नेपाल के विदेश मंत्री बोले, अगर भारत बांग्लादेश से सीमा विवाद सुलझा सकता है तो काठमांडू से क्यों नहीं?
नई दिल्ली। भारत में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर जिस तरह से बहस चल रही है, उस बीच नेपाल के विदेश मंत्री का अहम बयान सामने आया है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि अगर भारत बांग्लादेश के साथ अपनी सीमा के मसले को सुलक्षा सकता है तो तो आखिर नेपाल क्यों सीमा का विवाद खत्म कर सकता है। दरअसल भारत ने नवंबर माह में जम्मू कश्मीर को दे केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटे जाने के बाद भारत का नया मैप जारी किया था। मैप में पाक अधिकृत कश्मीर को जम्मू कश्मीर का हिस्सा दिखाया गया है जबकि गिलगिट बलटिस्टान को लद्दाख में दिखाया गया। जिसके बाद नेपाल ने पड़ोसी देश के साथ सीमा मतभेद को लेकर यह बयान दिया है।
नेपाल का दावा है कि लिंपियाधुरा, लिपुलेक, कालापानी को भारत की सीमा में दिखाया गया है, बावजूद इसके कि यह नेपाल का हिस्सा है। भारत ने कहा है कि नया मैप भारत की संप्रभु क्षेत्र का सही प्रदर्शन करता है, इसमे नेपाल के साथ सीमा को किसी भी तरह से बदला नहीं गया है लिहाजा नेपाल के साथ इस मसले पर समीक्षा का सवाल ही नहीं उठता है। नेपाल के विदेश मंत्री का कहना है कि अगर भारत जमीन और सीमा के विवाद को बांग्लादेश के साथ सुलझा सकता है तो नेपाल क्यों नहीं सुलझा सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच किसी भी तरह का अनसुलक्षा विवाद नहीं रहना चाहिए, दोनों देशों के बीच आपसी समन्वय काफी बेहतर है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा था कि समय आ गया है कि सभी लंबित मुद्दों को आपसी बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाए, यह दोनों देशों के हित में है। दोनों ही देश में मजबूत और स्थिर सरकार है, यह बेहतर अवसर है हम मिलकर इन मसलों को सुलझाएं। नेपाल के प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद ही नेपाल के विदेश मंत्री की ओर से यह बयान दिया गया है। गौरतलब है कि भारत और बांग्लादेश ने 2015 में एंक्लेव की अदला बदली कररके 70 वर्ष पुराने सीमा विवाद को खत्म किया था।
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