दुबई इस्लामिक बैंक को 'काले जादू' से 1500 करोड़ का चूना लगाने वाला नटवरलाल
देश में इस वक़्त नीरव मोदी और पंजाब नेशनल बैंक का महाघोटाला ख़ूब सुर्ख़ियां बटोर रहा है.नीरव और उनके मामा मेहुल चोकसी ने पीएनबी को क़रीब 11 हज़ार 400 करोड़ रुपये का चूना लगाया और देश छोड़कर भाग निकले.आप को आज ऐसी ही इंटरनेशनल कहानी सुनाते हैं. इस क़िस्से में कई देशों के बैंक के कर्मचारी हैं. काला जादू है. कई देशों की सरकारें और अदालतें हैं.
देश में इस वक़्त नीरव मोदी और पंजाब नेशनल बैंक का महाघोटाला ख़ूब सुर्ख़ियां बटोर रहा है.
नीरव और उनके मामा मेहुल चोकसी ने पीएनबी को क़रीब 11 हज़ार 400 करोड़ रुपये का चूना लगाया और देश छोड़कर भाग निकले.
आप को आज ऐसी ही इंटरनेशनल कहानी सुनाते हैं. इस क़िस्से में कई देशों के बैंक के कर्मचारी हैं. काला जादू है. कई देशों की सरकारें और अदालतें हैं.
साथ ही बहुत बड़ी धोखाधड़ी के इस क़िस्से में एक प्लेब्वॉय है. बात काफ़ी पुरानी है. एक रोज़ एक शख़्स दुबई में दुबई इस्लामिक बैंक के दफ़्तर में दाख़िल हुआ.
उसे कार ख़रीदने के लिए क़र्ज़ चाहिए था. बैंक मैनेजर ने उसका क़र्ज़ मंज़ूर कर लिया.
इससे ख़ुश होकर उस शख़्स ने दुबई इस्लामिक बैंक के मैनेजर मोहम्मद अयूब को दावत पर बुलाया.
घर पर उस शख़्स ने बैंक मैनेजर को ये यक़ीन दिलाया कि उसे काला जादू आता है. इसकी मदद से वो पैसे दोगुने कर सकता है.
इस्लाम में काला जादू हराम है. इसे ईशनिंदा और तौहीन-ए-इस्लाम कहा जाता है. फिर भी मोहम्मद अयूब को उस शख़्स पर भरोसा हो गया.
अगले दिन वो कुछ रक़म लेकर दोबारा उस शख़्स के घर पहुंचा. अयूब ने देखा कि वो अजीबो-ग़रीब हरकतें कर रहा है. घर में आग और धुएं का माहौल था.
हंगामाख़ेज़ माहौल में उस शख़्स ने मैनेजर अयूब से कहा कि उस पर जिन्न का साया आ गया है. वो इस वक़्त ख़ामोश ही रहे, वर्ना उसके पैसे दोगुने नहीं होगे.
दुबई इस्लामिक बैंक
कुछ देर की उठा-पटक और तंत्र-मंत्र के बाद दुबई इस्लामिक बैंक के मैनेजर के पैसे दोगुने हो गए. वो ख़ुशी-ख़ुशी चला गया.
और इस तरह मैनेजर अयूब पर उस शख़्स का काला जादू चल गया. और इस क़दर चला कि आगे चलकर दुबई इस्लामिक बैंक दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया.
उस शख़्स का नाम था-फुटांगा बाबानी सिसोको. बाबानी सिसोको अफ्रीका के माली देश का रहने वाला था.
जिसने बैंकिंग के इतिहास में एक बहुत बड़े इंटरनेशनल घोटाले को अंजाम दिया था.
दुबई के मैनेजर को काले जादू का यक़ीन दिलाने के बाद बाबानी ने उसकी मदद से दुबई इस्लामिक बैंक को लूटना शुरू किया. ये सिलसिला 1995 से शुरू हुआ.
अगले तीन साल तक अयूब ये सोचकर बबानी सिसोको के दुनिया भर के बैंक खातों में रक़म ट्रांसफ़र करता रहा.
उसे उम्मीद थी कि ये रक़म दोगुनी होकर उसके पास वापस आएगी. उसे सिसोको के हज़ारों डॉलर के क्रेडिट कार्ड बिल और जुर्माने भी बैंक की तरफ़ भर डाले.
ये क़िस्सा बताते हैं, इस मामले की जांच करने वाले अमरीका के मयामी शहर के रहने वाले वक़ील एलन फाइन.
फ़ाइन उन दिनों को याद करके कहते हैं कि 1998 में अचानक अफ़वाहें उड़ने लगीं कि दुबई इस्लामिक बैंक मुश्किल में है.
बैंक में निवेश करने वाले भारी तादाद में उसके दफ़्तर पर जमा हो गए. बैंक कर्मचारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि कोई परेशानी नहीं है.
घोटाले का सूत्रधार
लेकिन लोग अपनी रक़म निकालने पर आमादा हो गए. बैंक कर्मचारियों ने संकट को बहुत छोटी सी परेशानी बताया.
मगर ये घोटाला इतना बड़ा था कि बैंक को डूबने से बचाने के लिए दुबई की सरकार को आगे आना पड़ा.
इसके एवज़ में बैंक के मालिकों को अपनी हिस्सेदारी सरकार को देनी पडी. इस दौरान घोटाले का सूत्रधार फुटांगा बाबानी सिसोको कहां था?
साहब, वो तो किसी और बैंक को ठगने के लिए कब का, दुबई से फ़रार हो चुका था.
दिलचस्प बात ये थी कि उसे दुबई इस्लामिक बैंक को लूटने के लिए दुबई में होने की ज़रूरत ही नहीं थी.
मैनेजर अयूब उसके दूसरे देशों के खातों में बैंक के पैसे ट्रांसफ़र कर रहा था. दुबई में डीआईबी बैंक के मैनेजर को झांसे में लेने के बाद बाबानी सिसोको जा पहुंचा था, न्यूयॉर्क.
यहां वो एक दिन सिटी बैंक के दफ़्तर पहुंचा. वहां की एक महिला कर्मचारी को बातों के जाल में उलझाया और उससे शादी कर ली.
सिटी बैंक में उसने अपनी नई बनी पत्नी की मदद से एक खाता खोला.
इस खाते के ज़रिए बाबानी सिसोको ने दस करोड़ डॉलर की रक़म दुबई इस्लामिक बैंक से इस खाते में ट्रांसफ़र कराई.
हालत ये थी कि सिटी बैंक में स्थित दुबई इस्लामिक बैंक के खाते से क़रीब 15 करोड़ डॉलर निकालकर सिसोको के खाते मे डाल दिए गए.
फुटांगा बाबानी सिसोको की ग़लती
इसके लिए ज़रूरी अधिकारियों की मंज़ूरी भी नहीं ली गई. हालांकि बाद में दुबई इस्लामिक बैंक ने ये आरोप सिसोको पर से वापस ले लिया था.
सिसोको ने इस रक़म में से 5 लाख डॉलर अपनी पत्नी को भी दिए.
एलन फाइन कहते हैं कि किसी को नहीं पता कि किस क़ानून के तहत बाबानी सिसोको ने सिटी बैंक में काम करने वाली उस महिला से शादी की थी.
मगर, वो उसकी जालसाज़ी में काफ़ी मददगार साबित हुई. उस महिला को ये पता था कि सिसोको की कई बीवियां हैं.
जो अलग-अलग देशों में रहती हैं इनमें से कुछ अफ्रीका में तो कुछ मयामी में और कुछ न्यूयॉर्क में भी रहती थीं.
इधर, दुबई इस्लामिक बैंक से अयूब सिसोको को पैसे भेजता जा रहा था. उधर, सिसोको ने इस पैसे से एक एयरलाइन खोलने का अपना ख़्वाब पूरा कर डाला.
उसने एक हॉकर-सिडेले 125 विमान ख़रीदा इसके अलावा उसने दो बोइंग 727 विमान भी ख़रीदे. फिर उसने पश्चिम अफ़्रीका में एयर डाबिया नाम से एयरलाइन शुरू की.
डाबिया सिसोको के गांव का नाम है. धोखाधड़ी का ये मायाजल मज़े में चल रहा था कि बाबानी सिसोको ने एक बड़ी चूक कर दी.
उसने अमरीका में दो ह्यूएई हेलीकॉप्टर ख़रीदने की कोशिश की. सिसोको ने कहा कि ये हेलीकॉप्टर उसे, एयर एंबुलेंस सेवा के लिए चाहिए.
मगर ये अमरीकी हेलीकॉप्टर बहुत बडे-बड़े थे. इनमें तोपें लगाई जा सकती थीं. एयर एंबुलेंस के लिए इनका इस्तेमाल कभी नहीं हुआ था.
इंटरपोल से वारंट
इन्हें अमरीका में ख़रीदने के लिए ख़ास मंज़ूरी लेनी पड़ती थी. जब अधिकारियों ने सवाल उठाए, तो सिसोको के चेलों ने उन्हें 30 हज़ार डॉलर की घूस देने की कोशिश की.
उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. इसके बाद, सिसोको के ख़िलाफ़ इंटरपोल से वारंट जारी कर दिया गया. उसे स्विटज़रलैंड के जेनेवा शहर में गिरफ़्तार कर लिया गया.
उस दौरान मयामी के वक़ील टॉम स्पेंसर ने सिसोको से जेनेवा में मुलाक़ात की थी.
जब वो जेल में सिसोको से मिलने पहुंचे, तो वहां के कर्मचारियों ने पूछा कि कहीं उसे वाक़ई तो अमरीका नहीं ले जाया जाने वाला है. वो ऐसा नहीं चाहते थे.
टॉम बताते हैं कि जेनेवा की जेल के कर्मचारियों के लिए सिसोको पेरिस से खाना मंगवाता था. सिसोको को प्रत्यर्पण करके फ़ौरन अमरीका ले जाया गया.
इस दौरान उसने अपने समर्थक जुटाने शुरू कर दिए. उसके लिए बड़े-बड़े लोग आकर खड़े होने लगे.
जज ये जानकर हैरान रह गए कि इनमे राजनयिकों से लेकर एक सीनेटर तक शामिल थे. अमरीकी सरकार चाहती थी कि सिसोको कस्टडी में ही रहे.
लेकिन उसे 2 करोड़ डॉलर की रक़म पर ज़मानत मिल गई. ये उस दौर में फ्लोरिडा राज्य का रिकॉर्ड ज़मानत की रक़म थी.
रिहा होने के बाद बाबा सिसोको ने जमकर पैसे लुटाने शुरू कर दिए. उसकी पैरवी करने वाली क़ानूनी टीम के हर सदस्य को मर्सिडीज़ या जगुआर कारें तोहफ़े में दी गईं.
सिसोको ने एक जूलरी शॉप में पांच लाख डॉलर की शॉपिंग की. उसने दूसरी दुकान में जाकर हज़ारों डॉलर की ख़रीदारी कर डाली.
फ्लोरिडा का मयामी शहर
कपड़ों के एक शो रूम में उसे 1 लाख 50 हज़ार डॉलर की रक़म लुटा दी. मयामी के एक कार डीलर रोनिल डफ्रेन बताते हैं कि सिसोको एक साथ तीन-चार कारें ख़रीदता था.
फिर कुछ दिन बाद आकर वो फिर तीन-चार कारें ख़रीदता था. रोनिल ने उसे 30-35 कारें बेची थीं. फ्लोरिडा के मयामी शहर में सिसोको एक सेलेब्रिटी बन चुका था.
उसके पहले ही कई बीवियां थीं. फिर भी उसने और शादियां कर लीं. वो अपनी बीवियों को पूरे मयामी शहर में अलग-अलग जगह पर 23 मकान किराए पर लेकर दिए हुए थे.
सिसोको के चचेरे भाई मकान मूसा कहते हैं कि वो एक प्लेबॉय था. वो देखने में ख़ूबसूरत था. कपड़े भी शानदार पहनता था.
बड़ी शानो-शौकत वाली ज़िंदगी बसर करता था, सिसोको. फर्ज़ीवाड़े से मिली रक़म से बाबा सिसोको ख़ूब दान भी दिया करता था. इससे उसके ख़ूब चर्चे होते थे.
उसने एक स्कूल के बैंड को 4 लाख 13 हज़ार डॉलर की रक़म दान दी थी. ये बैंड थैंक्स गिविंग डे परेड के लिए न्यूयॉर्क जाना चाहता था.
उसके एक और वक़ील प्रोफ़ेसर एच टी स्मिथ बताते हैं कि बाबा सिसोको हर गुरुवार को मयामी की सड़कों पर निकल जाता था और बेघर लोगों पर पैसे लुटाता था.
स्मिथ कहते हैं कि कभी-कभी वो आज के दौर का रॉबिन हुड लगता था, जो अमीरों से लूटकर ग़रीबों में बांटता था.
हालांकि स्मिथ ये मानते हैं कि वो ये पैसे सिर्फ़ शोहरत और अच्छी पब्लिसिटी के लिए लुटाता था. क्योंकि सिसोको का ट्रायल शुरू होने वाला था.
मुक़दमा शुरू हुआ तो वक़ील की सलाह के ख़िलाफ़ जाकर सिसोको ने अपना जुर्म क़बूल कर लिया. उसे लगा कि इससे वो तमाम सवालों और जिरह से बच जाएगा.
घोटाले का मुजरिम
अदालत ने उसे 43 दिन क़ैद की सज़ा दी और ढाई लाख डॉलर का जुर्माना किया.
दिलचस्प बात ये कि ये जुर्माना भी दुबई इस्लामिक बैंक की तरफ़ से दुबई के मैनेजर मोहम्मद अयूब ने भरा.
हालांकि बैंक और अयूब को सिसोको की करतूतों की ख़बर तक नहीं थी. आधी सज़ा काटने के बाद बाबा सिसोको को रिहा कर दिया गया.
उसने इसके एवज़ में बेघर लोगों के एक ठिकाने को 10 लाख डॉलर का दान दिया था. बाक़ी दिन उसे माली स्थित अपने घर में नज़रबंदी में गुज़ारने थे.
जब, बाबा सिसोको अपने वतन पहुंचा, तो उसका हीरो जैसा स्वागत हुआ. ठीक इसी दौरान दुबई इस्लामिक बैक के ऑडिटरों को बैंक के खातों में गड़बड़ी का पता चला.
मैनेजर अयूब भी परेशान था. उसने अपने एक साथी को अपनी करतूत बता दी. उसे इतनी शर्मिंदगी थी कि उसने सिसोको को दी रक़म भी काग़ज़ पर लिखी.
ये रक़म थी 24 करोड़ डॉलर. अयूब को बैंक में घोटाले का मुजरिम ठहराकर उसे तीन साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई.
काले जादू पर भरोसा खत्म करने के लिए उसका दिमाग़ी इलाज भी किया गया. उधर, घोटालेबाज़ सिसोको को कभी भी क़ानून का सामना नहीं करना पड़ा था.
सिसोको की ग़ैरमौजूदगी में दुबई की एक अदालत ने उसे घोटाला और काला जादू करने के लिए तीन साल क़ैद की सज़ा सुनाई.
इंटरपोल ने बाबा सिसोको के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी का वारंट भी जारी किया. आज भी इंटरपोल को उसकी तलाश है.
माली की प्रत्यर्पण संधि
धोखाधड़ी के इस उस्ताद के ख़िलाफ़ कई और देशों में भी मुक़दमा चला. पेरिस में चले एक केस में सिसोको के वक़ील ने कहा कि वो तो बेगुनाह है.
अयूब के जुर्म छुपाने के लिए उसे बलि का बकरा बनाया गया. हालांकि वक़ील की ये दलील अदालत ने ठुकरा दी और उसे पैसों के अवैध लेन-देन का दोषी ठहराया.
आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इतना बड़ा घोटालेबाज़ बाबानी सिसोको 2002 से 2014 तक यानी बारह साल तक सांसद रहा.
इसकी वजह से उस पर मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता था. पिछले चार सालों से वो सांसद नहीं है. मगर किसी और देश के साथ माली की प्रत्यर्पण संधि ही नहीं है.
इसलिए उसे क़ानून का सामना करने के लिए किसी और देश नहीं ले जाया सका है. हालांकि दुबई इस्लामिक बैंक उसके ख़िलाफ़ अभी भी ज़ोर-शोर से मुक़दमा लड़ रहा है.
माली की राजधानी बमाको में रहने वाली उसकी दर्ज़ी बताती है कि वो अच्छे कपड़ों का शौक़ीन था.
इस दर्ज़ी ने दो या तीन साल पहले बक्से भरकर कपड़े सिसोको के लिए सिले थे. इस दर्ज़ी का कहना है कि सिसोको दिल खोलकर लोगों को दान दिया करता था.
उसे बांटने में मज़ा आता था. सिसोको का ड्राइवर लुकाली इब्राहिम बताता है कि अगर सिसोको की जेब में पैसे होते थे, तो वो बादशाह दिल इंसान होता था.
वो ख़ूब पैसे ख़र्च करता था. उसे लोगों पर लुटा देता था. उसे लोगों की परेशानियां दूर करने में मज़ा आता था. बमाको में एक सुनार ने भी सिसोको की ख़ूब तारीफ़ की.
उसने बताया कि सिसोको अक्सर अपने दोस्तों और जानने वालों के लिए गहने बनवाता था. इन दिनों ये काले जादू वाला जालसाज़ अपने गांव डाबिया में रहता है.
बैंक की रक़म कहां गई
ये गांव माली की सेनेगल और गिनी देशों से मिलने वाली सीमा पर स्थित है. डाबिया में अभी भी वो पूरे रौब-दाब के साथ रहता है. वो हमेशा सुरक्षाकर्मियों से घिरा रहता है.
अब उसकी उम्र 70 के पार हो चुकी है. वो ख़ुद को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है.
मिलने पर बाबानी अपना नाम बताया और कहा कि जब वो पैदा हुआ तो पूरे गांव में आग लग गई थी.
फिर उसने बताया कि वो 1985 से अपने गांव को बेहतर बनाने का काम कर रहा है. उसने दावा कि एक दौर में उसकी संपत्ति क़रीब 40 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई थी.
लेकिन, जब उससे ये पूछा गया कि क्या उसने दुबई इस्लामिक बैंक को 24 करोड़ डॉलर का चूना लगाया था, तो सिसोको ने इससे सिरे से इनकार कर दिया.
सिसोको ने बीबीसी संवाददाता से कहा कि ये तो गढ़ी गई कहानी है. उस आदमी यानी बैंक मैनेजर मोहम्मद अयूब को बताना चाहिए कि बैंक की रक़म कहां गई.
इतनी रक़म कोई एक बैंक कर्मचारी तो ट्रांसफ़र कर नहीं सकता. इसके लिए कई बड़े अधिकारियों की मंज़ूरी चाहिए.
जब उसे बताया गया कि अयूब ने अदालत में दावा किया था कि सिसोको ने उस पर काला जादू कर दिया था. तो इस पर सिसोको हंस पड़ा.
उसने कहा कि अगर किसी के पास काले जादू की ताक़त होगी, तो मेहनत करेगा क्या. उसने कहा काला जादू चले, तो लोग जर्मनी, फ्रांस, अमरीका के बैंक न लूट लें.
जब सिसोको से पूछा गया कि क्या वो अब भी अमीर है. तो उसने साफ़ इनकार कर दिया. इतने बड़े जालसाज़ का जवाब था कि अब वो अमीर नहीं ग़रीब है.
आज भी वो इंटरपोल को धता बताकर 20 साल भगोड़े की ज़िंदगी बिताई है. उसने जितनी रक़म लूटी थी, वो सब गंवा दी.
आज वो अपना देश माली छोड़कर कहीं जाने की सोच भी नहीं सकता. यानी वो अपने देश की सरहदों का क़ैदी है.
क्योंकि बाहर जाने पर इस जालसाज़ को फ़ौरन गिरफ़्तार लिया जाएगा.
दिलचस्प बात ये कि जिस काले जादू को चलाकर फुटांगा बाबानी सिसोको ने दुबई के बैंक से करोड़ों रुपए लूट लिए, उसके लिए सिसोको को आज तक एक भी दिन जेल में नहीं गुज़रना पड़ा है.