अयोध्या मामला: 'सड़कों पर भी नमाज होती है इसका मतलब ये नहीं सड़क उनकी हो गई'
नई दिल्ली। अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई जारी है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान के वकील एस. वैद्यनाथन ने अपना पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिर्फ नमाज अता करने से वह जगह उनकी नहीं हो सकती जब तक वह संपत्ति उनकी नहीं हो। नमाज सड़कों पर भी होती है इसका मतलब यह नहीं कि सड़क आपकी हो गई।
रामलला विराजमान के वकील एस. वैद्यनाथन ने रखा पक्ष
सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की तरफ से 1990 में ली गई तस्वीरों के हवाले से कहा गया कि इन तस्वीरों में दिखाए गए स्तंभों में शेर और कमल उकेरे गए हैं। इस तरह के चित्र कभी भी इस्लामिक परंपरा का हिस्सा नहीं रहे हैं। नक्शे और तस्वीरें दिखाकर एस. वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विवादित ढांचे और खुदाई के दौरान पाषाण स्तंभ पर शिव तांडव, हनुमान और देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलीं। पक्के निर्माण में जहां तीन गुम्बद बनाए गए थे वहीं बाल रूप में राम की मूर्ति थी।
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1990 में ली गई तस्वीरों के हवाले से दी ये दलीलें
रामलला विराजमान के वकील एस. वैद्यनाथन ने सुनवाई के दौरान एएसआई की रिपोर्ट की एलबम की तस्वीरें भी कोर्ट में पेश कीं। उन्होंने कहा कि मस्जिद में मानवीय या जीव जंतुओं की मूर्तियां नहीं हो सकती हैं, अगर हैं तो वह मस्जिद नहीं हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम में नमाज तो कहीं भी हो सकती हैं लेकिन मस्जिदें तो सामूहिक साप्ताहिक और दैनिक प्रार्थना के लिए ही होती हैं।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने जताई आपत्ति
इस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई और कहा कि कहीं पर भी नमाज अता करने की बात गलत है, ये इस्लाम की सही व्याख्या नहीं है। जिस पर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि गलियों और सड़कों पर भी तो नमाज होती है, इसका मतलब यह नहीं कि सड़क आपकी हो गई। बता दें कि अयोध्या मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है। इस पीठ में जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.ए. नजीर शामिल हैं।