23 मई के बाद खतरे में पड़ सकती है नवजोत सिंह सिद्धू की कुर्सी, जानिए क्यों?
नई दिल्ली- पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री (local bodies minister) और कांग्रेस के बड़बोले नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की कुर्सी पर खतरा मंडराना शुरू हो चुका है। पंजाब में कांग्रेस का परफॉर्मेंस बढ़िया रहे या न रहे, दोनों स्थिति में उनकी मुश्किलें बढ़नी लगभग तय लग रही हैं। क्योंकि, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) कैबिनेट के 17 में से 7 मंत्रियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और ये मामला अब पार्टी आलाकमान की दरबार तक पहुंच चुका है।
कब तक मंत्री बने रहेंगे सिद्धू?
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की मुश्किलें इसलिए ज्यादा बढ़ गई हैं, क्योंकि मंगलवार को उनके 4 कैबिनेट सहयोगियों ने उनपर इस्तीफे का दबाव काफी बढ़ा दिया है। इन मंत्रियों का कहना है कि अगर सिद्धू को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) की लीडरशिप पर भरोसा नहीं है, तो उन्हें फौरन मंत्री पद छोड़ देना चाहिए। जिन मंत्रियों ने सिद्धू से इस्तीफे की मांग की है, उनमें वरिष्ठ मंत्री त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा (Tripat Rajinder Singh Bajwa), भारत भूषण आशू (Bharat Bhushan Ashu), श्याम सुंदर अरोड़ा (Shyam Sundar Arora) और राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी (Rana Gurmeet Singh Sodhi) शामिल हैं। बाजवा ने साफ कहा है, "अगर सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर की ईमानदारी पर संदेह है और उन्हें लीडरशिप पर भरोसा नहीं है, तो उन्हें निकल जाना चाहिए।" उन्होंने ये भी कहा कि,"अगर वो (सिद्धू) नैतिक तौर पर इतने मजबूत हैं, तो कुर्सी से चिपके हुए क्यों हैं और उस आदमी के साथ काम क्यों कर रहे हैं, जिनपर उन्हें विश्वास नहीं है?"
सिद्धू के अनुभव पर भी सवाल
आलम ये है कि बीजेपी से धमाकेदार एंट्री करके पार्टी में आए कांग्रेस के स्टार प्रचार के संगठनात्मक अनुभव को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। बाजवा ने तो उन्हें बीजेपी से पार्टी में आए 'पैराशूट लीडर' तक कह दिया है। उन्होंने ये भी कहा है कि उनके पास संगठन का कोई अनुभव नहीं है, इसलिए वो "लगातार गलतियां किए जा रहे हैं, जिससे पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंच रहा है।" इस तरह से पंजाब की सत्ताधारी कांग्रेस में सिद्धू के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है और 17 में 7 मंत्री खुलकर उनके खिलाफ खड़े हो चुके हैं, जिसके चलते वे अमरिंदर कैबिनेट में अलग-थलग पड़ चुके हैं।
सिद्धू से क्यों नाराज हैं कैप्टन?
नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के बीच सियासी खटास कोई नया नहीं है। सिद्धू की सियासी महत्वाकांक्षाएं हमेशा दोनों के बीच एक सियासी तल्खी का माहौल पैदा करती रही हैं। पिछले हफ्ते चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अमरिंदर पर शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बादल फैमिल के साथ 'फ्रेंडली-मैच' का तंज कसकर तूफान खड़ा कर दिया था। एक तरह से उन्होंने कैप्टन पर बादलों के साथ 'सीक्रेट पॉलिटिकल डील' का आरोप भी मढ़ दिया था। उन्होंने 2015 में अकाली-बीजेपी शासन के दौरान धार्मिक ग्रंथ को अपवित्र करने और पुलिस फायरिंग के मामले में बादलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का सार्वजनिक तौर पर आरोप सीएम पर लगा दिया था। इससे पहले सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर (Navjot Kaur) ने उन्हें अमृतसर से लोकसभा का टिकट नहीं देने का आरोप लगाकर भी खूब बवाल काटा था। उन्होंने अमरिंदर पर ये तक तंज कसा था कि उनका कैप्टन तो भगवान है।
अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके हैं कैप्टन
बड़बोले सिद्धू के एक के बाद एक कटाक्ष और आरोपों से भड़ककर पहली बार मुख्यमंत्री ने रविवार को अपनी नाराजगी सबके सामने जाहिर की थी। उनके गुस्से को इस बात से महसूस किया जा सकता है कि जिस दिन पंजाब में वोटिंग हो रही थी, उस दिन अमरिंदर ने सिद्धू पर आरोप लगाया था कि, 'उनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अटकी हुई है।' अगले ही दिन तीन मंत्रियों ब्रह्म मोहिंद्रा (Brahm Mohindra), सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) और साधू सिंह धर्मसोत (Sadhu Singh Dharamsot) ने उनसे इस्तीफे की मांग करते हुए आलाकामना से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा था। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की पत्नी और पटियाला (Patiala) लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार परनीत कौर (Preneet Kaur) और पार्टी के प्रदेश चुनाव अभियान समिति के प्रमुख लाल सिंह (Lal Singh) ने भी सिद्धू पर जोरदार हमला बोला था। कैप्टन के नजदीकी चाहते हैं कि काउंटिंग के कारण एक-दो दिन भले ही आलाकमान उनपर कार्रवाई में देरी करे, लेकिन अगर वह इसे टालने की कोशिश करेगा तो वो मामले को रफा-दफा नहीं करने देंगे।
अब कार्रवाई के बिना नहीं मानेंगे अमरिंदर?
खबरें हैं कि मुख्यमंत्री अमरिंदर और उनके समर्थक हर हाल में सिद्धू के मसले का निर्णायक हल चाहते हैं। जानकारी के मुताबिक उन्होंने पार्टी नेतृत्व को उनके खिलाफ सिद्धू की हरकतों के 'सबूत' भी सौंपे हैं। माना जा रहा है कि इसके लिए सिद्धू की पत्नी के खिलाफ पंजाब असेंबली में तब का रिकॉर्ड खंगाला गया है जब वो बीजेपी विधायक थीं और पवित्र धर्मग्रंथ को अपवित्र करने के मुद्दे पर कभी नहीं बोला था। कैप्टन के एक करीबी के मुताबिक, "इस बार इस मामले को निर्णायक अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।" कैप्टन की पत्नी परनीत कौर (Preneet Kaur) ने कहा है कि, "अगर उन्हें किसी से कोई दिक्कत है, तो उन्हें ऐसा करने के बजाय हाई कमांड तक मामला ले जाना चाहिए। पोलिंग से एक दिन पहले आधारहीन आरोप लगाकर उन्होंने बहुत गलत किया है।" लाल सिंह ने तो यहां तक कहा है कि सिद्धू के बयान के बाद अगर कांग्रेस पंजाब में 'मिशन 13' हासिल करने में नाकाम रही तो उसके लिए सिर्फ और सिर्फ सिद्धू ही जिम्मेदार होंगे। एक और नेता राणा गुरमित सिंह सोढ़ी ने उनपर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि उन्होंने अनुशासनहीनता की है और अपने विद्रोही तेवर वाले बयान से उन्होंने टॉप पोस्ट के लिए अपनी छटपटाहट जाहिर की है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अब सवाल है कि कांग्रेस लीडरशिप पंजाब के मंत्रियों के बढ़ते दबाव पर क्या फैसला लेता है, क्योंकि बात जितनी आगे बढ़ चुकी है, अगर अब टाल-मटोल किया गया, तो यह लड़ाई पार्टी की ही मिट्टी पलीद करेगी।