'रेड लाइट एरिया' पर सोच बदलने की जरूरत, आजाद ख्याल की लड़कियां बदलाव लाएंगी: रुचिरा
रुचिरा गुप्ता का मानना है कि रेड लाइट एरिया जैसी जगहों के लिए लोगों की सोच में बड़े बदलाव की जरूरत है।
पटना। महिलाओं के अधिकार के समर्थन में और देह व्यापार के खिलाफ काम करने वाले संगठन 'अपने आप वुमेन वर्ल्डवाइड' की संस्थापक रुचिरा गुप्ता का मानना है कि रेड लाइट एरिया जैसी जगहों के लिए लोगों की सोच में बड़े बदलाव की जरूरत है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और पत्रकार रुचिरा गुप्ता का कहना है कि बिहार में बदलाव दिख रहा है, खासकर लड़कियों में। उन्होंने बताया कि लड़कियों में विश्वास बढ़ा है। उनका मानना है कि आजाद ख्याल की लड़कियां समाज में बदलाव लाएंगी। इस दौरान उन्होंने साइकिल और स्कूटी चलाती लड़कियों का जिक्र किया।
रुचिरा का ऐसे तो पैतृक घर फारबिसगंज है, मगर वह यहां नहीं रह पातीं। इन दिनों बिहार दौरे पर आईं रुचिरा ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में अपने संगठन के विषय में कहा कि उनका संगठन देह व्यापार के खिलाफ काम करता है। रेडलाइट एरिया में बच्चों को पढ़ाने के लिए वह सेंटर भी चलाती हैं। क्लिंटन ग्लोबल सिटिजन अवार्ड से सम्मानित रुचिरा कहती हैं, "लोग समझते हैं कि पश्चिम के देशों में कोई परेशानी नहीं है। लोग चकमक के फेर में पड़ जाते हैं जबकि वहां भी परेशानियां हैं।" इसे भी पढ़ें- तस्वीरों में देखें भारत के 10 बदनाम बाजार जहां धडल्ले से होता है जिस्म का सौदा
इस संबंध में उन्होंने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी लोग परेशान हैं। उन्होंने लोगों के मन में रेड लाइट एरिया को लेकर बनी गलतफहमी का जिक्र करते हुए कहा कि रेड लाइट एरिया जैसे जगह को ही खत्म करने की जरूरत है। उनका मानना है कि इसको लेकर लोगों की सोच में बड़े बदलाव की जरूरत है। रुचिरा कहती हैं, "मुझे लगता है कि मैं आज अकेली नहीं हूं। मेरे साथ बहुत लोग खड़े हैं। जब मैंने करीब 20 साल पहले ये काम शुरू किया था (देह व्यापार रोकने का) तब लगता था कि ये काम अकेले करना पड़ेगा। अब ऐसा प्रतीत होता है कि समाज के कई ऐसे लोग भी हैं जो अब इस मामले में नेतृत्व देने के लिए तैयार हैं।"
'जेंडर'
जागरूकता
जैसे
मुद्दे
को
उठाने
वाली
रुचिरा
का
कहना
है
कि
बिहार
में
ग्रामीण
स्तर
पर
भी
बदलाव
अब
दिख
रहा
है,
लेकिन
अभी
और
बदलाव
की
जरूरत
है।
संयुक्त
राष्ट्र
संघ
द्वारा
'वुमेन
ऑफ
द
ईयर'
चुनी
गईं
रुचिरा
कहती
हैं,
"आज
भी
एक
करोड़
से
ज्यादा
बच्चियां
देह
व्यापार
में
फंसी
हुई
हैं।
हमारे
देश
में
ही
नहीं
कई
जगहों
पर
महिलाएं
ये
परेशानी
झेल
रही
हैं।"
बिहार
के
फारबिसगंज
की
रहने
वाली
रुचिरा
इन
दिनों
हिंदी
के
महान
कथाकर
व
उपन्यासकार
फणीश्वरनाथ
रेणु
के
साहित्य
पर
काम
कर
रही
हैं।
उन्होंने
बताया
कि
रेणु
साहित्य
में
स्त्री-विमर्श
पर
बात
होनी
चाहिए।
उनका मानना है कि अंचल के साहित्य पर लोगों को काम करने की जरूरत है। वह इन दिनों रेणु के उपन्यास 'परती परिकथा' के अंग्रेजी अनुवाद पर भी काम कर रही हैं। उनका कहना है लोक कथाओं पर काम करने की जरूरत है। रुचिरा गुप्ता को हाल ही में फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी मिला है।