बस आ रही हैं नंदन नीलेकणी की रीबूटिंग गर्वंमेंट
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) नंदन नीलेकणी सियासत से दूर होते ही अपने मन के काम करने लगे हैं। वे इन दिनों रीबूटिंग गर्वंमेंट नाम से एक किताब लेख रहे हैं। इसके फोकस में गर्वंनेंस जैसे सवाल होंगे। इसके इस साल के अंत बाजार में आ जाने की संभावना है। इसे छापने के लिए तमाम बड़े प्रकाशक लाइन लगा रहे हैं नंदन नीलेकणी के सामने।
इमेजिनिन्ग इंडिया
आपको याद होगा कि कुछ साल पहले नंदन नीलेकणी इमेजिनिन्ग इंडिया नाम से एक किताब लिखी थी। उसमें उन्होंने उस आदर्श भारत के बारे में बताया था जो वे बनता हुआ देखना चाहते हैं। उस किताब की देश में खासी चर्चा हुई थी। वे तमाम विषयों पर लगातार लिखते हैं। उनकी राय बेबाक होती है।
राजनीति से तौबा
कुछ समय पहले वन इंडिया ने खबर दी थी कि वे राजनीति से दूरी बना रहे हैं। उन्हें इस बात से नाराजगी है कि कांग्रेस के किसी असरदार नेता ने उन्हें लोकसभा चुनाव में हार जाने के बाद एक फोन करने के भी जहमत नहीं उठाई। वे बीता लोकसभा चुना हार गए थे बैंगलूर से। देश की चोटी की आईटी कंपनी इंफोसिस के संस्थापकों में से नंदन नीलेकणी ने ही देश में आधार कार्ड का कंसेप्ट दिया।
मैथ्स के लिए काम
नंदन नीलेकणी के पास इंफोसिस के जितने शेयर हैं, उससे उन्हें हर साल करीब 400 करोड़ रुपये तक लाभांश मिलता है। इतनी बड़ी राशि का वे शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग करना चाहते हैं। आईआईटी के स्टुडेंट रहे नंदन नीलेकणी इस बात का बार-बार उल्लेख करते रहे हैं कि देश में सांइस और मैथ्स पर फोकस नहीं दिया जा रहा है। नंदन नीलेकणी की पत्नी रोहिणी नीलेकणी तो शिक्षा के क्षेत्र में पहले से ही एक्टिव हैं।