MY VOICE: हताशा और अवसाद के चलते हो रही हैं दिल्ली रोडरेज़ जैसी घटनाएं
नयी दिल्ली। दिल्ली में सड़क पर हुए मामूली झगड़े के बाद 38 वर्षीय एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। जानकारी के मुताबिक घटना रविवार रात करीब 11.30 बजे के आसपास हुई, जब मध्य दिल्ली के आईपी एस्टेट इलाके में रहने वाले शाहनवाज अपने परिवार के साथ मोटरसाइकिल पर एक शादी समारोह से वापस लौट रहे थे। दरियागंज में तुर्कमान गेट के पास उनकी मोटरसाइकिल एक कार से टकरा गई। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि जिस कार से शाहनवाज की मोटरसाइकिल टकराई थी, उसमें चार-पांच व्यक्ति सवार थे।
कार
चालक
ने
शाहनवाज
से
उसकी
मोटरसाइकिल
किनारे
करने
को
कहा,
लेकिन
शाहनवाज
ने
कहा
कि
भीड़
ज्यादा
होने
के
कारण
अपना
वाहन
किनारे
नहीं
कर
सकता।
इसके
बाद
दोनों
पक्षों
में
बहसबाजी
शुरू
हो
गई।
बहसबाजी
तेज
होने
के
बाद
कार
में
सवार
लोगों
ने
शाहनवाज
को
बुरी
तरह
पीटा।
शानवाज
को
अस्पताल
ले
जाया
गया,
जहां
उसे
मृत
घोषित
कर
दिया
गया।
इस
पूरे
मामले
के
बाद
जो
सबसे
जरूरी
सवाल
उठता
है
वो
ये
है
कि
मामूली
बात
पर
दिल्ली
वालों
को
इतना
गुस्सा
क्यों?
झंकझोंर कर रख देने वाली इस घटना पर सुधीर सिंह का मानना है कि ''महानगरी सभ्यता बढ़ने और भागम-भाग भरी जिंदगी के चलते इंसान अपने अंदर के इंसानी स्वभाव को भूलता जा रहा है।'' आपको बता दें कि सुधीर पत्रकारिता पेशे से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते रहते हैं। वनइंडिया के My Voice कॉलम के लिये सुधीर ने कहा कि मौजूदा समय में इंसान के अंदर से नैतिक मूल्य समाप्त हो रहे हैं, उसके अंदर की संवेदनशीलता मर रही है जिसके चलते इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं।
इंसान
अपने
कामकाज
में
इस
कदर
घुसा
हुआ
है
कि
हर
वक्त
हताश
रहता
है।
उसमें
दूसरे
इंसान
के
प्रति
इंसानियत
की
कोई
कद्र
नहीं
है।
हताश
रहने
के
चलते
वो
जल्दी
आपा
खो
देता
है।
हालांकि
घटना
के
वक्त
पुलिस
वहां
मौजूद
थी
इसलिए
एक
गंभीर
सवाल
यह
भी
उठता
है
कि
क्या
लॉ
ब्रेकर्स
के
अंदर
से
कानून
का
खौफ
समाप्त
हो
चुका
है?
Disclaimer: My Voice कॉलम के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली राय पाठक एवं आम जनता की राय है। इसमें वनइंडिया के विचार शामिल नहीं हैं।
आप भी रखें अपनी बात: किसी भी मुद्दे पर अगर आप अपनी बात वनइंडिया के माध्यम से रखना चाहते हैं, तो अपना मोबाइल नंबर, या फेसबुक आईडी हमें ई-मेल करें [email protected]