सावधान आपकी हर हरकत पर रहेगी सरकार की कड़ी नजर, जानिए कैसे
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बेंगलुरु। सुरक्षा एंजेसियों की कड़ी निगरानी के बावजूद लगातार देश के दुश्मन अपराधों को अंजाम देने में कामयाब हो रहे हैं। इसका प्रमुख कारण हैं कि देश में बैठे गद्दार दुश्मनों की मदद कर रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार ने देश की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कमर कस ली हैं। इसी के तहत सरकार ने नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) का गठन किया हैं। 2020 से नेटग्रिड के द्वारा सरकार सभी की पल पल की हरकतो पर नजर रखेगी।
नेटग्रिड के तहत भारत सरकार के अंतर्गत सभी खुफिया सूचनाओं से प्राप्त सूचनाओं का एक ऐसा डाटाबेस तैयार करेगी जिसे जरुरत पड़ने पर कोई भी सुरक्षा एजेंसी हासिल कर सके। यह मजबूत इंटेलिजेंस संग्रहण तंत्र देश के अंदर इमिग्रेशन, बैंकिंग, व्यक्तिगत करदाताओं, आधारकार्ड, हवाई व ट्रेन यात्राओं से जुड़े हर पल के डाटा का विश्लेषण करेगा।
इसके
साथ
ही
प्राप्त
जानकारियां
सभी
केंद्रीय
सुरक्षा
एजेंसियों
को
'रियल
टाइम'जानकारी
उपलब्ध
कराएगा।
खुफिया
इनपुट
का
विश्लेषण
करने
के
लिए
नेटग्रिड
के
पास
देश
में
आने
वाले
और
यहां
से
जाने
वाले
हर
देशी-विदेशी
व्यक्ति
का
डाटा
होगा।
इसके
अलावा
बैंकिंग
व
वित्तीय
लेनदेन,
क्रेडिट
कार्ड
खरीदारी,
मोबाइल
व
फोन,
व्यक्तिगत
करदाताओं,
हवाई
यात्रियों,
रेल
यात्रियों
के
डाटा
तक
भी
इसकी
पहुंच
होगी।
यह नेटग्रिड का डाटा रिकवरी सेन्टर बेंगलुरु में होगा और दिल्ली में इसका मुख्यालय होगा। अधिकारिक सूचना के आधार पर सरकार के इस प्रोजेक्ट के तहत दोनों ही शहरों में निर्माण कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है। यह आफिस अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों और बड़े स्क्रीन के साथ लगभग पूरी तरह से तैयार है। इसके इंफास्ट्रक्चर को अंतिम रुप देने की समय सीम तय कर दी गई है। इस साल के दिसंबर में इसके उद्घाटन का समय निर्धारित किया गया है। माना जा रहा हैं कि मार्च तक यह प्रोजेक्ट संपूर्ण रुप से कार्य करने लगेगा।
इतना ही नहीं आयकर विभाग से लगभग करोड़ करदाताओं का डाटा हासिल करने की प्रक्रिया को नेटग्रिड प्रबंधन ने अंतिम रूप दे दिया है, जबकि घरेलू हवाई यात्रियों का डाटा हासिल करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशक और सभी एयरलाइंसों के साथ बातचीत अंतिम दौर में है। ऐसे में अगले साल के शुरू से इस सिस्टम के चालू होने की पक्की संभावना है। इस अधिकारी ने बताया कि 3400 करोड़ रुपये के नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) प्रोजेक्ट का काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के इस प्रोजेक्ट की समीक्षा करने के बाद इसमें और ज्यादा तेजी आ गई है।
नेटग्रिड का डाटा फिलहाल देश की 10 केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को रियल टाइम में उपलब्ध होगा, लेकिन राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों को इसका सीधा उपयोग करने का अधिकार नहीं दिया गया है। राज्य एजेंसियों को डाटा पाने के लिए किसी न किसी केंद्रीय एजेंसी की ही मदद लेनी होगी।
बैंकिंग लेनदेन और इमिग्रेशन का डाटा नेटग्रिड में 'रियल टाइम मैकेनिज्म' के तहत तत्काल उपलब्ध होगा। पहले चरण में नेटग्रिड से 10 यूजर एजेंसियों और 21 सेवा प्रदाताओं को जोड़ा गया है। बाद में 950 अन्य संगठनो को भी इससे जोड़ा जाएगा, जबकि आने वाले सालों में करीब 1000 अन्य संगठनों को इससे जोड़ने की योजना है।
फिलहाल नेटग्रिड इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), रिसर्च एंड एनालसिस विंग (रॉ), सीबीआई, ईडी, डीआईआई, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू), सीबीडीटी, सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज एंड इंटेलिजेंस (डीजीसीईआई) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को डाटा उपलब्ध करवाएगा।
केन्द्र सरकार पूरा कर रही चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट
बता दें देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 2008 में हुए भयानक आतंकी हमले के बाद तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने नेटग्रिड और नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी का गठन योजना बनाई थी। उस समय माना गया था कि रियल टाइम डाटा एनालसिस मैकेनिज्म नहीं होने के चलते ही इस हमले के लिए रेकी करने वाले पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हैडली के 2006 से 2008 के बीच देश में कई बार आने-जाने की निगरानी नहीं हो सकी थी।
यह पी चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट था 11 साल बाद इसका गठन नहीं हुआ। कांग्रेस नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार की कैबिनेट कमेटी (सुरक्षा) ने 8 अप्रैल, 2010 को नेटग्रिड बनाने को मंजूरी दी थी। लेकिन 2012 तक इसके गठन का काम फाइलों में दब गया था। 2014 में प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने 10 जून, 2016 को इस योजना की जानकारी मिलने पर दोबारा काम शुरू कराया था। इसके बाद से ही पूरा सिस्टम तैयार किया जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने ने सिर्फ इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई बल्कि इस साल के अंत ते इसे अंतिम रुप देने में जुटे हुए हैं।