चीन की तरह भारत से चालबाजी में लगा है नेपाल, फिलहाल बातचीत के आसार नहीं
नई दिल्ली- जानकारी के मुताबिक नेपाल ने भारत के साथ वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विदेश सचिव स्तर की बातचीत की मांग की है। लेकिन, लगता है कि अभी जो स्थिति है, उसमें भारत नेपाल के साथ इस तरह की कूटनीतिक बातचीत के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि, अगले हफ्ते नेपाल ने दूसरे संविधान संशोधन विधेयक को पास करने की पूरी तैयारी कर ली है, जिसके बाद उसे भारतीय हिस्से को अपना बताने वाले संशोधित नक्शे को अपना कहने की उसके हिसाब से कानूनी अधिकार मिल जाएगा।
नेपाल से अभी कूटनीतिक बातचीत के आसार नहीं
नई दिल्ली में नेपाल मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत ने हमेशा बातचीत से समाधान का समर्थन किया है, लेकिन जब नेपाल ने अपने मनचाहे ढंग से एकतरफा चीजों को तय करने और मामले को और उलझाने का मन बना लिया है तो ऐसे वातावरण में उसके साथ बातचीत का कोई मतलब नहीं है। सच्चाई ये है कि नेपाल बातचीत की बात तो करता है, लेकिन संविधान संशोधन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बहुत ही जल्दीबाजी दिखा रहा है। पता ये भी चला है कि नेपाल की केपी शर्मा ओली ने इस विधेयक को पास कराने के लिए विपक्षी नेपाली कांग्रेस का भी समर्थन जुटा लिया है। यह विधेयक 9 जून को पेश होना है और माना जा रहा है कि इसके समर्थन में वहां की सरकार के पास आवश्यक दो-तिहाई समर्थन हासिल है। ऐसे में अगर मधेसी इस संविधान संशोधन विधेयक का विरोध भी करते हैं तो भी ओली की सरकार को कोई मुश्किल नहीं होने वाली है।
नया राजनीतिक नक्शा बनाकर नेपाल ने बढ़ाया विवाद
भारत-नेपाल के बीच ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब भारत ने पिछले 8 मई को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए लिपुलेख के जरिए एक नए रोड का उद्घाटन किया। इसके बाद ही नेपाल ने भारत से इसपर कूटनीतिक आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके 12 दिन बाद ही नेपाल ने 20 मई को अपना एक नया नक्शा जारी कर दिया, जिसमें भारतीय इलाके को उसने अपने क्षेत्र में दिखा दिया। नेपाल की इस हरकत से दोनों देशों के संबंधों में और तल्खी आ गई। नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के जिस लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है, वह असल में भारत के ब्यांस घाटी का हिस्सा है, जिससे होकर नया कैलाश मानसरोवर मार्ग भी गुजरता है। नेपाल के नए नक्शे के बारे में भारत कह चुका है कि यह 'ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं हैं।'
1,800 किमी लंबी है दोनों देशों की सीमा
भारत ने नेपाल से कहा है कि इस तरह के 'अनुचित मानचित्रों के आधार पर दावों' से उसे बचना चाहिए और भारत की संप्रभुता और उसकी क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। भारत ने नेपाल से पहले भी कहा है कि दो देशों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और दोस्ताना रिश्तों की जड़ें बहुत गहरी हैं और उसकी महानता कायम रख जानी चाहिए। भारत ने अपने सभी पड़ोसियों से विश्वास और भरोसे का माहौल बनाए रखने और उसकी भावना कायम रखने पर भी जोर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी इच्छा जताई है कि नेपाल की लीडरशिप सीमा से जुड़े मामलों पर बातचीत के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार करेगी। भारत-नेपाल के बीच 1,800 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है।