धारा 370 पर फारुख अब्दुल्ला का बड़ा बयान, कहा- यही हमारी आजादी का रास्ता बनेगा
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श्रीनगर। भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया। इस घोषणा पत्र में बीजेपी ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35-ए हटाने की बात कही है। बीजेपी की इस घोषणा के बाद एक सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है। जम्मू कश्मीर की क्षेत्रियों पार्टियों समेत कई राजनीतिक दलों ने इस घोषणा का विरोध किया है। जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि, वह अब धारा 370 को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें यह काम करने दो, इससे वह हमारी आजादी का रास्ता बनेगा।
मुनव्वराबाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को धारा 370 बोलते हुए कहा कि, ये लोग धारा 370 को क्या मिटाना चाहते हैं। समझते हैं कि, बाहर से लाएंगे, बसाएंगे, हमारा नंबर कम कर देंगे। हम क्या सोते रहेंगे? हम इसका मुकाबला करेंगे, 370 को कैसे खत्म करोगे? अल्लाह की कसम कहता हूं, अल्लाह को यही मंजूर होगा, हम इनसे आजाद हो जाएं। करें हम भी देखते हैं। देखता हूं फिर कौन इनका झंडा खड़ा करने के लिए तैयार होगा। वो चीजें मत कर तो जिससे तुम हमारे दिलों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हो।
#WATCH F Abdullah: Bahar se laenge, basaenge,hum sote rahenge?Hum iska muqabala karenge,370 ko kaise khatam karoge?Allah ki kasam kehta hun,Allah ko yahi manzoor hoga,hum inse azad ho jayen.Karen hum bhi dekhte hain.Dekhta hun phir kon inka jhanda khada karne ke liye taiyar hoga. pic.twitter.com/hrxoh9ECOY
— ANI (@ANI) April 8, 2019
बता दें कि, बीजेपी के घोषणापत्र में कहा गया है कि पार्टी जम्मू-कश्मीर में धारा 35A और 370 हटाने की कोशिश करेगी। इस घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाली इन दोनों धाराओं को राज्य के गैर स्थाई निवासियों और महिलाओं के लिए भेदभावपूर्ण बताया गया है। गौरतलब है कि, सर्वोच्च न्यायालय में कई जनहित याचिकाएँ लंबित हैं जिनमें धारा 370 और 35A दोनों को चुनौती दी गई है।
भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करती है। धारा 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद यानी धारा है, जो जम्मू-कश्मीर को भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार प्रदान करती है। रा 370 के प्रावधानों के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है।
किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है। इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। वहीं अनुच्छेद 35-ए राज्य विधायिका को राज्य के नागरिकों और उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार देता है।
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