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नज़रिया- 'हज सब्सिडी इंदिरा के दिमाग़ की उपज थी'

कांग्रेस मुसलमानों की आर्थिक तरक्की के लिए कोई ठोस कदम उठाने के बजाय इस 'टोकनिज़्म' से खुश थीं.

By BBC News हिन्दी
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हज
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यह सचमुच प्रशंसनीय है कि हज सब्सिजी बंद हो गई है. हालांकि, कुछ प्राथमिक तथ्य चर्चा का और हज सब्सिडी से संबंधित चर्चा का हिस्सा नहीं हैं.

सबसे पहले, भारत में कभी भी मुस्लिम समुदाय ने हज सब्सिडी की मांग नहीं की थी. सैयद शहाबुद्दीन से लेकर मौलाना महमूद मदनी तक और असदुद्दीन ओवैसी से लेकर ज़फरुल-इस्लाम ख़ान तक कई मुस्लिम नेता और विद्धान लगातार हज सब्सिडी को ख़त्म करने की मांग करते रहे हैं.

दूसरे, सालों से हज सब्सिडी मुस्लिम समुदाय को सीधे नहीं मिल रही थी. भारत सरकार सऊदी अरब की उड़ान के लिए हवाई टिकट पर एयर इंडिया को सब्सिडी देती थी.

प्रत्येक हज यात्री के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत यह रकम तकरीबन दस हज़ार रुपये थी. लेकिन व्यवहारिक रूप से कभी भी हज यात्रियों को नहीं दी गई, बल्कि एयर इंडिया को स्थानांतरित कर दी गई.

हज सब्सिडी ख़त्म करने पर मुसलमान क्या बोले?

नरेंद्र मोदी
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दूसरे शब्दों में कहें तो इस वित्तीय मदद का इस्तेमाल एयर इंडिया का बोझ कम करने के लिए किया गया, न कि हज यात्रियों के लिए.

ये वो वक्त था जब तेल संकट के कारण हज यात्रा बेहद महंगी हो गई थी और विमानों का किराया आसमान छूने लगा था. इस सब्सिडी को स्टॉपगैस के रूप में पेश किया गया और इस तरह इस पर हमेशा के लिए 'अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण' का लेबल चस्पा हो गया.

इंदिरा गांधी और कांग्रेस भारत के मुसलमानों की आर्थिक तरक्की के लिए कोई ठोस कदम उठाने के बजाय इस टोकनिज़्म से खुश थीं.

सियासती चश्में से देखें तो हज सब्सिडी इंदिरा गांधी के दिमाग़ के उपज थी, जिसका दांव उन्होंने आपातकाल में मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने के लिए चला था.

कांग्रेस नेतृत्व ने ज़ाकिर हुसैन और फख़रुद्दीन अली अहमद को राष्ट्रपति तो बनाया, लेकिन साथ ही राम सहाय आयोग, श्रीकृष्ण आयोग, गोल सिंह आयोग और सच्चर आयोग की सिफारिशों पर चुप्पी लगाकर बैठी रही.

हज पर क्या मोदी सच में गुमराह कर रहे हैं?

हज यात्री
Getty Images
हज यात्री

देश में जैसे ही दक्षिणपंथी विचारधारा ने तेज़ी से पैर पसारे, हज सब्सिडी को मुसलमानों के ख़िलाफ़ पेश किया गया.

अफ़वाहों या कानाफूसी के माध्यम से, व्हाट्सऐप संदेशों से, पैम्फलेट के माध्यम से ऐसा सुना जाता है कि 'धर्मनिरपेक्ष' पार्टियां अकाल, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए करदाताओं का पैसा मुस्लिमों पर लुटाती रही हैं.

इसके ख़िलाफ़ ये तर्क है कि सरकारी खर्च पर किसी तरह की चर्चा नहीं होती. फिर चाहे हिंदू और सिख तीर्थयात्रियों के लिए सरकारी सब्सिडी का मामला हो या फिर मंदिरों के रखरखाव और इसके पुजारियों को वेतन का भुगतान करने का मामला.

महाकुंभ और अर्धकुंभ जैसे आयोजनों में सरकारी खर्च पर भी कोई बात नहीं होती है.

हिंदुओं को कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय से और उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों से सब्सिडी मिलती है.

साल 1992-94 के बीच, केंद्र सरकार की इच्छानुसार समुद्र मार्ग से हज के लिए जाना पर पूरी तरह बंद करा दिया गया था. कांग्रेसी प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एआर अंतुले ने भारत में मुसलमानों के लिए हज सब्सिडी को छूट के रूप में पेश किया.

दिलचस्प ये है कि, खुदा से डरने वाले मुसलमान हज यात्रा पर जाने से पहले ये सुनिश्चित करते हैं कि जिस पैसे से वो हज के लिए जा रहे हैं वो कर्ज या ब्याज से न जुटाया गया हो.

हज इबादत का पवित्र कार्य है और उन मुसलमानों के लिए अनिवार्य है जो आर्थिक रूप से और सेहत की दृष्टि से जीवन में एक बार ऐसा करने में सक्षम हों. हाजियों के लिए सरकार से एक छोटी सी रकम लेने का सवाल कहां है, जबकि वो अपने रहने, खाने, मोबाइल फोन, घूमने, और सिम कार्ड तक का खर्चा अपनी कड़ी मेहनत की कमाई से खुशी-खुशी उठाते हैं.

सरकार इस पर क्यों चुप है कि क्यों दिल्ली-जेद्दा-दिल्ली, या मुंबई-जेद्दा-मुंबई का हवाई किराया 55 हज़ार से अधिक क्यों है, जबकि सामान्य किराया 28 से 30 हज़ार रुपये है.

जमात उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी
BBC
जमात उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी

2006 में, जमात उलेमा ए हिंद के मौलाना महमूद मदनी ने घोषणा की थी, "हज करते हुए किसी भी तरह की मदद लेना शरियत के ख़िलाफ़ है. कुरान के मुताबिक, सिर्फ़ वे ही मुसलमान हज पर जा सकते हैं, जो वयस्क हों, आर्थिक रूप से सक्षम हों और निरोग हों."

ज़फ़रूल इस्लाम ख़ान ने कहा, "आम तौर पर मुस्लिम हज सब्सिडी के पक्ष में नहीं हैं. हम सब्सिडी को एयर इंडिया या सऊदी एयरलाइंस को सब्सिडी के रूप में मानते हैं, न कि मुस्लिम समुदाय के लिए. ये सिर्फ़ सामान्य और साधारण मुस्लिम मतदाताओं को दिखाने के लिए किया गया कि वे उन्हें फ़ायदा पहुँचा रहे हैं."

अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने हज सब्सिडी को खत्म करने का निर्देश दिया और सरकार को इसे दस साल में पूरा करने को कहा. अपने फ़ैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि सब्सिडी राशि हर साल बढ़ रही है और यह 1994 में 10 करोड़ 51 लाख से बढ़कर 2011 में 685 करोड़ हो गई. वर्तमान के लिए हज सब्सिडी 200 करोड़ रुपये थी.

BBC Hindi
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English summary
Najaria Haj subsidy was the brainchild of Indiras brain
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