जिस नक्सली नेता ने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री संग ली थी हथियार चलाने की ट्रेनिंग अब झारखंड में लड़ेगा चुनाव
नई दिल्ली। जिस नक्सली नेता ने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल 'प्रचंड' के साथ हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी अब वह झारखंड में चुनाव लड़ेगा। इस नक्सली नेता की कभी झारखंड के जंगलों में हुकूमत चलती थी। खून की होली खेलने वाले इस नक्सली को लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस पकड़ नहीं पायी थी। उसने अपनी राजनीतिक महात्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए सरेंडर का रास्ता अपनाया था। इसका नाम है कुंदन पाहन। 15 लाख के इनामी कुंदन पाहन पर 77 हत्या समेत 120 से अधिक मामले दर्ज हैं। वह पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा, सांसद सुनील महतो, डीएसपी प्रमोद कुमार, इंसपेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या का भी आरोपी रहा है। उस पर आइसीआइसीआइ बैंक के वैन से पांच करोड़ रुपये लूटने का भी आरोप है। वह फिलहाल जेल में बंद है। उसने नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी के स्पेशल कोर्ट में आवेदन दे कर चुनाव लड़ने के लिए अनुमति मांगी है। वह तमाड़ से चुनाव लड़ने का इच्छुक है।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री का दोस्त
कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन ने मई 2017 में पुलिस के सामने सरेंडर किया था। पूछताछ में उसने कई सनसनीखेज खुलासे किये थे। कुंदन ने उस समय एक बड़ा धमाका किया था। कुंदन के मुताबिक सन 2000 में उसने नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल प्रचंड ( मई 2017 में प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री पद पर आसीन थे) के साथ बोकारो के झुमरा पहाड़ पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी। बंगाल जोन के माओवादी कमांडर मनीष दा ने करीब 15 दिनों तक नक्सलियों को गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दी थी। उस समय बोकारो के झुमरा पहड़ा पर नेपाल के कई और नक्सली ट्रेनिंग के लिए आये हुए थे। तब पुष्पकमल दहाल नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी के सदस्य थे। इस नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का एक सशस्त्र दस्ता भी था जिसका नाम था जनमुक्ति सेना। जनमुक्ति सेना नेपाल में राजनीति परिवर्तन के लिए खूनी क्रांति छेड़े हुए थी। इनके तार बिहार-झाऱंड के नक्सलियों से भी जुड़े थे। पुष्पकमल दहाल नक्सलियों की जनमुक्ति सेना के बड़े नेता थे। उन्होंने खूनी क्रांति के लिए झारखंड के झुमरा पहाड़ पर बिहार, झारखंड और बंगाल के नक्सलियों के साथ हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी।
कौन हैं प्रचंड ?
1990 में नेपाल राजशाही से लोकतंत्र व्यवस्था में दाखिल हुआ था। लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल तो हुई लेकिन जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हो रही थीं। जनहित की सरकार बनाने के लिए कम्युनिस्टों ने 1996 में सशस्त्र क्रांति छेड़ दी। करीब एक दशक तक नेपाल में भयंकर रक्तपात हुआ। इस तथाकथित जनयुद्ध में करीब 17 हजार लोग मारे गये थे। उस वक्त पुष्पकमल दहाल भूमिगत थे और जनमुक्ति सेना में उनका नाम प्रंचड था। बाद में वे सीपीएन (माओवादी केन्द्र) के खुले मंच से राजनीति करने लगे। वे प्रधानमंत्री बने भी तो प्रचंड के नाम से ही मशहूर रहे। अगस्त 2008 में वे पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। फिर 3 अगस्त 2016 को उन्होंने दूसरी बार नेपाल की सत्ता संभाली थी। कुंदन पाहन ने प्रचंड के बारे में 15 मई 2017 को खुलासा किया था और संयोग से प्रचंड ने नेपाल की तात्कालीन राजनीतिक परिस्थियों के कारण 24 मई 2017 को पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। यानी कुंदन एक पूर्व प्रधानमंत्री का प्रशिक्षणकालीन दोस्त भी है।
तमाड़ पर नजर
कुंदन की तमाड़ पर नजर होने की वजह से यह विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर चर्चा में है। 2009 में इसी सीट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को राजा पीटर ने उपचुनाव में हरा दिया था। आपराधिक छवि के राजा पीटर ने आदिवासियों के दिशोम गुरु शिबू सोरेन जैसे दिग्गज को हरा सनसनी फैला दी थी। दूसरे विधानसभा चुनाव में पीटर ने फिर यहां से जीत हासिल की और मंत्री भी बने। यही राजा पीटर अब पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या के आरोप में जेल बंद हैं। 2005 में राजा पीटर ने तमाड़ सीट पर रमेश सिंह मुंडा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में राजा पीटर मुंडा से हार गये थे। आरोप है कि राजा पीटर ने नक्सलियों की मदद से रमेश सिंह मुंडा की हत्या करायी थी। 2008 में तमाड़ विधायक रमेश सिंह मुंडा की एक कार्यक्रम के दौरान हत्या कर दी गयी थी। हत्या का आरोप कुंदन पाहन के दस्ते पर लगा था। सरेंडर करने के बाद कुंदन ने इस मामले में राजा पीटर का नाम लिया था।
कुंदन पाहन विधायक बनने की तैयारी में
जेल में बंद राजा पीटर को 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एनआइए कोर्ट से मंजूरी मिल चुकी है। पीटर ने तमाड़ से चुनाव लड़ने की बात कही है। इस बीच कुंदन पाहन ने भी तमाड़ से चुनाव लड़ने के लिए कोर्ट से मंजूरी मांगी है। कभी एक दूसरे की मददगार रहे कुंदन पाहन और राजा पीटर अब चुनावी मैदान में टकराने वाले हैं। 2014 में रमेश सिंह मुंडा के पुत्र विकास कुमार मुंडा आजसू के टिकट पर तमाड़ से जीते थे। उन्होंने राजा पीटर को हराया था। विकास अब झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गये हैं। अगर कुंदन पाहन ने यहां से ताल ठोकी तो सभी राजनीतिक दलों को परेशानी हो जाएगी।
इसे भी पढ़ें:- झारखंड में नक्सली पहले दूसरों को बनाते थे MP- MLA, अब खुद बन रहे 'माननीय’