गुजरात दंगे पर नानावती मेहता कमीशन की अंतिम रिपोर्ट पेश, तत्कालीन मोदी सरकार को क्लीन चिट
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नई दिल्ली। 2002 के गुजरात दंगों पर बने न्यायमूर्ति नानावती-मेहता आयोग की आखिरी रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई है। रिपोर्ट में उस समय की गुजरात सरकार को क्लीन चिट दी गई है। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि गोधरा में ट्रेन को जलाए जाने के बाद प्रदेश में भड़के दंगे प्रायोजित नहीं थे और इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।
2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद गठित नानावती आयोग रिपोर्ट का दूसरा भाग आज विधानसभा में पेश हुआ है। आयोग ने सितंबर 2009 को विधानसभा में रिपोर्ट का पहला भाग पेश किया गया था। यह आयोग गोधरा ट्रेन अग्निकांड और बाद में फैले सांप्रदायिक दंगों के कारणों की जांच के बनाया गया था। आयोग ने 18 नवंबर, 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी लेकिन तब से यह रिपोर्ट राज्य सरकार के पास ही थी, इसे विधानसभा में पेश नहीं किया गया था।
राज्य सरकार ने पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार ने इसको लेकर अदालत में जनहित याचिका दायर की थी। श्रीकुमार ने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को यह रिपोर्ट सार्वजनिक करने का निर्देश देने की दरख्वास्त की थी। इस मामले पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। इस पर राज्य सरकार ने इसी साल सितंबर में गुजरात उच्च न्यायालय से कहा था कि वह अगले विधानसभा सत्र में रिपोर्ट पेश कर देगी।
राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्रीकुमार ने आयोग के समक्ष हलफनामा देकर गोधरा के बाद फैले दंगे के दौरान सरकार की ओर से कथित निष्क्रियता बरते जाने पर सवाल उठाया था। उन्होंने नवंबर, 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पटेल को प्रतिवेदन देकर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की थी।
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