रामविलास पासवान के साथ केंद्रीय कैबिनेट में NDA खत्म, मोदी सरकार में सिर्फ एक मित्र दल बाकी
नई दिल्ली- केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद केंद्रीय कैबिनेट में बीजेपी के अलावे एनडीए का कोई दूसरा सहयोगी मंत्री नहीं बच गया है। कुछ दिन पहले ही कृषि विधेयकों पर विरोध के चलते शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बाद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। जबकि, शिवसेना ने पिछले साल महाराष्ट्र में बाजी पलटने के बाद मोदी सरकार से अपना नाता तोड़ लिया था। मोदी सरकार के लगातार दो कार्यकालों से यही विशेषता थी कि बीजेपी के पूर्ण बहुमत में होने के बावजूद अलग-अलग सहयोगी दलों को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिधिनिधित्व दिया था, लेकिन पासवान की मौत ने उसमें फिलहाल के लिए शून्य ला दिया है। अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में एनडीए के सहयोगी दल में से सिर्फ एक नुमाइंदा बच गया है।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों को लेकर जब हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दिया था, तब शिवसेना ने यही आरोप लगाया था कि अब एनडीए रह कहां गया है। लेकिन, फिर भी केंद्रीय कैबिनेट में रामविलास पासवान जैसे नेता की उपस्थिति उन सवालों का जबाव देने के लिए काफी थी। वह कद्दावर भी थे और राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा दलित चेहरा भी थे। लेकिन, उनकी मौत ने मोदी मंत्रिमंडल की वह विविधता फिलहाल के लिए खत्म कर दी है। अब एनडीए के सहयोगी के नाम पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद में सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्यमंत्री रामदास अठावले ही बच गए हैं।
मई 2019 जब नरेंद्र मोदी की लगातार दूसरी बार सरकार बनी थी, तब उनके कैबिनेट सहयोगियों में शिवसेना के अरविंद सावंत, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान को जगह दी गई थी। लेकिन, दो पार्टियां पहले ही एनडीए का साथ छोड़ चुकी थीं और अब रामविलास पासवान की दुखद मौत हो चुकी है। वैसे एनडीए में एक और बड़ी सहयोगी पार्टी जदयू भी शामिल है, लेकिन वह पीएम मोदी के दोनों कार्यकाल में कभी सरकार में शामिल नहीं रही है।
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जब भी मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा, सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की जा सकती है।
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