मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला, 58 अप्रासंगिक कानूनों को खत्म करने के विधेयक को मंजूरी दी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक कई बड़े फैसले लिए गए। इसमें पुराने और आप्रसंगिक हो चुके कानूनों को समाप्त करने की कवायद में, केंद्रीय कैबिनेट ने 58 कानूनों को खत्म करने के एक विधेयक को मंजूरी दे दी। केंद्र की एनडीए सरकार ने लगातार दो कार्यकाल के दौरान अब तक अनावश्यक हो चुके 1824 पुराने कानूनों को खत्म करने की ओर कदम बढ़ाया है। निरसन और संशोधन विधेयक, 2019 को संसद की मंजूरी मिलने के बाद, 137 कानून, जो सरकार के अनुसार अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं, उनको अगले हिस्से समाप्त कर दिया जाएगा।
58 कानूनों को खत्म किया जाएगा
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद जिन 58 कानूनों को खत्म किया जाएगा, उनकी सूची तत्काल उपलब्ध नहीं हो पाई है। हालांकि सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इनमें अधिकांश ऐसे कानून हैं, जिन्हें प्रमुख या मुख्य कानूनों में संशोधन करने के लिए लागू किया गया था। फिलहाल ये कानून अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं। सरकार के एक अधिकारी ने कहा, "एक बार जब मुख्य कानून में संशोधन कर दिया गया तो इन संशोधन कानून ने प्रासंगिकता खो दी है। स्वतंत्र कानून के रूप में कानूनी पुस्तकों में इनकी उपस्थिति अनावश्यक है और वे केवल व्यवस्था को रोक रहे हैं।"
इसे भी पढ़ें:- सपा छोड़ने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर बीजेपी में शामिल
मोदी सरकार ने अब तक 1824 पुराने कानूनों को खत्म करने की ओर बढ़ाया कदम
2014 में पहली बार मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद, पुरातन कानूनों को निरस्त करने के लिए दो सदस्यीय पैनल की स्थापना की थी और पैनल ने केंद्र और राज्य सरकार से इन कानूनों को निरस्त करने की सिफारिश करने से पहले परामर्श भी किया था। 1950 से 2001 के बीच सौ से अधिक अधिनियम निरस्त किए गए। एक समय में, 100 ऐसे कानूनों को एक बार में निरस्त कर दिया गया था।
मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए अब सिर्फ NEET की परीक्षा होगी
केंद्रीय कैबिनेट इसके अलावा दिवालियापन पर कानून इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में सात संशोधनों को भी मंजूरी दे दी। इन संशोधनों के बाद कंपनियों की दिवालिया प्रक्रिया शीघ्र पूरी होने के आसार हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कैबिनेट ने मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अब एक परीक्षा होगी। कैबिनेट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना को मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में अलग-अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित होती है। अब से इन सबकी जगह सिर्फ नीट की परीक्षा होगी। इसके आधार पर ही छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन मिलेगा।