पीएम मोदी बोले- अब वोटों की संख्या देख नहीं बनती योजनाएं, हमारी सरकार दलितों के विकास के लिए प्रतिबद्ध
पीएम मोदी बोले- हमारी सरकार दलितों के विकास के लिए प्रतिबद्ध
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन किया। अटल टनल का लोकार्पण करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्व की सरकारों पर निशाना साधा और अपनी सरकार को समय से काम करने वाली बताया। इस दौरान मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ये देखकर योजनाएं नहीं बनाती कि किस जाति की कितनी वोट हैं। बल्कि योजनाएं सभी के विकास को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है।
दलितो, शोषितों के विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध
नरेंद्र मोदी ने इस दौरान कहा, अब 'सबके साथ से, सबके विश्वास से, सबका विकास हो रहा है' हमारी सरकार हर किसी को खासतौर से दलित, आदिवासियों, वंचितों को बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि समाज और व्यवस्थाओं में सार्थक बदलाव के विरोधी जितनी भी अपने स्वार्थ की राजनीति कर लें, ये देश रुकने वाला नहीं है।
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किसानों के खाते में एक लाख करोड़ जमा किए
प्रधानमंत्री ने इस दौरान कहा, पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के लगभग सवा 10 करोड़ किसान परिवारों के खाते में अब तक करीब 1 लाख करोड़ रुपए जमा किया जा चुका है। इसमें हिमाचल के सवा 9 लाख किसान परिवारों के बैंक खाते में भी लगभग 1000 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं।अटल टनल के साथ-साथ हिमाचल के लोगों के लिए एक और बड़ा फैसला लिया गया है। हमीरपुर में 66 मेगावॉट के धौलासिद्ध हाइड्रो प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी गई है। इस प्रोजेक्ट से देश को बिजली तो मिलेगी ही, हिमाचल के अनेकों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
श्रम कानूनों को लेकर पीएम ने कहा, अभी तक स्थिति ये थी कि देश में अनेक सेक्टर ऐसे थे जिनमें बहनों को काम करने की मनाही थी। हाल में जो श्रम कानूनों में सुधार किया गया है, उनसे अब महिलाओं को भी वेतन से लेकर काम तक के वो सभी अधिकार दे दिए गए हैं, जो पुरुषों के पास पहले से हैं।
2014 के बाद तेज हुआ अटल टनल का काम
नरेंद्र मोदी ने कहा, अटल टनल के काम में 2014 के बाद अभूतपूर्व तेजी लाई गई। पहले हर साल 300 मीटर सुरंग बन रही थी, हमने 1400 मीटर प्रति वर्ष कर दी। यूपीए सरकार होती तो छह साल का काम 26 साल में पूरा होता। यह सुरंग 3200 करोड़ खर्च कर बनाई गई है। यदि 20 साल और लगते तो यह खर्च कितना होता। अटल टनल की तरह ही अनेक प्रोजेक्टों के साथ यही व्यवहार हुआ। लद्दाख में दौलत बेग एयर स्ट्रिप में भी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखी। ऐसे सामरिक महत्व के बड़े प्रोजेक्ट सालों तक लंबित रखे गए। यह देश की सुरक्षा से भी समझौता है।