं
पड़े।
किसी क्रिकेट स्टार ने विज्ञापन में अपनी पत्नी के नाम का उपयोग नहीं किया लेकिन धोनी ने ऐसा किया। कारण, धोनी किसी परिधि में नहीं रहना चाहते। वह ऐसे शहर और समाज की नुमाइंदगी करते हैं, जो असीम है, बेहरवाह है। वह उन युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो बहुत बड़ा आदमी बनने के बाद भी अपने बचपन के दोस्तों को नहीं भूलते। यह सब दिखाता है कि धोनी का व्यक्तित्व कितना विशाल है। इस विशालता के पीछे उनकी सफलता नहीं बल्कि लोअर मिडिल क्लास का वह संस्कार है, जो उन्हें इन सबसे अलग नहीं होने देता। वह आधुनिक और पारंपरिक होने के बीच ऐसा संतुलन बनाकर चलते हैं, जो बहुत कम लोग कर पाते हैं, क्योंकि ऐसा करना आसान नहीं होता।
इंग्लैंड फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान डेविड बेकहम ने अपने करियर के दौरान दर्जनों बार हेअरस्टाइल बदला। उनका हर स्टाइल बेमिसाल होता था। वह आधुनिक फुटबाल के पोस्टरब्वाय बन गए। बेकहम का हर स्टाइल उनके व्यक्तित्व का स्टेटमेंट होता था। बेकहम जितने आधुनिक और कास्मोपॉलिटन रहे, विवाह और परिवार के मामले में उतने ही साधारण बने रहे। कुछ एक विवादों को छोड़ दिया जाए तो वह आज भी इंग्लिश फुटबाल का सबसे चहेता और चर्चित चेहरा हैं। धोनी के साथ भी यही है। वह भारतीय क्रिकेट या फिर खेल जगत के सबसे बड़े पोस्टरब्वाय हैं। बाजार का दुलारा होने के बावजूद सचिन, राहुल द्रविड़ या फिर सौरव गांगुली कभी पोस्टरब्वाय नहीं बन सके। इसके पीछे उनके व्यक्तित्व का संजीदापन रहा होगा लेकिन धोनी ने इन सबसे आगे निकलते हुए एक नया माहौल तैयार किया, जो उन्हें लोकप्रियता की रेस में सबसे आगे करता है। शायद बालीवुड के खान्स और कपूर्स से भी आगे।