क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना संकट में याद आया नेल्सन मंडेला का 27 साल आइसोलेशन, हर्ष गोयनका फिर चर्चा में

Google Oneindia News
कोरोना संकट में याद आया नेल्सन मंडेला का 27 साल आइसोलेशन,हर्ष गोयनका फिर चर्चा में

भारत के 77 वें सबसे अमीर बिजनेसमैन हर्ष गोयनका कोरोना पर अपने नये ट्वीट को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने आइसोलेशन की जागरुकता के लिए लिखा है, नेल्सन मंडेला 27 साल आइसोलेशन में थे- “न परिवार था, न फोन था, न सुख-सुविधा थी। तुम भी ऐसा कर सकते हो।” हर्ष गोयनका के इस ट्वीट पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इसे प्रेरणादायी विचार बताया है और तारीफ की है। तो कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की है। आलोचकों का कहना है कि नेल्सन मंडेला के महान जीवन संघर्ष की तुलना महामारी के प्रतिबंधों से बिल्कुल नहीं की जा सकती। कुछ लोगों ने हर्ष गोयनका की इसलिए भी खिंचाई की है कि उन्हें विदेश के रहने वाले नेल्सन मंडेल की तो याद आयी लेकिन अपने ही देश के वीर सावरकर के बलिदान को भुला दिया। उद्योगपति हर्ष गोयनका सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। पढ़े-लिखे और वाकपटु हर्ष गोयनका समसामयिक घटनाओं पर अक्सर चुटिले ट्वीट करते रहे हैं। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसा लिख देते हैं कि विवादों का पहाड़ खड़ा हो जाता है।

नेल्सन मंडेला और कोरोना आइसोलेशन

नेल्सन मंडेला और कोरोना आइसोलेशन

नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीक में रंगभेद नीति के खिलाफ लंबा राजनीति संघर्ष किया था। ये गोरे और काले लोगों की लड़ाई थी। गोरे अंग्रेजों ने मंडेला को 27 साल कर काल कोठरी में बंद रखा था। वे 1964 से 1990 तक जेल में रहे। उनके जेल का कमरा बस इतना ही लंबा था कि वे सिर्फ लेट सकते थे। वे जब सोते थे तब उनका सिर और पैर दीवार से बिल्कुल सटा रहता था। जब हाथ फैलाते तो वे दीवारों से टकराने लगते। उनकी कोठरी की लंबाई-चौड़ाई सिर्फ तीन कदम थी। कमरे में एक खिड़की थी जिससे सिर्फ गलियारा दिखता था। हर्ष गोयनका ने अपने ट्वीट में मंडेला के उस मशहूर फोटो का इस्तेमाल किया है जिसमें वे जेल की खिड़की से बाहर देख रहे हैं। मंडेला के एकाकी जीवन को गोयनका ने आज के दौर में कोरोना आइसोलेशन के लिए प्रेरणादायी माना है। गोयनका ने लिखा है जब मंडेला बिना परिवार, फोन और सुख-सुविधा के 27 साल तक आइसोलेट रह सकते हैं तो हम अपने घर में तमाम सुविधाओं के बीच आइसोलेट क्यों नहीं रह सकते?

मंडेला और वीर सावरकर

मंडेला और वीर सावरकर

एम झुनझुनवाला ने गोयनका के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है- वीर सावरकार जी के बारे में क्या कहना है ? उनके कहने के मतलब ये है कि गोयनका साहब, आपने नेल्सन मंडेला का जिक्र तो किया लेकिन वीर सावरकर का क्यों नहीं किया। मंडेला अगर रंगभेद नीति के खिलाफ 27 साल जेल में रहे तो वीर सावरकर आजादी की लड़ाई में 11 साल तक पोर्ट ब्लेयर की सेल्युलर की जेल में रहे। एक छोटी सी अंधेरी कोठरी में उनका समय गुजरता था। सेल्युलर जेल में नारियल से तेल निकाला जाता था। अंग्रेज कोल्हू में बैल की जगह कैदियों का इस्तेमाल करते थे। कैदी जब थक कर रुक जाते तो अंगेज सिपाही उनकी कोड़ों से पिटाई करते थे। वीर सावरकर ने भारत की आजादी के लिए यातना सही और एकाकी जीवन झेला। वे 1911 से 1921 तक जेल में रहे। गोयनका ने वीर सावरकर का उदाहरण क्यों नहीं दिया है, इसके जवाब में दिनाह ने जो कमेंट किया है वह राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित है। भारत में कई राजनीतिक दल वीर सावरकर के लिए अशोभनीय टिपण्णी करते रहे हैं।

क्या मंडेला की तुलना सही है ?

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन और फिजिकल डिस्टेंसिंग को कठोरता से लागू किया है। फिर भी कुछ लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं। हर्ष गोयनका ने सेल्फ आइसोलेशन की जागरूकता के लिए नेल्सन मंडेला का उदाहरण दिया है। अधिकतर लोगों ने गोयनका के इस ट्वीट की बहुत तारीफ की है। उन्होंने गोयनका के वैचारिक सूझबूझ को काबिले तारीफ बताया है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मंडेला के जेल जीवन की तुलना कोरोना आइसोलेशन से किये जाने पर असहमत हैं। उनका कहना है कि दोनों परिस्थितियां अलग अलग हैं। मंडेला का आइसोलेशन अंग्रेजों के अत्याचार का प्रतीक था। मौजूदा आइसोलेशन स्वविवेक का मामला है। जीवन रक्षा के लिए अलग-थलग रहना खुद का फैसला है। कुछ लोगों ने कहा है कि मंडेला महामानव थे उनकी तुलना करोड़ों साधारण लोगों के साथ नहीं की जा सकती। कोरोना संकट के बीच मंडेला का उदाहरण दिये जाने पर पीयूष सुराणा ने चुटकी ली है। उनका कमेंट है- आशा करते हैं कि हम लोगों को 27 तक ऐसा नहीं करना पड़ेगा।

106 साल की इस महिला से यमराज भी खाते हैं खौफ, 1918 में स्पेनिश फ्लू और अब Corona को दी मात106 साल की इस महिला से यमराज भी खाते हैं खौफ, 1918 में स्पेनिश फ्लू और अब Corona को दी मात

गोयनका और विवाद

गोयनका और विवाद

हर्ष गोयनका भारत के प्रतिष्ठित उद्योगपति राम प्रसाद गोयनका के बड़े पुत्र हैं। वे देश के 77 वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। वे आरपीजी समूह के अध्यक्ष हैं। दुनिया के धनिकों में वे 1281वें नम्बर पर हैं। गोयनका नरेन्द्र मोदी सरकार के आलोचक रहे हैं। मोदी सरकार की नीतियों के विरोध में हर्ष गोयनका ने 4 दिसम्बर 2019 को एक ट्वीट किया था। उन्होंने प्रसिद्ध जनकवि गोरख पांडेय की एक कविता ट्वीट की थी- "राजा बोला रात है, रानी बोली रात है, मंत्री बोला रात है, संतरी बोला रात है, सब बोले रात है, यह सुबह-सुबह की बात है।" बाद में उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था। उस समय गोयनका के इस ट्वीट पर बहुत विवाद हुआ था। करीब एक महीने पहले भी गोयनका ने कोरोना और करीना पर एक ट्वीट किया था जिसको लेकर बवाल खड़ा हो गया था। हर्ष गोयनका ने 14 मार्च 2020 को एक ट्वीट किया था- "करीना (कपूर) और कोरोना में क्या अंतर है ? जो करीना के सम्पर्क में आता है वह सैफ हो जाता है। जो कोरोना के सम्पर्क में आता है वह सैफ नहीं रहता। और समानता क्या है ? करीना और कोरोना के चक्कर में बहुत shahid (शाहिद) हो चुके हैं।" इस ट्वीट पोस्ट के बाद हर्ष गोयनका की भद्द पिट गयी थी। वे बुरी तरह ट्रोल हुए थे। अधिकांश लोगों ने सवाल किया था, देश का एक बड़ा और परिपक्व उद्योगपति एक महिला (चर्चित अभिनेत्री करीन कपूर) के लिए इतनी घटिया बात कैसे लिख सकता है।

Corona इफेक्ट: मोबाइल फोन यूजर्स की बढ़ी मुश्किल, मई के अंत में बंद हो जाएंगे 4 करोड़ मोबाइल फोनCorona इफेक्ट: मोबाइल फोन यूजर्स की बढ़ी मुश्किल, मई के अंत में बंद हो जाएंगे 4 करोड़ मोबाइल फोन

Comments
English summary
Nelson Mandela's 27 years isolation rememberd in Coronavirus crisis, Harsh Goenka again in discussion
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X