जानिए देश के सबसे अमीर पद्मनाभस्वामी मंदिर का क्या है रहस्य, आखिर क्यों आज भी सातवें तहखाने का दरवाजा नहीं खुला
नई दिल्ली। केरल के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर श्री पद्मनाभस्वामी के प्रबंधन और अधिकार मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सोमवार को श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखने का आदेश सुनाया है।साथ ही कहा कि शासक की मृत्यु के बावजूद पद्मनाभस्वामी मंदिर में त्रावणकोर परिवार का अधिकार जारी रहेगा। बता दें कि 31 जनवरी 2011 को केरल हाई कोर्ट ने इस मामले को लेकर आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
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देश के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार
माना जाता है कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों मे से एक है। मंदिर के पास दो लाख करोड़ रुपए के आस-पास की संपत्ति है। यही नहीं मंदिर को लेकर अलग-अलग तरह के रहस्य भी हैं, जिसपर से आजतक पर्दा नहीं उठ सका है। मंदिर के सातवें दरवाजे के पीछे माना जाता है कि भारी खजना है। लेकिन आजतक कई वजहों के चलते इस दरवाजे को खोला नहीं जा सका है। यह मंदिर काफी प्राचीन है और देशभर में काफी लोकप्रिय है।
5000 वर्ष पुराना मंदिर
माना जा जाता है कि यह मंदिर तकरीबन 5000 वर्ष पुराना है, लेकिन इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं। इतिहासकार डॉक्टर एलआर रवि वर्मा का कहना है कि जब मानव सभ्यता कलियुग में पहुंची थी, तभी से इस मंदिर के ढांचे को देखा जा रहा है। लेकिन इस मंदिर की स्थापना सोलहवीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने की थी। 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को इस मंदिर का दास घोषित किया था और पूरा राजघराना इस मंदिर की सेवा में तबसे जुट गया था। आज भी वही शाही राजघराना इस मंदिर की देखरेख एक प्राइवेट ट्रस्ट के तहत करता है।
भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और कहा जाता है कि इस मंदिर के भीतर अकूत संपत्ति छिपाकर रखी गई थी ताकि जब कभी जरूरत पड़े तो यह लोगों के काम आ सके। मंदिर में कुल 7 गुप्त तहखाने हैं। हर तहखाने में जाने के लिए एक दरवाजा है। अभी तक सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में छह तहखानों के दरवाजों को खोला जा चुका है। जिसमे से कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपए तक की संपत्ति मिल चुकी है। जिसमे सोने-चांदी, हीरे के आभूषण हैं। इस पूरी संपत्ति को मंदिर के ट्रस्ट में रखा गया है।
सातवां दरवाजा आजतक नहीं खुला
अभी तक मंदिर के सातवे तहखाने के दरवाजे को नहीं खोला गया है। इस दरवाजे पर नाग की आकृति खुदी हुई है। माना जाता है कि इस आकृति को देखने के बाद इस दरवाजे को खोलने की प्रक्रिया को रोक दिया गया। ऐसी मान्यता है कि इस तहखाने की रक्षा खुद भगवान विष्णु कर रहे हैं। वह नाग के अवतार में इस मंदिर की रक्षा कर रहे हैं, लिहाजा इस दरवाजे को खोलने से कोई बड़ी आपदा आन पड़ेगी।
दरवाजे को खोलने की कोशिश में जा चुकी है जान
मंदिर के सातवे दरवाजे को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हो चुकी है। टीपी सुंदर राजन ने इसको लेकर एक याचिका दायर की थी, जिससके बाद मंदिर के दरवाजे को खोलने का फैसला हुआ, लेकिन अचानक से सुंदर राजन की मृत्यु हो गई, हालांकि परिवार का कहना है कि अधिक मानसिक तनाव के कारण उनकी मृत्यु हुई थी। लेकिन लोगों का मानना है कि यह दरवाजे के शाप की वजह से हुआ है। एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने पहली बार दावा किया था कि इस तहखाने के अंदर अकूत संपत्ति हो सकती है, लिहाजा इतने भव्य और अमीर मंदिर की देखभाल करने के लिए मंदिर ट्रस्ट उपयुक्त नहीं है और वह इसकी देखभाल नहीं कर सकते हैं।
सातवें दरवाजे का रहस्य
अभी तक जो छह तहखाने खोले गए हैं उसमे से तकरीबन 20 बिलियन डॉलर की संपत्ति मिली है, जिसमे आभूषण, हीरे-जवाहरात, सोने के सिक्के, बर्तन आदि शामिल हैं। हालांकि इस संपत्ति का सही आंकलन नहीं लगाया जा सकता है। लोगों की मांग है कि इस संपत्ति का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी कह चुके हैं कि आपातकाल में मंदिरों के सोने का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि उनके इस बयान पर काफी विवाद हुआ था और लोगों का कहना था कि अन्य धर्म की संपत्ति का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
नाग करते हैं रक्षा
इस मंदिर को लेकर इतिहासकार और सैलानी एमिली हैच ने एक किताब भी लिखी है जिसका नाम Travancore: A guide book for the visitor है। इसमे उन्होंने दावा किया है कि जब 1931 में मंदिर के दरवाजे को खोलने की कोशिश की गई थी तो हजारों नागों ने मंदिर के तहखाने को चारो ओर से घेर लिया था। यही नहीं इससे पहले 1908 में भी यही हो चुका है। जिसके बाद से यह सवाल लगातार उठता रहा है कि इस मंदिर के तहखाने में वाकई में संपत्ति है या फिर इसमे सांपों का डेरा है।
मंत्र से बंधा दरवाजा
ऐसी मान्यता है कि सातवें तहखाने के दरवाजे को नाग पाशम जैसे किसी मंत्र से बांधा गया है और यही वजह है कि इसके गरुड़ मंत्र के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। लेकिन गरुण मंत्र इतने मुश्किल हैं कि इसका उच्चारण काफी कठिन है। लिहाजा उच्चारण में किसी भी तरह की चूक होने पर जान तक जा सकती है, जिसके चलते इस दरवाजे को खोलने की अभी तक कोशिश नहीं की गई है। अहम बात यह है कि इस दरवाजे को बंद करने के लिए किसी भी तरह के नट-बोल्ट, ताला, जंजीर, सांकड़ आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया है, ऐसे में यह दरवाजा कैसे अबतक बंद है, यह रहस्य का विषय है। मान्यता है कि सदियों पहले इस दरवाजे को कुछ खास मंत्रोच्चार से खोला गया था।