केंद्र सरकार ने शुरू की UGC को खत्म करने की प्रक्रिया, नया मसौदा तैयार
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नई दिल्ली। भारत में उच्च शिक्षा में सुधार की दिशा में मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को खत्म कर उसकी जगह एक नया आयोग बनाने जा रही है। केंद्र सरकार की तरफ से मानव संसाधन मंत्रालय ने यूजीसी एक्ट 1951 को समाप्त करने की घोषणा करते हुए कहा कि देश में जल्द ही इसके स्थान पर उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार ने यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्थान पर भारत के उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना के लिए एक मसौदा बिल तैयार किया है।
नई संस्था को उच्च शिक्षा आयोग नाम दिया जा सकता है
सूत्रों की मानें तो सरकार यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन को खत्म कर हॉयर एजुकेशन के लिए एक नई संस्था बना सकती है। इस नई संस्था को उच्च शिक्षा आयोग नाम दिया जा सकता है। सरकार इस अधिनियम की ब्रैंडिंग 'इंस्पेक्टर राज' खत्म करने के तौर पर कर रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने अधिनियम के मसौदे को बुधवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है।
नए आयोग के लिए लोगों से मांगी राय
ड्रॉफ्ट के अनुसार भारत का नया उच्च शिक्षा आयोग पूरी तरह अकादमिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगा जबकि वित्तीय अधिकार मंत्रालय के अधीन होंगे। मानसून सत्र में सरकार इस ड्रॉफ्ट को संसद में पेश कर सकती है। यूजीसी को खत्म करने के लिए सरकार ने जो ड्रॉफ्ट बनाया है उसे उच्च शिक्षा कमीशन ऑफ इंडिया एक्ट 2018 के नाम से जाना जाएगा। मंत्रालय ने नए आयोग के लिए जनता की राय और सुझाव मांगे हैं। सात जुलाई तक कोई भी व्यक्ति इस पर सरकार को अपनी राय दे सकता है।
नए कानून का मकसद 'शिक्षा व्यवस्था का संपूर्ण विकास' करना
मंत्रालय का कहना है कि नए कानून का मकसद 'शिक्षा व्यवस्था का संपूर्ण विकास' करना है, ताकि छात्रों को अपने भविष्य के लिए बेहतर अवसर मिल सकें। मंत्रालय के मुताबिक नए आयोग के गठन के बाद शिक्षा संस्थानों के लिए बाहर से नियम तय होने की गुंजाइश कम हो जाएगी। मंत्रालय का कहना है कि नई व्यवस्था पारदर्शी होगी, जिससे उच्च शिक्षा के मामलों में योग्यता और गुणवत्ता के आधार पर फैसले लिए जा सकेंगे। बता दें कि, यूजीसी को खत्म करने के लिए यूपीए सरकार के समय गठित यशपाल समिति, हरी गौतम समिति ने सिफारिश की थी, लेकिन तब इस पर कोई फैसला नहीं हो सका था।