बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले ने एक जज का रोका प्रमोशन, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और जज से मांगा जवाब
नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला जितना राजनीति के हिसाब पेचिदा है इस मामले पर किसी फैसले तक पहुंचना अदालत के लिए भी उतना ही मुश्किल है। बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई के चलते लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत के जज एसके यादव का प्रमोशन रुक गया है। दरअसल इस सुनवाई की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने उनके तबादले पर रोक लगा दी थी और इस आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके प्रमोशन को भी रोक दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जज की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने जज एसके यादव से सीलबंद रिपोर्ट में ये बताने को कहा है कि वो इस मामले पर दी गई समय सीमा यानी 19 अप्रैल 2019 तक किस तरह से सुनवाई पूरी करेंगे। जज साहब की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को भी नोटिस जारी किया है।
तबादले पर है रोक
आपको बता दें कि लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 आरोपियों पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को इन सभी के खिलाफ बाबरी मस्जिद गिराए जाने की साजिश मामले में ट्रायल चलाने का आदेश दिया था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से अर्जी दाखिल कर इन नेताओं के खिलाफ खारिज किए गए साजिश के आरोपों को फिर से बहाल करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी को स्वीकार किया और बीजेपी नेताओं और कारसेवकों के खिलाफ लंबित केसों को एक साथ चलाने का आदेश दिया। आडवाणी और अन्य नेताओं के खिलाफ रायबरेली में केस लंबित था जबकि कारसेवकों के खिलाफ लखनऊ में। सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों केसों की सुनवाई रोजाना लखनऊ में कराने का निर्देश दिया और दो साल में ट्रायल पूरा करने को कहा था। कोर्ट ने साथ ही कहा था कि ट्रायल पूरा होने तक जज का ट्रांसफर ना किया जाए।
आदेश
बदलने
की
मांग
जस्टिस
आर
एफ
नरीमन
और
जस्टिस
इंदु
मल्होत्रा
की
बेंच
से
सीबीआई
अदालत
के
विशेष
जज
एसके
यादव
ने
कहा
है
कि
ट्रायल
पूरा
नहीं
होने
तक
तबादला
नहीं
करने
का
सुप्रीम
कोर्ट
का
आदेश
उनके
प्रमोशन
में
आड़े
आ
रहा
है।
उन्होंने
सुप्रीम
कोर्ट
से
अपने
पहले
के
आदेश
में
बदलाव
करने
और
इलाहाबाद
हाई
कोर्ट
को
उन्हें
जिला
जज
पद
पर
प्रमोट
करने
का
आदेश
देने
की
मांग
की
है।
दरअसल
बिते
एक
जून
को
हाई
कोर्ट
ने
जजों
के
तबादले
और
प्रमोशन
की
अधिसूचना
जारी
की
थी।
इसमें
एसके
यादव
का
प्रमोशन
के
साथ
तबादला
किया
गया
था।
उन्हें
बदायूं
का
जिला
एवं
सत्र
जज
नियुक्त
किया
गया
था।
लेकिन
उसी
दिन
एक
और
अधिसूचना
निकली
गई
और
उनका
तबादला
और
प्रमोशन
अगले
आदेश
तक
निरस्त
कर
दिया
गया।
एसके
यादव
ने
कहा
है
कि
सुप्रीम
कोर्ट
के
आदेश
के
चलते
ऐसा
हुआ
और
उनका
प्रमोशन
रूक
गया।
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