उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सरकारी बंगलों में रह रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों से किराया लिया जाए
नई दिल्ली। नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला देते हुए 'फॉर्मर सीएम फेसिलिटी एक्ट 2019' को असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा देने वाले अधिनियम को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानते हुए यह फैसला सुनाया। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि सरकारी बंगला पाए पूर्व मुख्यमंत्रियों से मार्किट रेट के हिसाब से किराया वसूल किया जाए।
कोर्ट ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 202 से 207 का उल्लंघन माना है। अब सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित बंगलों का बाजार दर के हिसाब से किराए का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों के रूप में उन्हें दी गई अन्य सभी सुविधाओं के लिए खर्च किए गए धन की गणना करने और उसकी वसूली के लिए राज्य उत्तरदायी होगा।इससे पहले मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी होने के बाद 23 मार्च 2020 को इस मामले पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सहूलियत देने वाले इस कानून को अदालत में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता संस्था के अधिवक्ता डॉ कार्तिकेय हरि गुप्ता वकील ने कहा है कि कोर्ट ने अधिनियम को भारत के संविधान में दिए समानता के अधिकत का उल्लंघन करार दिया है। अधिनियम धारा सात के प्रावधान को भी गलत करार दिया है। जिसमें सरकार ने पिछले फैसले के प्रावधान को लागू नहीं करने का निर्णय लिया था।