गोरक्षा के नाम पर हत्या की घटनाओं के बाद एनसीआरबी का बड़ा फैसला
अब भीड़ द्वारा लोगों को मौत के घाट उतारे जाने वाली घटनाओं के आंकड़े भी जुटाएगी एनसीआरबी, गृहमंत्रालय से हरी झंडी का इंतजार
नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानि एनसीआरबी जोकि देशभर में हर वर्ष अपराध के आंकड़ों को इकट्ठा करती है, वह अब भीड़ के द्वारा मारे जाने वाले लोगों के बारे में भी आंकड़ों को इकट्ठा करने की योजना बना रही है। भीड़ द्वारा मारे जाने वाले लोगों के बारे में भी एनसीआरबी विस्तृत रिकॉर्ड दर्ज करने की योजना बना रहा है।
गृह मंत्रालय की हरी झंडी का इंतजार
एनसीआरबी की इस योजना को अगर कंद्रीय गृह मंत्रालय अपनी हरी झंडी दे देता है तो एनसीआरबी हर वर्ष भीड़ द्वारा मारे जाने वालों की जानकारी को जुटाना शुरू कर देगा। एनसीआरबी ना सिर्फ इन आकंड़ों को जुटाएगा बल्कि इसका विश्लेषण भी करेगा और इसकी वजह को भी दर्ज करेगा।
एनसीआरबी ने की पुष्टि
एनसीआरबी के डायरेक्टर इश कुमार ने इस बात की पुष्टि की है कि इस बाबत मंगलवार को एक बैठख भी शुरुआआती चरण में हुई है। मौजूदा समय में देशभर में भीड़ द्वारा मारे जाने वालों की कोई जानकारी मुहैया नहीं हैं, कई मामलों में यह घटना चोरी घटना के बाद, आपसी दुश्मनी को लेकर होती है, हाल ही में बच्चा चोरी और गोरक्षा के नाम पर भीड़तंत्र द्वारा मौत के मामले सामने आए हैं।
भाजपा का आरोप यूपीए सरकार में लिंचिंग की घटना अधिक
जिस तरह से विपक्ष लगातार सरकार पर समाज का माहौल खराब करने का आरोप लगा रहा है और तमाम घटनाएं गोरक्षा के नाम पर सामने आई हैं, उसने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हालांकि इस पूरे विवाद पर भाजपा का तर्क है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में इससे अधिक लिंचिंग की घटनाएं होती थी। लेकिन फिलहाल अभी इस तरह का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है जो इस बात की पुष्टि कर सके कि भीड़ द्वारा कितने लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है।
आंकड़ों से नीति बनाने में मिलती है मदद
एनसीआरबी
के
अधिकारी
का
कहना
है
कि
पिछले
कुछ
दिनों
में
काफी
कुछ
हुआ
है,
ऐसे
में
हमें
इन
आकंड़ों
को
भी
जुटाने
की
जरूरत
हैं
और
इसका
विश्लेषण
करने
की
जरूरत
है,
ताकि
इस
बात
को
समझा
जा
सके
कि
आखिर
किन
वजहों
से
भीड़
ने
लोगों
को
मौत
के
घाट
उतार
दिया।
ऐसा
करने
से
हमें
उम्मीद
है
कि
नीति
बनाने
में
यह
सरकार
की
मदद
करेगा,
ताकि
इसका
स्थाई
समाधान
निकाला
जा
सके।
उन्होंने
कहा
कि
किसी
भी
तरह
की
नीति
बनाने
में
यह
आंकड़े
मुख्य
भूमिका
निभाते
हैं।
कई राज्यों को लिखा पत्र
एनसीआरबी के सूत्रों की मानें तो उनका कहना है कि हमने कई राज्यों को एक पत्र लिखा है और उनसे इस तरह की घटनाओं की जानकारी जुटाने को कहा है, ताकि इस एक्शन प्लान को आगे बढ़ाया जा सके। ऐसे में एक बार यह आंकड़े आ जाए तो हम इस प्रस्ताव को केंद्र के सामने ले जा सकते हैं, जिसके बाद गृह मंत्रालय इसकी स्वीकृति दे सकता है। पिछले कुछ समय से एनसीआरबी अपने आकंड़ों में सुधार लाने के लिए लोगों से सुझाव मांगा है कि वह अपने सुझाव दे ताकि हम अपने आंकड़ों को इकट्ठा करने में सुधार कर सके।
सुधार की ओर एनसीआरबी
इसी कड़ी में एनसीआररबी पिछले कुछ समय से सेल्फी लेते समय जान जाने के आंकड़ों को जुटा ररहा है। वर्ष 2014 में एनसीआरबी ने 22 की जगह 36 तरह की घटनाओं को अपने आंकड़ों को जुटाने में शामिल किया है, जिसे आईपीसी के तहत अफराध माना गया है। इस दौरान एनसीआरबी ने धारा 377 के तहत गैंगरेप की घटनाओं की भी जानकारी हासिल करना शुरू किया।