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इन दो महिला वैज्ञानिकों के हाथ में थी चंद्रयान-2 के लॉन्च की कमान, जानिए इनके बारे में

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नई दिल्ली। चांद पर भारत के दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को सोमवार को श्रीहरिकोटा से सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क III-एम1 के जरिए प्रक्षेपित किया गया। इस मिशन की सबसे खास बात यह भी है कि इसरो के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी मिशन की कमान पूरी तरह महिलाओं के हाथ में है। इस पूरे प्रोजेक्ट की डायरेक्टर का नाम मुथैया वनिता हैं। उनके कंधों पर मिशन की शुरुआत से लेकर आखिर तक का जिम्मा है। उनके अलावा मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव हैं। इस पूरे मिशन में 30% महिलाएं हैं।

वनिता और रितु दोनो ही 20 सालों से इसरो में काम कर रही हैं

वनिता और रितु दोनो ही 20 सालों से इसरो में काम कर रही हैं

वनिता और रितु दोनो ही 20 सालों से इसरो में काम कर रही हैं। रितु करिधाल इससे पहले भी कई मिशन में अपनी अहम भूमिका निभा चुकी हैं। यहां तक कि मंगलयान मिशन में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। जिसमें वे ऑपरेशन्स की डिप्टी डायरेक्टर थीं। इन्हें रॉकेट वुमन कहा जाता है। चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव का लखनऊ से खास जुड़ाव है, क्योंकि वह लखनऊ की ही रहने वाली हैं।

लखनऊ की 'रॉकेट वुमेन' रितु करिधाल

लखनऊ की 'रॉकेट वुमेन' रितु करिधाल

लखनऊ के राजाजीपुरम में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पलीं-बढ़ीं रितु ने यहीं के नवयुग गर्ल्स कॉलेज से इंटर करने के बाद हाइयर स्टडीज के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था। उन्होंने यहीं से फिजिक्स से ग्रैजुएशन और फिर पीजी किया। इसके बाद उन्होंने गेट (जीएटीई) पास करके बेंगलुरु में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (आईआईएससी) में एडमिशन लिया। वहां से रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1997 में वो इसरो से जुड़ गईं। भारत की 'रॉकेट वुमेन' के नाम से लोकप्रिय रितु इससे पहले मार्स मिशन या मंगलयान की भी डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर रह चुकी हैं।

 इसरो के इतिहास में पहली प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं मुथैया वनिता

इसरो के इतिहास में पहली प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं मुथैया वनिता

वहीं मुथैया वनिता चंद्रयान 2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं, वह इसरो के इतिहास में पहली प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। वनिता सैटेलाइट सेंटर से एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं। वे डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में माहिर हैं इतना ही नहीं उन्होंने उपग्रह संचार पर कई रिसर्च पेपर भी लिखे हैं। इसके पहले उन्होंने मैपेंग में इस्तेमाल होने वाले पहले कार्टोसौट उपग्रह (भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह), ओशनसैट 2 (महासागर अनुप्रयोग उपग्रह) आदि में निदेशक के तौर पर काम कर चुकी हैं। 2006 में उन्हें एस्ट्रॉनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की तरफ से सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक का पुरस्कार मिल चुका है।

 शुरुआत में वनिता इस जिम्मेदारी को लेने में हिचकिचा रहीं थीं

शुरुआत में वनिता इस जिम्मेदारी को लेने में हिचकिचा रहीं थीं

वनिथा चंद्रयान-1 के लिए भी यह काम कर चुकी हैं। वे भारत के रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों की व्यवस्था भी संभालती रही हैं। यही वजह रही कि उन्हें चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट में शुरू से प्रमुख भूमिका दी गई। शुरुआत में वनिता इस जिम्मेदारी को लेने में हिचकिचा रहीं थीं, लेकिन बाद में वे मान गयीं। वे लगभग 20 वर्षों से इसरो के साथ काम कर रही हैं। साइंस जर्नल नेचर ने उनका नाम उन पांच वैज्ञानिकों की श्रेणी में रखा था जिनपर 2019 में नजर रहेगी।

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English summary
Muthayya Vanitha and Ritu Karidhal, ISRO's two women directors in charge of mission Chandrayaan 2
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