National War Memorial: जानिए देश के पहले वॉर मेमोरियल के बारे में सब-कुछ जिसका उद्घाटन किया पीएम मोदी
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नई दिल्ली। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट से कुछ दूर स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल को देश के नाम समर्पित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान एक वॉर मेमोरियल का वादा किया था। इसके उद्घाटन के साथ ही उन्होंने सेना, वायुसेना और नौसेना के सैनिकों से किया अपना एक वादा भी पूरा किया है। भारत में यह पहला ऐसा वॉर मेमोरियल है जहां आजादी के बाद हुए हर युद्ध के शहीदों के नाम दर्ज हैं। अभी तक देश में इस तरह का कोई भी वॉर मेमोरियल नहीं था। जानिए भारत के लिए इस वॉर मेमोरियल की क्या अहमियत है और इसकी क्या खासियतें हैं।
24,942 सैनिकों की याद में बना
इस वॉर मेमोरियल को 25,942 सैनिकों की याद में बनाया गया है। इंडिया गेट के करीब स्थित इस वॉर मेमोरियल पर जिन युद्ध या खास ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के नाम दर्ज हैं उसमें 1947-48 में गोआ क्रांति , 1962 में चीन के साथ हुआ युद्ध, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के अलावा 1987 में सियाचिन पर चले संघर्ष, 1987-1988 में श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पवन और 1999 में कारगिल युद्ध के शहीदों के नाम दर्ज हैं। इसके अलावा कुछ और ऑपरेशन जैसे ऑपरेशन रक्षक के बारे में भी यहां पर जानकारियां और इसमें शहीद हुए सैनिकों के नाम दर्ज हैं।
करीब 500 करोड़ की लागत से तैयार
इस मेमोरियल को तैयार करने में करीब 500 करोड़ रुपए क खर्च आया है और अगर अमेरिकी डॉलर में इसकी तुलना करें तो यह राशि 70 मिलियन डॉलर है।नेशनल वॉर मेमोरियल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावों के दौरान किया गया एक अहम वादा था। यह अब लगभग तैयार हो चुका है और यह भारतीय सैनिकों के सम्मान में बना है जिन्होंने आजादी के बाद हुए युद्ध में अपने प्राण गंवा दिए थे। नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के सी-हेक्सागॉन में है। यह वॉर मेमोरियल 40 एकड़ में बना है और यहां पर एक वॉर म्यूजियम भी है। वॉर मेमोरियल के इसके चारों ओर अमर, वीर, त्याग और रक्षा के नाम से सर्किल्स बने हुए हैं। यहां पर परमवीर चक्र विजेताओं के बस्ट भी लगे हुए हैं।
मोदी सरकार ने 4 साल पहले निर्माण को मंजूरी दी
पहली बार 1960 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव सेनाओं की ओर से दिया गया था। लेकिन कुछ वजहों से इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका और अक्टूबर 2015 में जाकर केंद्र सरकार ने इस वॉर मेमोरियल की मंजूरी दी। ब्रिटिश शासन के दौरान सन् 1931 में इंडिया गेट का निर्माण हुआ जिसे पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। इसके बाद सन् 1971 के युद्ध में शहीद हुए 3843 सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति यहां पर आई और यह अभी तक जल रही है।
अब यहां होंगे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम
पहले इस वॉर मेमोरियल को गणतंत्र दिवस के पहले खोलने का प्लान था लेकिन सरकार ने इसमें बदलाव कर दिए। उद्घाटन के बाद वॉर मेमोरियल को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा, सूत्रों की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। अमर जवान ज्योति पर जो ज्योति जलती है, वह उसी तरह से जलती रहेगी और यहां पर बाकी कार्यक्रम भी पहले की ही तरह होते रहेंगे। अगले वर्ष से गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम इसी वॉर मेमोरियल पर होंगे। इस वॉर मेमोरियल के लिए एंट्री पूरी तरह फ्री है। गर्मियों में यानी अप्रैल से अक्टूबर के दौरान सुबह नौ बजे से शाम के 7:30 तक यह मेमोरियल आम जनता के लिए खुला रहेगा। वहीं सर्दियों में यानी नवंबर से मार्च तक इसका समय सुबह नौ बजे से शाम के 6:30 बजे तक होगा।