चीन के दबाव में नेपाल ने भारत के खिलाफ शुरू की नई पैंतरेबाजी
नई दिल्ली-भारत अब तक नेपाल की सत्ता में बैठे नेताओं के साथ छोटे भाई की तरह ही बर्ताव कर रहा है, लेकिन नेपाल की सरकार और उसके मुखिया केपी शर्मा ओली, शी जिनपिंग की उंगलियों के इशारे पर फुदकने के लिए तैयार लगते हैं। नेपाल ने पहले तो भारतीय इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करके अपनी संसद से उसे पारित करवाया और अब उस नक्शे को चाइनीज प्रोपेगेंडा के तौर पर पूरे विश्व में भेजने की तैयारियों में जुट गया है। जबकि, भारत ने शुरू में ही दो टूक कह दिया था कि वह गलतफहमी पालना बंद करें, क्योंकि ऐतिहासिक तथ्यों से खिलवाड़ करने से किसी का भी भला नहीं होगा।
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भारत के खिलाफ नेपाल की नई पैंतरेबाजी
नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा का नया अभियान छेड़ दिया है। इस कड़ी में वह दुनियाभर में नेपाल का नया नक्शा भेजने जा रहा है, जिसमें उसने भारतीय इलाकों को भी नेपाल का हिस्सा दिखाया है। यह नया मैप नेपाल सरकार की ओर से गूगल समेत पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजा जा रहा है। इसकी जानकारी नेपाल के भूमि प्रबंधन मंत्री पद्म आर्यल ने दी है। उन्होंने कहा है कि यह परिवर्तित नक्शा वह भारत को भी भेज रहे हैं और दुनिया के सभी देशों को नक्शा भेजने की यह प्रक्रिया अगस्त के मध्य तक पूरी कर ली जाएगी। आर्यल ने कहा है, 'हम कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा समेत नया नक्शा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न एजेंसियों और भारत समेत पूरे विश्व समुदाय को भेज रहे हैं। यह प्रक्रिया इस महीने के मध्य तक पूरी कर ली जाएगी।'
भारत को भी नया नक्शा भेजने की तैयारी
नेपाल के माप विभाग को इस काम के लिए नए नक्शे की 4,000 कॉपी अंग्रेजी भाषा में तैयार करने को कहा गया है और नई दिल्ली समेत पूरी दुनिया के देशों को भेजने का भी आदेश दिया गया है। नेपाल के इस रवैए पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि यह बचे हुए सीमा विवाद को बातचीत के जिरए सुलझाने की आपसी सहमति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस मामले में पहले ही अपनी स्थिति साफ कर दी है और उसमें कोई फेरबदल नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'हमने देखा है कि नेपाल की प्रतिनिधि सभा ने भारतीय क्षेत्र को नेपाल में शामिल दिखाने वाले नक्शे के बदलाव वाली संविधान संशोधन विधेयक पास किया है। हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति साफ कर रखी है।'
भारत कर चुका है नेपाली दावों को खारिज
गौरतलब है कि भारत के विरोध के बावजूद नेपाल ने 20 मई को अपना एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें भारतीय इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल में शामिल किया गया। भारत ने इस दावे को 'नहीं टिकने लायक' और 'दावों का कृत्रिम इजाफा' बताया था, जो किसी भी ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। बता दें कि नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के जिन तीन इलाकों को अपना हिस्सा बताना शुरू किया है, वह असल में ब्यांस घाटी का हिस्सा है, जिससे होकर नया कैलाश मानसरोवर मार्ग भी गुजरता है। नेपाल ने अपने बदले हुए नक्शे में इसे अपने दारचुला जिले के ब्यास ग्रामीण नगरपालिका का हिस्सा दिखाया है।
जिनपिंग के इशारे में फुदक रहे हैं ओली
गौरतलब है कि शनिवार को ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि वह चाहते हैं कि नेपाल और चीन की दोस्ती आगे बढ़े। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली पर अपनी कुर्सी बचाने के लिए चीन की गोदी में बैठ जाने के आरोप लग रहे हैं। नेपाल में चीन के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं, लेकिन ओली किसी की सुनने के लिए तैयार नहीं हैं और नेपाल के शासन में चीन की राजदूत की दखलअंदाजी बढ़ती ही जा रही है।
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