पूरा हुआ सीरो सर्वेक्षण के अंतिम दौर का राष्ट्रव्यापी सर्वे, सितंबर के अंत तक आ जाएंगे परिणाम
नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने दूसरे दौर के सीरो सर्वेक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करिलया है। कोरोना वायरस की व्यापकता निर्धारित करने के लिए और उसकी पहचान के लिए कराए गए सीरो सर्वे के नतीजे सितंबर माह के अंत तक आने की उम्मीद है। राज्यों ने आईसीएमआर के साथ मिलकर क्षेत्र और शहर विशिष्ट सर्वेक्षण भी किए हैं।
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दूसरे चरण के सीरो सर्वे के नतीजों का विश्लेषण कर रहा है आईसीएमआर
रविवार को आईसीएमआर ने बताया कि अभी वह दूसरे और आखिरी चरण की सीरो सर्वे में आए नतीजों का विश्लेषण कर रही है, जिसमें वह पहले और दूसरे चरण के नतीजों को तुलनात्मक अध्ययन करेगी। आईसीएमआर ने यह भी कहा कि वह पिछले सर्वेक्षण से संबंधित कंटेनमेंट जोन के निष्कर्ष राज्य अधिकारियों से साझा करता रहा है। उसने कहा पिछले सर्वे के कंटेनमेंट जोन के परिणाम राज्य सरकारों को बता दिए गए थे।
21 राज्यों में समान 69 जिलों में करीब 24,000 के नमूनों का परीक्षण हुआ
दूसरे और आखिरी चरण के सीरो सर्वे में कुल 21 राज्यों में समान 69 जिलों में 24,000 के करीब नमूनों का परीक्षण किया गया है, जो राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण के पहले दौर में शामिल थे। चेन्नई में स्थित ICMR का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी, सर्वेक्षण और विश्लेषण परिणामों का पर्यवेक्षण करने वाली नोडल एजेंसी है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया था कि सितंबर के अंत तक दूसरे सीरो सर्वे के परिणाम सार्वजनिक कर दिए जाएंगे।
मई में पहले सीरो सर्वेक्षण के बाद से रोग की व्यापकता कैसे बदल गई?
सीरो सर्वेक्षण का उद्देश्य यह भी निर्धारित करना है कि मई में पहले सीरो सर्वेक्षण के बाद से रोग की व्यापकता कैसे बदल गई है, जबकि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू था। हाल ही में आईसीएमआर महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने भी पुष्टि की थी कि सीरो सर्वेक्षण पहले ही पूरा हो गया था और परिणाम सितंबर के अंत तक निकलने की संभावना थी।
चयनित लोगों के रक्त नमूनों का विश्लेषण करके सीरो सर्वेक्षण किया जाता है
गौरतलब है कोरोना वायरस का कारक Sars-Cov-2 के खिलाफ एंटीबॉडी के लिए चयनित वॉलंटियर्स के रक्त नमूनों का विश्लेषण करके सीरो सर्वेक्षण किया जाता है, जो निर्धारित करता है कि क्या कोई व्यक्ति पहले से संक्रमित है और स्वस्थ हो गया है। अधिकांश संक्रमित रोगियों में कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।