भारत के संग मंगल पर जाना चाहता है अमेरिका, जानिए क्यों
बेंगलुरु। दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक संस्थान नासा मंगल ग्रह की यात्रा पर जाने की तैयारी में है। इस यात्रा की खासियत यह है कि अमेरिका इस यात्रा पर भारत के संग जाना चाहता है। जी हां नासा ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को पत्र लिखकर ज्वाइंट ऑपरेशन के लिये आमंत्रित किया है।
अगर इस आमंत्रण को इसरो स्वीकार करता है, तो चीन, रूस, जापान और ब्रिटेन के लिये यह बहुत बड़ा झटका होगी। क्योंकि आज अंतरिक्ष के मिशन पर भारत-अमेरिका साथ हैं, तो आगे कई मिशन साथ में लॉन्च कर सकते हैं।
क्यों आमंत्रित किया भारत को
लाल ग्रह पर नये मिशन के लिये भारत को क्यों इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भारत का मंगल मिशन है, जो दुनिया का सबसे कम कीमत वाला अंतरिक्ष मिशन था। मंगलयान की सफलता से नासा को यह समझ आ गया कि इसरो लो-कॉस्ट प्रोजेक्ट को लॉन्च करने में माहिर है।
मंगल ग्रह
नासा के वैज्ञानिक व जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के निदेशक चार्ल्स इलाची ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भविष्य में भारत और अमेरिका एक ज्वाइंट मिशन के साथ मंगल ग्रह पर जा सकते हैं।
नासा-इसरो के ज्वाइंट मंगल मिशन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-
-
शुरुआती
चरणों
में
यह
रोबोटिक
मिशन
होगा,
जिसमें
एक
रोबोट
को
मंगल
पर
भेजा
जायेगा।
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2020-2030
के
बीच
इसी
मिशन
का
विस्तार
करते
मानव-युक्त
रॉकेट
को
मंगल
पर
भेजने
की
योजना
है।
-
अमेरिका
को
उम्मीद
है
कि
इसरो
इसमें
भागीदार
बनने
के
लिये
जरूर
आगे
बढ़ेगा।
-
इस
मिशन
में
नासा
यूरोप,
फ्रांस,
इटली
के
भी
अंतरिक्ष
संगठनों
को
शामिल
करना
चाहता
है।
-
कई
देश
मिशन
में
शामिल
भी
होंगे
तो
भी
भारत
नासा
का
सबसे
बड़ा
पार्टनर
होगा।
-
बराक
ओबामा
ने
हाल
ही
में
कहा
था
कि
अमेरिका
मनुष्य
को
मंगल
पर
भेजना
चाहता
है,
लेकिन
उसमें
भारत
समेत
कई
देशों
के
सहयोग
की
जरूरत
है।
-
अगर
इसरो
आया
तो
उसकी
सबसे
बड़ी
भूमिका
नेवीगेशन
और
कम्यूनिकेशन
के
क्षेत्र
में
होगी,
जिसमें
इसरो
को
महारथ
हासिल
है।
-
नासा
उल्कापिंडों
पर
बड़ा
अध्ययन
करने
जा
रहा
है,
उसमें
भी
उसने
भारत
के
लिये
दरवाजे
खोल
रखे
हैं।
-
अगर
इसरो
इसमें
पार्टनर
बनता
है
तो
भारत-अमेरिका
के
संबंध
और
ज्यादा
मजबूत
होंगे।
- एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में भी भारत-अमेरिका मिलकर काम करने की योजना में हैं।
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