वैज्ञानिकों को मिले रात के अंधेरे में चमकने वाले मशरूम, रिसर्च में खुला इस हरी रोशनी का राज
आखिर क्या है मेघालय में मिले इन हरे रंग की रोशनी वाले मशरूमों का रहस्य, वैज्ञानिकों ने खोला राज
नई दिल्ली। अक्सर आपने देखा होगा कि जंगली इलाकों में बारिश के बाद कुछ कवक यानी मशरूम अपने आप उग आते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मशरूम देखे हैं जो रात के अंधेरे में हर रंगे की रोशनी से चमकते हों। आपको सुनने में ये बात भले ही अजीब लगे, लेकिन वैज्ञानिकों की एक टीम ने हमारे ही देश के पूर्वोत्तर हिस्से में बांस के जंगलों में मशरूम की एक ऐसी प्रजाति की खोज की है, जो रात के अंधेरे में हर रंग की रोशनी से जगमगाती है। मशरूम की यह विशेष प्रजाति मेघालय में मिली है और इन्हें 'बायोल्युमिनेसेंट' कहा जाता है। 'बायोल्युमिनेसेंट' जीवित प्रजातियों की वो किस्म है, जो रात के अंधेरे में प्रकाश छोड़ती है। (तस्वीरें साभार- Stephen Axford)
मशरूम के डंठल में दिखी हरे रंग की रोशनी
वनस्पति विज्ञान से जुड़ी मैगजीन 'फाइटोटैक्सा' में छपे रिसर्च के नतीजों के मुताबिक, मशरूम की यह नई प्रजाति सबसे पहले 2019 में फंगी बायोडायवर्सिटी सर्वे के दौरान देखी गई थी। मशरूम की इस प्रजाति को अब दुनियाभर में मौजदू 97 बायोल्युमिनेसेंट प्रजातियों के साथ जोड़ा गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रात के अंधेरे में जो हरे रंग की चमक नजर आई, वो केवल इन मशरूमों के डंठल में ही थी, जबकि ऊपरी भाग में ऐसा कोई अंतर या रोशनी नहीं देखी गई।
क्या है हरे रंग की इस रोशनी की वजह
रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि इन मशरूमों के डंठल में हरे रंग की यह रोशनी लूसिफेरेज नाम के एंजाइम की वजह से पैदा होती है। मशरूम के डंठल में मौजूद यह एंजाइम, लूसिफेरेज कंपाउंड को एक्टिव करते हैं और इस दौरान जो रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, उसकी वजह से अतिरिक्त ऊर्जा के रूप में हरे रंग की रोशनी बाहर निकलती है। हालांकि हरे रंग की इस रोशनी से मशरूम का केवल एक हिस्सा ही क्यों चमकता है, वैज्ञानिकों के लिए बात अभी भी एक रहस्य बनी हुई है।
रोशनी को लेकर ये थ्यौरी भी सामने आई
इन मशरूमों का केवल एक हिस्सा ही बायोल्युमिनेसेंट यानी हरे रंग से चमकने वाला क्यों होता है, इसे लेकर कई तरह की थ्योरी सामने आई हैं। ऐसी ही एक थ्योरी में बताया गया है कि अपने बीजाणु के फैलाव के लिए कीट-पतंगों को आकर्षित करने के मकसद से ये मशरूम चमकते है। इस थ्योरी में यह भी कहा गया है कि हरे रंग की रोशनी छोड़ने का एक मकसद, खुद को मशरूम खाने वाले जानवरों से बचाना भी हो सकता है।
जुगनु में दिखती है ऐसी ही रोशनी
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर इस तरह की हरे रंग की रोशनी छोड़ने की क्षमता धरती पर रहने वाले जीवों के मुकाबले समुद्री जीवों के अंदर ज्यादा होती है। धरती पर जो जीव ऐसी हरी रोशनी छोड़ते हैं, उनमें जुगनु सबसे ज्यादा आम और चर्चित कीट हैं। मशरूम की इस प्रजाति की खोज वैज्ञानिकों की उस टीम ने की है, जो देश के पूर्वोत्तर राज्यों- असम, मेघालय, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में मिलने वाले मशरूम की जैविक विविधता की जांच के लिए बने एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी।
मेघालय के किन हिस्सों में मिले ये मशरूम
इस प्रोजेक्ट के दौरान वैज्ञानिकों ने नई प्रजातियों को खोजने के अलावा, मशरूम की 600 किस्मों पर काम किया। मेघालय में हरे रंग की रोशनी से चमकने वाले ये मशरूम, वैज्ञानिकों को प्रोजेक्ट के अंतिम चरण के दौरान पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावलिननांग और पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में करंग सूरी नाम की दो जगहों पर मिले। इन मशरूमों के आणविक डेटा की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि यह मशरूम की एक नई प्रजाति है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने इस मशरूम के डीएनए की भी जांच की।
'Roridomyces' जीनस से संबंधित हैं ये मशरूम
वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मशरूम की यह प्रजाति 'Roridomyces' जीनस से संबंधित है। यह प्रजाति आमतौर पर नमी वाली परिस्थितियों में पैदा होती है। भारत में खोजे गए अभी तक के मशरूमों में इस जीनस का यह पहला मशरूम है। इस रिसर्च को असम स्थित एनजीओ बलिपारा फाउंडेशन और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के कुनमिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बॉटनी के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है।