सुलग रहा पारेख का 'किताबी बम', जद में जिंदल
यह भी पढ़ें- रईसों की कार की आम कहानी
ईडी ने कोयला घोटाला मामले में सीबीआई की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए मनी लॉड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसका मतलब है कि इन दोनों पर आरोप है कि कोयला खान आवंटन के मामले में अवैध तरीके से धन के लेन-देन में इनकी भागीदारी रही। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा।
ईडी ने सरकार द्वारा गठित बहुसदस्यीय समिति, 35वीं जांच समिति के सदस्यों और अधिकारियों को भी इस मामले में आरोपित किया है। अन्य आरोपियों में मैसर्स गगन स्पांज आयरन प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल), मैसर्स जिंदल रीयल्टी प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स न्यू दिल्ली एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स सौभाग्य मीडिरुा लिमिटेड और अज्ञात लोग शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार ईडी ने जिंदल के स्वामित्व वाली कंपनियों से राव की हैदराबाद स्थित फर्मों के बीच अनेक लेन-देन पाए जाने के बाद यह कदम उठाया है। इस अवैध धन को राव द्वारा झारखंड में जिंदल को 2008 में कोयला खानों के आवंटन में पक्ष में लेने के लिए दिया गया।
सीबीआई ने भी भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत इन व्यक्तियों और फर्मों के खिलाफ दायर आपराधिक शिकायत में भी यही आरोप लगाए गए थे। ईडी ने अब आरोपी फर्मों और व्यक्तियों के लेन-देन तथा बैंकिंग खातों का ब्यौरा लेना शुरू किया है।
इसके अलावा वह एफआईआर में नामित लोगों की चल व अचल संपत्तियों का भी आकलन कर रही है। ईडी ने अब तक कोयला खान आवंटन मामले में सीबीआई द्वारा आरोपित सभी लोगों और फर्मों के खिलाफ पीएमएलए के तहत समान मामले दर्ज किए हैं।
सूत्रों
ने
बताया
कि
इसी
जांच
के
अब
ईडी
इन
फर्मों
द्वारा
विदेशी
मुद्रा
उल्लंघन
की
भी
जांच
करेगी।
यह
देखा
जाएगा
कि
इस
मामले
में
विदेशी
मुद्रा
का
इस्तेमाल
तो
नहीं
हुआ।
अगर
हुआ
तो
विदेशी
मुद्रा
को
भारत
लाने
के
सभी
तय
नियमों
का
कितना
पालन
किया
गया।
ईडी
ने
इन
फर्मों
से
सभी
उचित
दस्तावेज
देने
को
कहा
है।
जिन अन्य फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें कास्ट्रन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, झारखंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड, पुष्प स्टील एंड माइनिंग, आरएसपीएल, ग्रेस इंडस्ट्रीज, झारखंड स्टील, ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर, हिंडाल्को और बीएलए इंडस्ट्रीज प्रमुख हैं। ईडी ने इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल 17 से अधिक एफआईआर का संज्ञान लिया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दोनों एजेंसियों की जांच की निगरानी कर रहा है।
राव ने खुद को निर्दोष बताया -
पूर्व कोयला मंत्री दसारी नारायण राव ने मामले में सफाई देते हुए कहा है कि अगर मैंन कोई गलत निर्णय किया होता तो प्रधानमंत्री मुझे मंत्रिपद से हटा सकते थे। ओडिशा में तालाबिरा -2 कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच के संबंध में सीबीआई ने राव से पूछताछ की है। राव ने यह भी कहा कि कोयला मंत्रालय से संबद्ध किसी भी काम पर अंतिम निर्णय कैबिनेट मंत्री शिबू सोरेन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा किया गया।
सिंह के पास अलग-अलग समय में यह मंत्रालय था। पूर्व कोयला सचिव पी . सी . परख द्वारा हाल ही में जारी उनकी किताब ' कोलगेट ' में राव और सोरेन पर भी आरोप लगाए गए हैे। मामले की जांच में भले ही तथ्य उभर कर आएं, पर इतना तय है कि पारख के किताब बम की 'आंच' से भले ही अब वे राहत में हों, पर दूसरे कई बड़े चेहरे इस आंच में कइ चेहरों की छवि खतरे में आ गई है।