Nagrota Terrror Attack:घाटी से वानी हुआ आउट और अफजल गुरु की वापसी!
नगरोटा में हुए आतंकी हमले में शामिल आतंकियों की मॉडेस ऑपरेंडी बिल्कुल जैश-ए-मोहम्मद की तरह। नगरोटा आतंकी हमले में शामिल आतंकियों ने जैश की ही तर्ज पर छेड़ा हमले के बाद अफजल गुरु के नाम क जिक्र।
नगरोटा। नगरोटा आतंकी हमले के बाद आतंकियों के पास से सेना को कुछ पर्चे भी हाथ लगे थे जिनमें अफजल गुरु का जिक्र था। इंटेलीजेंस ब्यूरों (आईबी) की ओर से जो अलर्ट जारी किया गया था उसमें कहा गया था लश्कर-ए-तैयबा की ओर से बड़े हमले की तैयारी है। हमला जिस तरह से अंजाम दिया गया उससे इसमें जैश-ए-मोहम्मद के शामिल होने के आसार लगते हैं।
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पठानकोट के बाद अब नगरोटा में अफजल
जैश के शामिल होने का शक अफजल गुरु के नाम के पर्चे मिलने क बाद और गहरा गया है। लश्कर से अलग जैश ने हमेशा अफजल गुरु का मुद्दा और उसके नाम को आतंकी हमलों में कैश कराने की कोशिश की है।
पहले अफगानिस्तान फिर पठानकोट आतंकी हमले और अब नगरोटा आतंकी हमले में भी अफजल गुरु का जिक्र हुआ। जांच में शामिल ऑफिसर्स की मानें तो कोई भी अफजल गुरु के नाम का पर्चा छोड़ सकता है।
अभी यह बात साफ नहीं है कि क्या वाकई हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था या नहीं लेकिन जिस तरह से हमले को अंजाम दिया गया उससे कहीं न कहीं इसमें जैश के शामिल होने की गुंजाइश नजर आती है।
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बुरहान आउट अफजल इन
जो नोट आतंकियों के पास से सेना को मिला है उसमें अजफल गुरु का जिक्र है। इस बात से साफ होता है कि घाटी में विरोध को भड़काने के लिए बुरहान वानी की जगह अब अफजल गुरु के नाम का सहारा लिया जा रहा है।
जुलाई में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर वानी की मौत के बाद से ही उबल रही है जिसे सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में मार गिराया था।
जैश हो या फिर हिजबुल दोनों ही इस समय वानी की जगह अफजल गुरु को फिर से जिंदा करना चाहती होंगी।
दोनों ही संगठनों को लगता है कि अफजल गुरु कश्मीर का चैंपियन था। उसकी बुरहान वानी से कोई तुलना नहीं है और वानी सिर्फ एक सोशल मीडिया स्टार ही था।
जो नोट नगरोटा में आतंकी हमले के बाद मिला वह सिर्फ अजफल के साथ हुई नाइंसाफी और उसे फांसी पर लटकाने के बारे में ही बात करता है।
इस नोट से साफ हो जाता है कि घाटी में एक बार फिर से अफजल गुरु का नाम चर्चा में आ गया है। आईबी अधिकारियों की मानें तो जैश अफजल गुरु को वही दर्जा देने की कोशिश कर रहा है जो कभी मकबूल भट को घाटी में मिला हुआ था।
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जैश या फिर लश्कर
लश्कर-ए-तैयबा साधारण तौर पर सैन्य संस्थानों को निशाना नहीं बनाता है। लश्कर अक्सर उन इलाकों में हमला करता है तो रिहायशी होते और जहां पर वह सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बना सकता है।
वहीं जैश की कोशिश हमेशा सैन्य संस्थानों और सरकारी इमारतों को निशाना बनाने की रहती है। जैश ने ही अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास को निशाना बनाया था। उरी आतंकी हमला भी जैश के दिमाग की उपज था।
अगर इसी पैटर्न को देखा जाए तो साफ हो जाता है कि अफजल गुरु के जिक्र के साथ नगरोटा आतंकी हमला भी जैश की ओर से किया गया नया आतंकी हमला हो सकता है।