Ayodhya Verdict से पहले जानें अयोध्या पर क्या था इलाहाबाद हाई कोर्ट 2010 का फैसला
नई दिल्ली। देश के सबसे पुराने केस अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद मामले में आज भारत की सर्वोच्च अदालत फैसला सुनाने जा रही है, सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने इस केस की सुनवाई की है, जिसका फैसला आज सुबह 10.30 बजे सुनाया जाएगा, इस फैसले के मद्दनेजर अयोध्या समेत पूरे यूपी में धारा 144 लागू की गई है, साथ ही स्कूल-कॉलेज भी बंद रखे गए हैं तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के जजों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है, इस बहुचर्चित मामले का फैसला सुनाने वाली बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत पांच जज शामिल हैं। गौरतलब है कि 40 दिन तक चली मैराथन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में अपना फैसला सुनाया था, हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
चलिए विस्तार से जानते थे हैं कि क्या था वो फैसला जिसे चुनौती दी गई थी...
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में सुनाया था फैसला
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का तीन हिस्सों में बंटवारा कर दिया था, इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला लेकिन 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी और 21 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने को कहा था, 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित भाजपा और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया था।
यह पढ़ें: Ayodhya Verdict से पहले CJI गोगोई को Z प्लस सुरक्षा, बाकी 4 जजों की भी बढ़ी सिक्योरिटी
16 नवंबर 2017
16 नवंबर 2017 को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और कई पक्षों से मुलाकात की और 5 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 8 फरवरी तक सभी दस्तावेजों को पूरा करने के लिए कहा। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। हालांकि, उनकी याचिका खारिज हो गई।
|
14 मार्च 2018
14 मार्च 2018 को वकील राजीव धवन ने कोर्ट से साल 1994 के इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के फैसले को पुर्नविचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग की। 20 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव धवन की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा। 27 सितंबर 2018 को कोर्ट ने इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के 1994 का फैसले को बड़ी बेंच के पास भेजने से इनकार कर दिया और कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा।
|
16 अक्टूबर को खत्म हुई सुनवाई
इस मामले की 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई जो 16 अक्टूबर को खत्म हुई, सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला आने वाला है।
यह पढ़ें: अयोध्या विवाद: अंतिम नहीं होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, आगे भी हैं ये विकल्प