बिहार में हाथरस जैसा मामला: नेपाली रेप पीड़िता के शव को जलाया गया, पुलिस पर मिलीभगत का आरोप

बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में 'दूसरा हाथरस' दोहराया गया है. यहां 12 साल की एक नेपाली मूल की बच्ची के साथ पहले कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर हत्या करके उसके शव को जबरन जला दिया गया.
प्राथमिक जांच और एक वायरल ऑडियो से ये संकेत मिलते हैं कि इस पूरी घटना को स्थानीय थाने के थानाध्यक्ष की मदद से अंजाम दिया गया है.
एसपी नवीनचंद्र झा ने बीबीसी को इस संबंध में बताया, "जो ऑडियो वायरल हुआ है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि थानाध्यक्ष संजीव कुमार रंजन ने लापरवाही और कर्तव्यहीनता बरती है. उन्हें निलंबित किया गया है और जांच के दौरान साक्ष्य पाए जाने पर उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की जाएगी."
क्या है मामला?
नेपाल के बारबर्दिया नगरपालिका के रहने वाले सुरेश (बदला हुआ नाम) बीते सात साल से मोतिहारी के कुंडवा चैनपुर में मज़दूरी करते हैं.
सुरेश के मुताबिक, ये घटना 21 जनवरी की है. उस वक्त उनकी पत्नी नेपाल स्थित अपने गांव गई हुई थीं, सुरेश ख़ुद मज़दूरी करने गए थे और बेटा किसी काम से बाज़ार गया हुआ था.
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पूर्वी चंपारण के सिकहना, अनुमंडल पदाधिकारी को सुरेश की तरफ़ से प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दिए गए आवेदन के मुताबिक, "शाम 4 बजे के करीब जब मेरा बेटा बाज़ार से लौटने लगा तो हमारे मकान मालिक सियाराम साह ने उसे रोका. लेकिन मेरा बेटा उनकी बात अनसुनी करके घर पहुंचा तो देखा कि उसकी बहन ज़मीन पर घायल पड़ी है. ये देखकर वो मुझे बुला लाया. मैं घर पहुंचा तो देखा कि मेरी बेटी ज़मीन पर पड़ी है और उसके गले में लाल निशान है. मैं उसे इलाज के लिए स्थानीय चिकित्सक के पास लेकर गया लेकिन किसी ने इलाज नहीं किया."

सुरेश के मुताबिक इसके बाद कई लोग (अभियुक्त) वहां इकठ्ठा हो गए और उस पर लाश को जलाने के लिए दबाव बनाने लगे.
शिकायत के मुताबिक, "देवेन्द्र कुमार साह ने लाश जल्द जलाने का दबाव बनाते हुए ये धमकी दी कि यदि लाश जल्दी नहीं जलाई तो तुमको और तुम्हारे बेटे की हत्या कर नेपाल में फेंक देंगे. इसके बाद एक सादे कागज़ पर भी अंगूठा लगवा लिया गया और रात बारह बजे बलपूर्वक पोखर रोड में सड़क के किनारे नमक और चीनी डलवा कर लाश जलवा दी. सुबह होते ही मुझे (सुरेश) नेपाल की ओर भगा दिया."
घटना के 12 दिन बाद दर्ज हुई एफ़आईआर
21 जनवरी को हुई इस घटना की प्राथमिकी 2 फरवरी को दर्ज की गई. कुंडवा चैनपुर में कांड संख्या -21 /21 दिनांक 02.02.2021 भारतीय दंड संहिता की धारा 149/342/450/376(डी,बी),120(बी)/302/201 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
कुल 11 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है जिसमें से चार अभियुक्तों विनय साह, दीपक कुमार साह, रमेश साह, देवेन्द्र कुमार साह पर सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का आरोप है. वहीं अन्य सात पर जिनमें मकान मालिक सियाराम साह भी शामिल हैं उन पर लाश को ज़बरदस्ती जला कर साक्ष्य मिटाने का आरोप लगाया गया है.
मामले में एफ़आईआर दर्ज होने के बाद, बीती 5 फरवरी को एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें 21 जनवरी को कुंडवा चैनपुर के थानाध्यक्ष संजीव कुमार रंजन और एक अभियुक्त रमेश साह के बीच की बातचीत है. इस बातचीत में थानाध्यक्ष संजीव कुमार, अभियुक्त रमेश साह से कह रहे हैं, "लकड़ी की व्यवस्था कर दो और ये लिखवा लो कि लड़की ठंड से मर गई."
एसपी नवीनचंद्र झा ने बीबीसी को बताया, "इस मामले में 2 नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है. अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सिकहरना के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है."
'इंडिया में सब आदमी इसी तरह का है?'
इस मामले में बीबीसी की पीड़िता के परिजनों से बात नहीं हो सकी है. लेकिन पीड़िता के पिता सुरेश (बदला हुआ नाम), मां, भाई और लड़की की बहन के पति से स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा किशोर ने वीडियो कॉल पर बात की है. इस वीडियो में पीड़िता के परिजन कह रहे हैं, "क्या इंडिया में सब आदमी इसी तरह का है, क्या सारी पुलिस ऐसी है, हमें न्याय चाहिए. उन्होंने लाश को दफ़न नहीं करने दिया, बल्कि बाध्य करके जलवा दिया."
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स्पष्ट है कि इस मामले में पीड़िता का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था, ऐसे में महत्वूर्ण साक्ष्य भी लाश जलने से मिट गए. वहीं पुष्पा किशोर ने बीबीसी से बताया, "लड़की की मां 31 जनवरी को मेरे मोतिहारी स्थित घर आई थी और छाती पीट पीट कर रो रही थी कि हमें न्याय चाहिए."
'नीतीश सरकार, योगी सरकार के नक्शे कदम पर'
साल 2005 से नीतीश सरकार के चौथी दफा सत्तासीन होने के बाद राज्य को पहली महिला उपमुख्यमंत्री रेणु देवी मिली हैं. लेकिन ये एक स्वर्णिम लगने वाला ऐतिहासिक तथ्य, राज्य में महिलाओं के साथ बढ़ती बर्बर हिंसा पर लगाम नहीं लगा रहा है.
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बीते 4 महीनों की ही बात करें तो अक्टूबर 2020 में वैशाली की एक 20 साल की युवती को छेड़खानी का विरोध करने पर ज़िंदा जला दिया गया था, जिसकी मौत हो गई.
वहीं मधुबनी की एक मूक बधिर नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म करके उसकी दोनों आंखों को फोड़ दिया गया था.
नाबालिग बच्ची की मां ने बीबीसी को बताया, "एक आंख का ऑपरेशन हुआ है, जो ठीक है. लेकिन हमें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही. जिन्होंने उसके साथ ये किया, उन्हें फांसी होनी चाहिए." इसके अलावा मुज़फ्फरपुर में भी 12 साल की एक बच्ची को दुष्कर्म करके जलाने की घटना 12 जनवरी को सामने आई थी.
बिहार पुलिस के आंकड़े देखें तो साल 2011 में दुष्कर्म के 934 मामले सामने आए थे जो साल 2019 में 1450 हो गए. नवंबर 2020 तक बिहार पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक 1330 मामले दुष्कर्म के दर्ज हुए थे. वहीं स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट 'क्राइम इन बिहार 2019' के मुताबिक, साल 2019 में 730 मामले दुष्कर्म के रिपोर्ट हुए.
इसमें सिर्फ़ एक मामले में 18 साल से कम उम्र की बच्ची का दुष्कर्म रिपोर्ट किया गया है. बाकी सभी 729 मामलों में 'एडल्ट विक्टम' लिखा है. जिसमें 18 से 30 साल की महिलाओं के दुष्कर्म से जुड़े 558 मामले, 30 से 45 साल में 149 मामले, 45 से 60 साल में 22 मामले और 60 साल से ऊपर की महिलाओं के साथ शून्य मामला दिखाया गया है. इस रिपोर्ट में लिखा है कि कुल 730 में से 718 मामलों में दुष्कर्म के आरोपी जान पहचान के ही थे.
महिला संगठन ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी कहती हैं, "इस मामले में तो थानाध्यक्ष को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. बाकी महिलाओं के ख़िलाफ़ बिहार में लगातार बढ़ते मामले ये दिखा रहे हैं कि नीतीश सरकार अब यूपी की योगी सरकार के नक्शे क़दम पर चल रही है जहां अपराधियों को सत्ता का संरक्षण हासिल है. हाल ही में वैशाली मामले में भी थाने के स्तर पर मामले को दबाया गया था जबकि वर्मा कमीशन मे पुलिस प्रशासन की जवाबदेही तय की गई है. साफ़ है कि बीजेपी की पितृसत्तात्मक राजनीति बिहार के प्रशासनिक अमले में घुस गई है."
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