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नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के भारत के प्रति सुधरे रवैए से बौखलाया चीन, ऐसे बना रहा दबाव

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नई दिल्ली- हाल के दिनों में नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार से भारत के साथ फिर से अच्छे संबंध बहाल करने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों में बहुत ज्यादा दरार पैदा कर चुका चीन इस बात को हजम नहीं कर पा रहा है। लगता है कि वह नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भारत से दूर रखने के लिए सभी तरह की कोशिशें शुरू कर चुका है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सरकार ओली के बदले रवैए से कितनी बौखलाई हुई इस बात का अंदाजा इसी से लग सकता है कि अब वह इस ताक में लग चुकी है कि अगर नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत को लेकर उसका एजेंडा नहीं माना तो वह उनका तख्तापलट भी करवाने की भी कोशिश कर सकती है।

Nepalese PM KP Sharma Olis improved approach towards India angers China,trying to pressurise

नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार अब भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने के पक्ष में दिख रही है। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की दो दिवसीय नेपाल दौरे के बाद इससे जुड़े लोगों को उम्मीद है कि भारत के साथ हवाई यात्रा के लिए एयर बबल और पंचेश्वर मल्टी-मॉडल प्रोजेक्ट को लेकर वहां की सरकार सकारात्मक रुख अपनाएगी। 26 नवंबर को श्रृंगला की नेपाली पीएम ओली के साथ 50 मिनट की आमने-सामने बात हुई थी, जिसमें दोनों देश लिपुलेख सीमा को लेकर पैदा हुए विवाद से निकलकर रिश्ते सामान्य करने की दिशा में आगे बढ़े है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'रिश्तों को सुधारने के लिए वह आगे बढ़ने को तैयार हैं और इस संबंध में कोई सकारात्मक संकेत देखने को मिलेंगे। लेकिन, वह चाहते हैं कि सीमा के मुद्दे पर भी चर्चा हो।' द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के दिशा में दोनों देश पहला कदम ये उठा सकते हैं कि दोनों के बीच एयर ट्रैवल बबल स्थापित करें और पंचेश्वर मल्टी-मॉडल प्रोजेक्ट पर फिर से चर्चा शुरू करें। नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावाली की भी दिसंबर में भारत आने की संभावना है, जिसकी तारीख अभी तय नहीं की गई है।

दोनों देशों के बीच इस साल तब द्विपक्षीय संबंधों में दरार पैदा हो गई थी, जब नेपाल लिपुलेख क्षेत्र में बन रहे 80 किलो मीटर की सीमावर्ती सड़क का विरोध किया था और उस इलाके पर अपना दावा जताया था। नेपाल की ओली सरकार उस समय जल्दबाजी में नेपाली जनता में लोकप्रियता बटोरने के लिए भारतीय इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बता दिया था और इसे नेपाली हिस्से में दिखाते हुए एक नया नक्शा भी वहां की संसद से पारित करवा लिया था। जबकि, भारत ने अपनी जमीन को नेपाली नक्शे में दिखाने के नेपाल सरकार के रवैए पर सख्त ऐतराज जताया था।

लेकिन, पिछले कुछ महीनों से दोनों देश नक्शा विवाद से बढ़ी दूरी को फिर से पाटने की कोशिशों में जुटे हैं। भारत के लिए नेपाल में चीन की बढ़ती दखल को लेकर आंखें मूंदे रखना संभव भी नहीं है। लेकिन, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना किसी भी सूरत में नेपाल की वामपंथी सत्ता पर अपनी पकड़ ढीली होने देने के लिए तैयार नहीं है। इसी बीच नेपाल की सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धरों- पीएम केपी शर्मा ओली और पुष्प कुमार दहल उर्फ प्रचंड के बीच बढ़ते आपसी तकरार ने चीन को फिर से उसमें घुसने का मौका दे दिया है।

चीन के प्रभाव से ही 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ था। इसमें नेपाल की दो कम्युनिस्ट पार्टियों का विलय हुआ था। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एमसी)। चीन को पता है कि अगर ये दोनों पार्टियां फिर से अलग हो गईं तो नेपाल की सत्ता में उसकी दखलअंदाजी खत्म हो जाएगी। चीन ने ओली और प्रचंड गुटों को एकजुट रखने के काम पर पहले अपनी चर्चित राजदूत हू यांकी को लगाया था। अब रविवार को उसने अपने रक्षा मंत्री वी फेंगे को एक दिन के दौरे पर काठमांडू में उतार दिया, ताकि वह दोनों गुटों को एकसाथ रहने के सख्त संकेत दे सकें। एक दिन में ही फेंगे ने पीएम ओली, राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और नेपाली आर्मी चीफ पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात की और फिर यहां से मित्र देश पाकिस्तान के लिए रवाना हो गए।

बताया जा रहा है कि इस महीने की शुरुआत में नेपाली पीएम ओली ने चीन की 'कुख्तात' राजदूत हू यांकी को यह कह दिया था कि वह अपनी पार्टी की गतिविधियों के संचालन में सक्षम हैं और उन्हें दूसरे देश की सहायता की कोई जरूरत नहीं है। शायद जिनपिंग की सरकार इसी बात से तिलमिला गई है। चीन चाहता है कि नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी भारत के खिलाफ दुश्मनी का बर्ताव जारी रखे। लेकिन, अगर पीएम ओली भारत के साथ बिगाड़े हुए संबंध को सुधारने की कोशिश जारी रखेंगे तो हो सकता है कि चीन उन्हें नेपाल की सत्ता और पर सत्ताधारी पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दे।

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English summary
Nepalese PM KP Sharma Oli's improved approach towards India angers China,trying to pressurise
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