ठीक 22 दिन बाद होगा 2016 का सबसे अहम फैसला, देश की सियासत में आ जाएगा भूचाल
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। खट्टी-मिठी यादों के साथ साल 2015 विदा हो चुका है। आज नए साल (वर्ष 2016) का पहला दिन है। आज से ठीक 22 दिन बाद यानी कि 23 जनवरी 2016 को भारत की राजनीतिक इतिहास का सबसे अहम फैसला होगा। जी हां ये वो फैसला होगा जो देश की सियासत में ऐतिहासिक भूचाल लाएगा। इसी दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक की जाएंगी। काटजू के कड़वे बोल- कहा कायर थी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज
मौत पर बना हुआ है रहस्य
23 जनवरी 1897 को उड़ीसा (तब उड़ीसा ब्रिटिश बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था) में कटक के बंगाली परिवार में जन्मे नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी 64 अति गोपनीय फाइलों को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी द्वारा सार्वजनिक करने के बाद कहा जा रहा है कि नेताजी 1945 के बाद भी जीवित थे।
आखिर नेताजी की मौत का सच क्यों छुपा रहे थे प्रणव?
तो क्या 18 अगस्त 1945 को ताइवान के ताईहोकू हवाई अड्डे (अब ताइपेई डोमेस्टिक एयरपोर्ट) पर विमान हादसे में नेताजी के मरने की झूठी ख़बर फैलाई गई? ऐसे में इस तरह की आशंका की गहन जांच कराकर देश को सच बताने की ज़रूरत है ताकि नेताजी की मौत की सात दशक पुरानी अनसुलझी गुत्थी सुलझ सके।
मौत पर लिखी गई 4 किताबें
सुभाषचंद्र बोस की मौत के रहस्य पर चार क़िताबें "बैक फ्रॉम डेड इनसाइड द सुभाष बोस मिस्ट्री" (2005), "सीआईए'ज आई ऑन साउथ एशिया" (2008), "इंडिया'ज बिगेस्ट कवरअप"(2012) और "नो सेक्रेट" (2013) लिखने वाले और एनजीओं ‘मिशन नेताजी' के संस्थापक पत्रकार-लेखक अनुज धर ने तीन साल पहले ही कह दिया था कि कांग्रेस और कांग्रेस का एक बंगाली नेता दोनों नहीं चाहते थे कि नेताजी के बारे में रहस्यों से परदा हटे। अनुज ने कड़ी मेहनत से लिखी क़िताबों में ताइवान सरकार के हवाले से दावा किया है कि 15 अगस्त से पांच सितंबर 1945 के दौरान कोई विमान हादसा नहीं हुआ था।