नेपाल भूकंप ने छीन ली पुणे के रेड लाइट एरिया की रंगीनियत, नहीं लौटीं कई सेक्स वकर्स
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। नेपाल में भूकंप से आई त्रासदी अपने पीछे मौत का वो भयावह मंजर छोड़ गई है जिसको भुला पाना किसी के लिए भी मुश्किल होगा। खंडहर में तब्दील हुए नेपाल में अब लोग मलबे में अपनों की तलाश करने में लगे हैं। नाउम्मीदी के अहसास में भी कोई उम्मीद उन्हें बांधे हुई है, कि शायद उनके अपने मलबे से जिंदा लौट आएं। लेकिन सच तो ये है कि वीरान से किसी की आवाज नहीं आती। इस त्रासदी का एक और पहलू है।
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त्रासदी का मंजर देख लौटीं दो महिलाओं की कहानी
भूकंप के बाद रेड लाइट एरिया में वापस लौटीं दो नेपाली महिलाओं ने आपबीती सुनाई। अपनों को खोने का दर्द उनकी जुबां को भारी और आंख को नम कर चुका था। वो इतना डरी हुईं थी कि कुछ बोल भी नहीं पा रही थीं। इनमें से एक महिला ने भूकंप में अपने पूरे परिवार को खो दिया है और दूसरी के पास परिवार के नाम पर सिर्फ 8 साल का बच्चा है जो पुणे के ही एक स्कूल में पढ़ता है।
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कुछ सेक्स वकर्स को है मुआवजे का इंतजार
पिछले 9 साल से बुधवार पेठ में जिस्मफरोशी करने वाली सीमा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मैं हर साल गर्मी की छुट्टियों में नेपाल जाती थी लेकिन इस बार नहीं गई क्योंकि अब वहां कोई नहीं बचा। उसने कहा कि मैं अगर नेपाल जाऊंगी तो कहां रहूंगी और कहां खाऊंगी। उसने कहा कि बेहतर है कि हम यहीं रहकर अपने परिवार की मदद करें। सीमा हर दिन घर वालों की खैरियत जानने के लिए फोन करती है लेकिन उधर से कोई खबर नहीं मिलती।
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सीमा के साथ ही बुधवार पेठ में जिस्म का धंधा करने वाली एक और युवती का कहना है कि 'हो सकता है कि वो लोग सरकार से मिलने वाले मुआवजे के इंतजार में रुके हों। मुआवजा मिलने पर वो फिर से अपना घर बसाएंगी और फिर यहां आ जाएंगी।' वैसे पुणे छोड़ने वालों की लिस्ट में सिर्फ नेपाली सेक्स वर्कर ही नहीं, वेश्यालयों के मालिक भी शामिल हैं।