म्यांमार सेना अपनी धरती पर भारत-विरोधी विद्रोही गुटों का कर रही है सफाया-सरकारी सूत्र
नई दिल्ली, 14 जनवरी: म्यांमार की सेना ने भारत-विरोधी विद्रोही गुटों के खिलाफ अपनी जमीन पर अभियान चला रखा है। उत्तर-पूर्वी भारत से सटे इस देश की सेना की कार्रवाई के बारे में भारत सरकार के सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आ रही है। म्यांमार में इस समय मिलिट्री सरकार है और इस अभियान को लेकर भारतीय सुरक्षा संस्थाएं लगातार उनसे संपर्क बनाए हुए हैं। हाल ही में कुछ विद्रोहियों को भी उसने भारत के हवाले किया है। ये ग्रुप नवंबर में असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर, उनके परिवार और जवानों पर हुए हमले के लिए भी जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
म्यांमार
में
भारत-विरोधी
विद्रोहियों
के
खिलाफ
कार्रवाई
भारत
सरकार
के
सूत्रों
ने
न्यूज
एजेंसी
एएनआई
से
कहा
है
'हमें
जानकारी
मिली
है
कि
म्यांमारी
सेना
भारत-विरोधी
विद्रोही
गुटों
के
खिलाफ
कार्रवाई
कर
रही
है,
जिन्होंने
म्यांमार
में
अपने
कैंप
बना
रखे
हैं।'
सूत्रों
के
अनुसार
भारतीय
सुरक्षा
एजेंसियां
लगातार
म्यांमार
की
सैन्य
सरकार
के
संपर्क
में
हैं
और
उन्होंने
हाल
ही
में
पांच
भारत-विरोधी
विद्रोहियों
को
भारतीय
एजेंसियों
के
हवाले
किया
है,
जिन्हें
एक
विशेष
विमान
से
भारत
लाया
गया
था।
पिछले
कुछ
समय
से
फिर
से
हुए
हैं
सक्रिय
उत्तर
पूर्व
के
कुछ
विद्रोही
संगठन
जैसे
कि
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
और
कंगला
याओल
कन्ना
लुप
पहले
म्यांमार
से
ही
भारत-विरोधी
गतिविधियां
संचालित
करते
थे,
लेकिन
तीन
साल
पहले
एक
ऑपरेशन
चलाकर
उनके
कैंपों
को
ध्वस्त
कर
दिया
गया
था।
लेकिन,
पिछले
कुछ
महीनों
में
उन्होंने
खुद
को
फिर
से
संगठित
कर
लिया
है।
मणिपुर
में
असम
राइफल्स
की
टीम
पर
हुआ
था
हमला
गौरतलब
है
कि
पिछले
साल
नवंबर
में
भारतीय
सुरक्षा
बलों
के
6
लोग
जिनमें
कि
असम
राइफल्स
के
कमांडिंग
ऑफिसर
(सीओ)
भी
शामिल
थे,
मणिपुर
में
हुए
एक
आतंकी
हमले
में
मारे
गए
थे।
13
नवंबर
को
मणिपुर
में
भारत-म्यांमार
सीमा
के
पास
इस
आतंकी
हमले
में
46
असम
राइफल्स
के
सीओ
कर्नल
विप्लव
त्रिपाठी,
उनकी
पत्नी
और
8
साल
के
उनके
बेटे
समेत
चार
जवान
मारे
गए
थे।
चुराचांदपुर
जिले
में
हुए
इस
आतंकी
हमले
में
चार
और
जवान
जख्मी
भी
हुए
थे।
भारतीय
सुरक्षा
एजेंसियों
के
संपर्क
में
है
म्यांमार
सूत्रों
ने
कहा,
'भारतीय
एजेंसियां
आतंकी
गुट
जैसे
कि
पीएलए
के
खिलाफ
कार्रवाई
करने
को
लेकर
म्यांमार
की
सेना
के
संपर्क
में
हैं,
जो
कि
कुछ
समय
पहले
असम
राइफल्स
के
कर्नल
और
उनके
परिवार
की
हत्या
में
शामिल
थे।'
हालांकि,म्यांमारी
सेना
की
कार्रवाई
में
विद्रोहियों
को
हुए
नुकसान
की
डिटेल
अभी
नहीं
मिल
पाई
है।
गौरतलब है कि डोगरा रेजिमेंट बटालियन पर हुए हमले के बाद, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे, 2015 में भारत ने भारत-विरोधी विद्रोही गुटों के खिलाफ म्यांमार में घुसकर एक सर्जिकल स्ट्राइक भी किया था।