मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में बुरे फंसे नीतीश कुमार, क्या देना होगा इस्तीफ़ा?
नई दिल्ली। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की जांच होगी। स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के इस आदेश के बाद बिहार की सियासत में भूचाल आना तय है। देश में बड़े दाग के रूप में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस सामने आया था। इसमें खुलासा हुआ था कि पुलिस अफसर से लेकर बड़े-बड़े नेताओं तक के हाथों इस शेल्टर होम की लड़कियों का यौन शोषण होता था। इस लिहाज से इस केस से नाम जुड़ना भी किसी नेता के लिए शर्मनाक स्थिति हो जाती है।
सीबीआई
करेगी
नीतीश
की
भूमिका
की
जांच
मुख्यमंत्री
की
भूमिका
की
जांच
की
मांग
गिरफ्तार
आरोपी
डॉ
अश्विनी
ने
की
थी
जो
मामले
का
खुलासा
होने
के
बाद
से
जेल
में
बंद
है।
अश्विनी
ने
पूर्व
जिलाधिकारी
धर्मेंद्र
सिंह,
वरिष्ठ
आईएएस
अधिकारी
अतुल
कुमार
सिंह
और
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
तीनों
की
भूमिका
की
जांच
के
लिए
अर्जी
दे
रखी
थी।
पॉक्सो
जज
मनोज
कुमार
ने
इन
तीनों
के
ख़िलाफ़
सीबीआई
की
जांच
का
आदेश
दिया
है।
यानी
अब
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
के
ख़िलाफ़
सीबीआई
जांच
होगी।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही दिल्ली ट्रांसफर कर चुका है केस
यह भी याद दिलाने की जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई छह महीने के अंदर पूरी करने को कहा था। मगर, ऐसा नहीं हो सका। इससे नाराज़ सर्वोच्च अदालत ने इस मामले को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। जस्टिस गोगोई ने 7 फरवरी को कहा था कि अब इस केस की सुनवाई दिल्ली के साकेत कोर्ट स्थित स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में होगी। उन्होंने रोजाना सुनवाई का भी आदेश दिया था।
इसे भी पढ़ें:- मोस्ट फेवर्ड नेशन नहीं रहा पाकिस्तान, शत्रु देश का दर्जा देने की जरूरत
सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर भी इसी मामले में पा चुके हैं सज़ा
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जड़ें कितनी मजबूत हैं इसका अंदाजा इस बात से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में 12 फरवरी 2019 को सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को कोर्ट की अवमानना की सज़ा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें अदालत की कार्यवाही पूरी होने तक अदालत में बैठे रहने और एक लाख रुपये का जुर्माने का दंड दिया गया। अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच कर रहे अधिकारी अरुण शर्मा का तबादला कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जांच टीम में कोई बदलाव नहीं होगा।
जून 2018 में सामने आया था शेल्टर होम का मामला
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण की बात जून 2018 में सामने आयी थी जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ओर से सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट में इसका जिक्र हुआ। शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ 31 मई 2018 को केस दर्ज किया गया और बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गयी। 26 जुलाई 2018 को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।
नीतीश
की
सहयोगी
मंत्री
को
भी
देना
पड़ा
था
इस्तीफ़ा
मुजफ्फरपुर
शेल्टर
होम
केस
के
आरोपी
के
साथ
पति
चंद्रशेखर
वर्मा
की
नजदीकी
की
वजह
से
नीतीश
मंत्रिपरिषद
की
सदस्य
व
तत्कालीन
समाज
कल्याण
मंत्री
मंजू
वर्मा
को
भी
अपने
पद
से
इस्तीफ़ा
देना
पड़ा
था।
बाद
में
आर्म्स
एक्ट
में
मंजू
वर्मा
और
उनके
पति
चंद्रशेखर
दोनों
को
आत्मसमर्पण
करना
पड़ा
और
अभी
दोनों
न्यायिक
हिरासत
में
हैं।
मामले में सुप्रीम कोर्ट की है पूरी नज़र
चूंकि मामले की सुनवाई बिहार से बाहर दिल्ली में हो रही है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सीधी नज़र है इसलिए इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की जांच और भी अहम हो जाती है। अगर नीतीश कुमार का संबंध इस केस से दूर-दूर तक भी पाया जाता है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए लोकसभा चुनाव के समय पद पर बने रहना मुश्किल हो जाएगा। चूकि प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद रहने की वजह से ही स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने ताजा आदेश सुनाया है तो ऐसे में नीतीश कुमार की मुश्किल बढ़ गयी लगती है।
क्या नीतीश देंगे इस्तीफ़ा?
नीतीश कुमार राजनीति में ऊंची नैतिकता के मानदंड स्थापित करने वाले माने जाते हैं। तेजस्वी यादव के घर सीबीआई की छापेमारी के बाद नीतीश ने आरजेडी से नाता तोड़ लिया था और महागठबंधन छोड़कर एनडीए की सरकार बना ली थी। इसलिए अगर वे चाहेंगे तब भी सीबीआई की जांच जारी रहते मुख्यमंत्री पद पर बने रहने में उन्हें दिक्कत आने वाली है। ऐसे में सबसे बडा सवाल यही है कि क्या नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे?
इसे भी पढ़ें:- अखिलेश को रोकने से योगी आदित्यनाथ को होगा क्या कोई राजनीतिक लाभ?