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Nepal Political Crisis: क्या नेपाल में अपनी 'काठ की हांडी' जला चुका है चीन ?

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Nepal Political Crisis: नेपाल में जारी राजनीतिक संकट की वजह से अबतक तो यही नजर आ रहा है कि चीन ने वहां जो भी किया था, उसके सारे किए-कराए पर पानी फिर चुका है। चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party)और उसके नेता शी जिनपिंग (xi jinping)ने हिमालय के इस देश का भारत के साथ सदियों पुराने संबंधों को तार-तार करने के लिए जो कुचक्र रचा था, अब वह सब उसी पर भारी पड़ रहा है। कुछ महीने पहले तक जब नेपाल (Nepal ) की केपी शर्मा ओली(K P Oli) सरकार ने भारत के साथ कालापानी को लेकर नक्शा विवाद को हवा दिया था, तब लग रहा था कि ड्रैगन ने उस छोटे से देश को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है। लेकिन, आज की तारीख में कहानी पूरी तरह से पलटी हुई नजर आ रही है और नेपाल 'सुबह का भूला' जैसा दिखाई देने लगा है, जिसकी एकमात्र आस फिर से भारत की ओर ही टिक गई है।

नेपाल में चीन के प्रोजेक्ट का विरोध शुरू

नेपाल में चीन के प्रोजेक्ट का विरोध शुरू

नेपाल में जारी राजनीतिक संकट (Nepal Political Crisis)के बीच वहां कुछ अजीब प्रदर्शन हो रहे हैं। चीन ने सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (Nepal Communist Party) में फिर से एकजुटता के लिए सारी कोशिशें कर ली हैं। इसके चलते शी जिनपिंग की काफी फजीहत भी हो चुकी है। उनपर नेपाल के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी के आरोप तो लगी ही रहे थे। अब नेपाल में चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को भी इस गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। वन इंडिया को पता चला है कि नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के निर्वाचन क्षेत्र स्थित चीन की दमक क्लीन इंस्ट्रीयल पार्क (Damak Clean Industrial Park) का स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध शरू कर दिया है। जानकारी के मुताबिक स्थानीय लोग इस प्रोजेक्ट के लिए ली गई जमीन की वाजिब मुआवजे की मांग के साथ-साथ उसमें पूरी तरह से पारदर्शिता बरते जाने की मांग करने लगे हैं। पिछले हफ्ते फेडरल लिमबुवान फोरम नाम के एक नेपाली संगठन ने चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया,जिसमें करीब 5,000 स्थानीय लोग और समाज के गरीब तबके के व्यक्ति शामिल हुए।

चीन को एक और झटका देने की तैयारी में ओली

चीन को एक और झटका देने की तैयारी में ओली

शी जिनपिंग (xi jinping)ने चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के जिस उप मंत्री को ओली और प्रचंड के मतभेदों को दूर करने के लिए काठमांडू(Kathmandu) भेजा था, उन्हें बड़े बेआबरू होकर वापस बीजिंग लौटना पड़ा था। क्योंकि, ना तो ओली जिनपिंग की बात मानने को तैयार हुए और ना ही प्रचंड अपनी महत्वाकांक्षाओं को टालने के लिए राजी हो सके। जिनपिंग को पहले से ही आशंकित है कि जब से पिछले कुछ महीनों से भारत-नेपाल के बिगड़े संबंध धीरे-धीरे ट्रैक पर लौटने लगा है, ओली के तेवर बदले-बदले क्यों नजर आने लगे हैं। ऊपर से पीएम ओली ने चीन को एक और झटका देने की भी तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल,काठमांडू पोस्ट की एक खबर के मुताबिक पिछले दिनों नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी एक महिला संगठन ऑल नेपाल वीमेंस यूनियन पीएम ओली को यह समझाने के लिए गई थी कि अगर नेपाली सुप्रीम कोर्ट संसद को भंग करने के उनके फैसले को पलट देता है तो वे क्या करेंगे, इसलिए खुद ही संसद बहाल करने की पहल करें। इसपर ओली ने उस महिला नेता से कहा, 'हम नेपाली कांग्रेस के साथ बारी-बारी से तबतक सरकार चलाएंगे, जबतक अगले चुनाव नहीं हो जाते।' हालांकि, उन्होंने यह बात फिर से दोहराई कि संसद की बहाली अब असंभव है।

नेपाली कांग्रेस के साथ भी ओली बना सकते हैं सरकार

नेपाली कांग्रेस के साथ भी ओली बना सकते हैं सरकार

अगर वाकई नेपाल की सत्ता में नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress)की एंट्री होती है और वह भी ओली के कारण तो यह बात शी जिनपिंग के सीने पर सांप लोटने से कम नहीं होगी। उन्होंने बहुत ही मेहनत से नेपाल में कम्युनिस्टों को एकजुट करके वहां पर चीन का दबदबा कायम किया था। लेकिन, अब उस नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के मुखिया ओली भारत के करीब माने जाने वाली नेपाली कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की बात करने लगे हैं। वैसे संसद भंग करने को लेकर नेपाल में नेपाली कांग्रेस भी प्रदर्शन कर रही है। लेकिन, कहा जा रहा है कि उसके मुखिया शेर बहादुर देउबा (sher bahadur deuba) और ओली के बीच बात पक्की हो चुकी है। यानि अगर नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने ओली को झटका दिया तो वह प्रचंड के साथ-साथ चीन को भी तगड़ा झटका देने की तैयारी पहले से ही कर चुके हैं।

प्रचंड भी भारत से ही मांग रहे हैं मदद

प्रचंड भी भारत से ही मांग रहे हैं मदद

रही बात ओली के विरोधी नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की तो वह पहले से ही भारत से नेपाल को राजनीतिक संकट से उबारने की गुहार लगा चुके हैं। यानि जिस नेपाल में पिछले कुछ महीने पहले तक चीन का डंका बज रहा था और भारत के खिलाफ वहां जहर भर दिया गया था। वह स्थिति अब खुद-ब-खुद बदलने लगी है। क्योंकि, नक्शा विवाद के नाम पर ओली ने वहां जिस तरह से राजनीतिक स्वार्थ के लिए वहां राष्ट्रीयता की भावना भड़कायी थी, उसके बाद भारत ने खुद को वहां के आंतरिक मामलों से पूरी तरह से दूर कर लिया है। लेकिन, अब यह बात भी चीन को पच नहीं रही है।

नेपाल में 'काठ की हांडी' जला चुका है चीन!

नेपाल में 'काठ की हांडी' जला चुका है चीन!

नेपाल के राजनीतिक संकट में चीन ने शुरू से जिस तरह से दखल दिया है और भारत ने चुप रहकर अपनी कूटनीतिक समझदारी का परिचय दिया है, अब ड्रैगन को यह बात भी खलने लगी है। वह यह समझ नहीं पा रहा है कि आखिर भारत शांत क्यों है, जिसके चलते चीन के खिलाफ लोगों का गुस्सा और भड़कता ही जा रहा है। अगर बीच में भारत होता तो वह लोगों में इसके खिलाफ आसानी से गलतफहमियां फैला सकता था, जो पिछले कुछ वर्षों से करता रहा है। लेकिन, आज की तारीख में तथ्य ये है कि चीन की सत्ताधारी पार्टी की उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को नाक कटवाकर नेपाल से बीजिंग लौटना पड़ा है। 2018 में चीन ने नेपाल की जिन दो कम्युनिस्ट पार्टियों को एकजुट करके वहां की सत्ता में अपना दबदबा कायम किया था, वह इतने कम वक्त में ही टूट की कगार पर पहुंच चुकी है। ओली और प्रचंड एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक दुश्मन बन चुके हैं। अगर सीधे शब्दों में कहें तो लगता है कि नेपाल में चीन की पोल खुल चुकी है और उसकी 'काठ की हांडी' जल चुकी है।

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English summary
China has suffered the biggest blow in Nepal's political crisis, Nepal is looking towards India
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