#NarodaPatiyacase: 11 लोगों ने दी थी माया कोडनानी के खिलाफ गवाही लेकिन इनकी बात से बदल गया फैसला
नई दिल्लीः साल 2002 में गुजरात के नरोदा पाटिया में हुए दंगों को लेकर शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। इस फैसले में तत्कालानी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में शामिल माया कोडनानी को अदालत ने निर्दोष करार दे दिया। 15 सालों तक चले इस केस में माया कोडनानी के खिलाफ 11 चश्मदीदों ने गवाही दी थी, लेकिन इस मामले में कोर्ट ने चश्मदीदों की नहीं बल्कि गुजरात पुलिस की गवाही को माना।
पूरे मामले में हाईकोर्ट ने गुजरात पुलिस की गवाई को सच माना। पुलिस ने कोर्ट में गवाही दी थी कि दंगों के दौरान माया कोडनानी के इलाके में रहने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं। बता दें, गुजरात पुलिस के अलावा अमित शाह ने भी माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दी थी।
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अदालत में अमित शाह ने कहा था कि दंगों के समय माया कोडनानी गुजरात विधानसभा भवन में ही मौजूद थीं। 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में दंगे हुए थे इनमें सबसे बड़ा जनसंहार हुआ था, जिसमें करीब 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी, वहीं 33 लोग जख्मी हो गए थे।
इस मामले में माया कोडनानी को भी ही निर्दोष करार दे दिया हो लेकिन हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगों के लिए बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया और बाबू बजरंगी को जिंदगी की आखिरी सांस तक कारावास की सजा सुनाई । साथ ही हरेश छारा, सुरेश लंगड़ा को भी दोषी करार दिया।
कौन
है
माया
कोडनानी
माया
कोडनानी
तीन
बार
विधायक
रह
चुकीं
हैं।
2002
दंगों
के
समय
वो
गुजरात
की
मोदी
सरकार
में
मंत्री
थीं।
मयाा
कोडनानी
ने
साल
1995
में
अहमदाबाद
निकाय
चुनावों
में
सफलता
हासिल
करने
के
बाद
उन्होंने
अपना
सियासी
सफर
शुरू
किया
था।
उसके
तीन
साल
बाद
ही
1998
में
वो
पहली
बार
एमएलए
बनीं।
पेशे
से
वो
एक
गाइनकालजिस्ट
हैं,
लेकन
बहुत
वक्त
पहले
ही
उन्होंने
अपना
पेशा
मुख्य
रूप
से
छोड़
दिया
था।
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